सिर्फ पांच सांसदों के दम पर मोदी सरकार के लिए U-Turn फैक्टर बने चिराग पासवान, NDA के अन्य सहयोगी रह गए पीछे

By अंकित सिंह | Aug 21, 2024

लोजपा नेता और एनडीए के अहम सहयोगी चिराग पासवान लगातार सुर्खियों में हैं। हाल में ही एनडीए में होने के बावजूद भी उन्होंने मोदी सरकार के फैसले का खुलकर विरोध किया। लोकसभा में पेश वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भी चिराग पासवान की राय भाजपा से पूरी तरह से अलग है। सिर्फ पांच सांसदों वाली पार्टी के प्रमुख चिराग ने यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सहमत नहीं है कि एससी कोटे को उपवर्गीकृत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करेगी।

 

इसे भी पढ़ें: Doha से आई तस्वीर ने बढ़ा दी भारत-इजरायल की टेंशन, हमास और हाफिज मिलकर क्या नया करने वाले हैं?


सोमवार को चिराग पासवान ने आरक्षण फार्मूले का पालन किए बिना 45 पेशेवरों को पार्श्व प्रवेशकों के रूप में नियुक्त करने के सरकार के कदम के खिलाफ फिर से बात की। विरोध के कारण सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक निर्णय पारित किया जिसमें कहा गया कि वह एससी कोटे से क्रीमी लेयर को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू नहीं करेगा, और मंगलवार को सरकार ने लेटरल एंट्री विज्ञापन को रद्द करने की भी घोषणा की। बाद में चिराग पासवान ने इस कदम को वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया।


ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि चिराग पासवान पांच सांसदों के साथ वो काम कैसे कर पा रहे हैं जैसा एनडीए के अन्य सहयोगी नहीं कर पा रहे हैं। टीडीपी (16 सांसद), जेडीयू (12 सांसद) और शिवसेना (7 सांसद) में से पांच सांसदों वाली एलजेपी एनडीए खेमे में सबसे मुखर सहयोगी बन गई है, जिसने सरकार के यू-टर्न में बड़ा रोल निभाया है। चिराग पासवान सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं। अतीत में, उन्होंने खुद को नरेंद्र मोदी का 'हनुमान' कहा था और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने तक उनके मुखर आलोचक थे। 

 

इसे भी पढ़ें: Global Finance Report में भारत को मिली 'A+' रेटिंग, प्रधानमंत्री मोदी ने RBI गवर्नर शक्तिकांत दास को बधाई दी


एलजेपी के सूत्रों का कहना है कि पासवान जमीनी स्तर पर अपनी बात रखते हैं और जातिगत मुद्दों से वाकिफ हैं जो एनडीए को राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं। उनका कहना है कि यह 2015 का ‘बिहार सबक’ है जब मोहन भागवत की ‘आरक्षण समीक्षा’ टिप्पणी ने विधानसभा चुनावों में भाजपा की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया था और जेडीयू-आरजेडी गठबंधन ने ‘आरक्षण खत्म करने’ के मुद्दे पर भाजपा की आलोचना करके घर-घर जाकर जीत हासिल की थी। पासवान अखिल भारतीय जाति जनगणना की भी वकालत कर रहे हैं, जिसका भाजपा विरोध करती है।

प्रमुख खबरें

गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की

ब्रांड आंध्र की छवि हुई धूमिल, अडानी मामले में चंद्रबाबू नायडू का बयान, कही यह बात

LG ने की दिल्ली की CM की तारीफ, बोले- केजरीवाल से हजार गुना बेहतर हैं आतिशी

Himachal CPS Case: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सचिवों की अयोग्यता पर लगाई रोक