By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 24, 2020
पटना। लोकजनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक चुनावी रैली के दौरान उनके दिवंगत पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। चिराग ने ट्वीट कर कहा, आदरणीय नरेंद्र मोदी जी बिहार आते हैं और पापा को एक सच्चे साथी के जैसे श्रद्धांजलि देते हैं। यह कहना की पापा की आख़री सांस तक वे साथ थे मुझे भावुक कर गया। एक बेटे के तौर पर स्वाभाविक है पापा के प्रति प्रधानमंत्री जी का यह स्नेह व सम्मान देख कर अच्छा लगा। प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद।’’ मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) प्रत्याशियों के पक्ष में रोहतास जिला के डेहरी आन सोन में अपनी पहली चुनावी रैली की शुरुआत लोजपा संस्थापक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और मुख्य विपक्षी पार्टी राजद के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए की थी।
बिहार में सत्ताधारी राजग में शामिल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से नाता तोड़कर अपने बलबूते चुनाव लड़ रहे लोजपा प्रमुख चिराग ने इससे पूर्व नीतीश पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘आदरणीय प्रधानमंत्री जी का बेसब्री से इंतजार कर रहे आदरणीय नीतीश कुमार जी का इंतजार आज खत्म हो जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आदरणीय अमित शाह जी के भी कह देने के बाद कि लोजपा बिहार चुनाव में राजग का हिस्सा नहीं है, नीतीश जी को तसल्ली नहीं हुई। अभी और प्रमाणपत्र चाहिए। आदरणीय नरेंद्र मोदी जी का स्वागत है। चिराग ने इससे पहले कहा था कि प्रधानमंत्री गठबंधन धर्म निभा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि अपने पिछले पांच साल के शासनकाल के दौरान नीतीश ने क्या किया यह बात भी उन्हें बताना चाहिए। चिराग ने आरोप लगाया कि नीतीश की खुद की कोई उपलब्धि नहीं होने के कारण वह अपने राजनीतिक गुरु लालू प्रसाद यादव (प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद के प्रमुख) के नाम का डर दिखा कर वोट लेना चाहते हैं। चिराग, नीतीश के सात निश्चय कार्यक्रम को प्रदेश की पिछली महागठबंधन (जदयू-राजद-कांग्रेस) सरकार की योजना बताते इसमें भ्रष्टाचार होने का आरोप लगा चुके हैं। लोजपा प्रमुख ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि नीतीश जी तो पहले महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे थे और रातों-रात पिछले दरवाजे से राजग में आ जाने के बाद अब अपने को ही राजग में सबसे पुराने सहयोगी बताते फिर रहे हैं, जो कि गलत है।