By अभिनय आकाश | Jul 22, 2021
वाटर-वाटर एवरी वेयर बट रेयरली एनी ड्राप टू ड्रिंक यानी पानी के बीच रहकर भी प्यासे हैं। अंग्रेज़ी के मशहूर कवि सैम्युल टेलर ने 18वीं सदी में पानी की अहमियत बताने के लिहाजे से लिखी थी। लेकिन ये किसे पता था कि चीन पर यह मुफ़ीद बैठेगा। जहां कहीं सड़कें नदी बन चुकी हैं, कारें नावों की तरह तैर रही हैं। मेट्रो डूब गई है। लोग पानी के बहाव में बहे जा रहे हैं तो कहीं सड़कों के गड्ढे इंसानों को ही निगलने लग गए हैं। ये चीन की कहानी है। मध्य चीन में पानी की विनाशलीला ऐसी है जिसको देख यकीन करना मुश्किल है कि ये वही चीन है जो खुद को दुनिया का सबसे आधुनिक देश बताने के दावे पेश करता है। बाढ़ से चीन के हेनान प्रांत का हाल कितना खराब है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बाढ़ के चलते ट्रेन में बैठे लोगों की कमर तक पानी पहुंच गया। सोशल मीडिया पर आई फुटेज में लोगों को बाढ़ के पानी में तैरते हुए देखा गया। झेंगझू शहर में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही 1 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ये बाढ़ ऐसी है जो 100 साल में एक बार आती है।
चीन में भारी बाढ़ की वजह क्या है?
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने आने वाली टाइफून इन-फा को भारी बारिश के लिए जिम्मेदार बताया है। सीजीटीएन ने बताया कि जैंगजू के निकट डैम ध्वस्त हो गया। रिपोर्ट के अनुसार मिनिस्ट्री ऑफ इमरजेंसी मैनेजमेंट ने भी डैम के ध्वस्त होने की बात कही। इससे पहले मंगोलिया में दो डैम के गिरने की बात ग्लोबल टाइम्स के हवाले से कही गई थी। लेकिन ये चीन में हर साल के बाढ़ के हालात की कहानी है। लेकिन 10 सबसे बड़े बाढ़ में से सात बीते सौ सालों में चीन में ही आए। ऐसा क्यों बार बार हो रहा है। कम्युनिस्ट पार्टी इसका कारण क्लाइमेट चेंज को बता रही है। ये भी एक कारण हो सकता है लेकिन चीन पूरी कहानी नहीं बयां कर रहा है। चीन ने 94000 डैम बनाए हैं। जिससे नदियों के प्रवाह को रोका जा सके। चीन नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करना चाहता है। लेकिन डैम इस काम में फेल हो रहे हैं। इसका नतीजा डैम के समीप रह रहे लोगों को चुकाना पड़ रहा है। चीन अपने विशाल बांध नेटवर्क को हर साल आने वाली विनाशकारी बाढ़ रोकने का एक उपाय बताता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में बाढ़ से सैकड़ों लोगों की मौत हुई और हजारों घर जलमग्न हुए हैं। चीन की बड़ी जल परियोजनाएं बाढ़ को रोकने में असमर्थ साबित हो रही हैं और दशकों पहले बनाए गए बांधों की क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं।
चीन क्यों बना रहा इतने बांध
पुरानी कहावत है जो दूसरे के लिए गड्ढा खोदता है, वो उसमें खुद गिर जाता है। चीन की बाढ़ से उत्पन्न समस्या उसके दूसरे देशों के लिए पानी को हथियार बनाने के मंसूबे की देन है। कहा जाता है कि अगला वर्ल्ड वॉर पानी की वजह से होगा। लेकिन चीन की मंशा वर्ल्ड वॉर पानी से के बूते लड़ने की है। चीन में बाढ़ की समस्या, सिर्फ इस साल की नहीं है, हर साल चीन में ऐसा ही होता है और इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि चीन ने पानी को हथियार बनाने के लिए बांधों का जो इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया था, वही बांधों का इंफ्रास्ट्रक्चर अब चीन पर भारी पड़ रहा है। लॉस एंजेल्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार चीन में 98,000 से अधिक बांध हैं, जो किसी भी अन्य देशों से अधिक हैं। 2019 में 23000 से अधिक बड़े बांध थे और चीन दुनिया के सभी बांधों का 41 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है। वहीं 2020 तक बांधों की संख्या 98 हजार हो गई। दुनिया के किसी अन्य देश में इतने बांध नहीं है। एक्सपर्ट्स की माने तो जब बांध बनते हैं तो नदियों और झीलों के बीच संबंध कट जाते हैं। इस तरह के अवरोध की वजह बाढ़ को अंजाम देते हैं। तमाम विशेषज्ञ इस खतरे की आशंका जता रहे थे लेकिन चीन ने अपने बांध निर्माण को नहीं रोका।
पानी को हथियार बनाने की चीन की चाल
चीन पानी को हथियार बनाना चाहता है और इसके लिए वो बांध का सहारा ले रहा है। चीन की सबसे बड़ी नदी यांगत्सी है और उसकी सहायक नदियों पर आज से आठ साल पहले तक 100 बांधों का निर्माण कार्य चल रहा था। एशिया की सातवीं बड़ी नदी मिकॉन्ग पर भी चीन ने 11 बांध बनाए। ये बांध चीन ने इसलिए बनाए, ताकि वो मिकॉन्ग नदी के पानी पर अपना नियंत्रण रख सके। ये नदी दक्षिण-पश्चिमी चीन से होकर म्यांमार, लाओस, थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों में भी बहती है। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन ने जांग मू बांध बनाया है, जो 2015 में बनकर तैयार हुआ था। तिब्बत में चीन, इसी तरह के तीन और बांध, ब्रह्मपुत्र नदी पर बना रहा। ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से निकलकर, अरुणाचल प्रदेश और असम सहित भारत के पूर्वोत्तर इलाकों में बहती है और इस पर बांध के जरिए चीन, जब चाहता है तब पूर्वोत्तर में बाढ़ ले आता। नदियों पर बांध बनाकर चीन पानी को रोक लेता है और पानी को अपनी मर्जी से, जब चाहे तब छोड़ देता है। इसी से वो अपने पड़ोसी देशों में बाढ़ भी ला सकता है, और अगर वो चाहे तो, अपने पड़ोसी देशों में सूखा भी ला सकता। मिकॉन्ग नदी में चीन के बनाए बांधों की वजह से थाइलैंड में 40 साल का सबसे बड़ा सूखा पड़ गया था।
अब वही बांध बन रहे मुसीबत
चीन में 98,000 से अधिक बांध हैं, जो किसी भी अन्य देश से अधिक हैं। कई 1950 और 60 के दशक में बनाए गए थे और अब ये खराब स्थिति में हैं। सीजीटीएन ने बताया कि जैंगजू के निकट डैम ध्वस्त हो गया। रिपोर्ट के अनुसार मिनिस्ट्री ऑफ इमरजेंसी मैनेजमेंट ने भी डैम के ध्वस्त होने की बात कही। इससे पहले मंगोलिया में दो डैम के गिरने की बात ग्लोबल टाइम्स के हवाले से कही गई थी। चीन में ऐसे हजारों बांध हैं जिनकी सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। चीन में ऐसे हजारों बांध हैं जो कभी भी टूट सकते हैं। इनमें अधिकतर बांध ऐसे हैं, जो चीन के तानाशाह माओ के जमाने में बने हैं। इनमें कई छोटे बांध भी हैं, जो पिछले 50-60 वर्षों में धीरे-धीरे बहुत कमजोर हो चुके हैं और इनमें से ही कई बांध अब टूट कर गिर रहे हैं। फिर भी बांध कम्युनिस्ट पार्टी के लिए गर्व का विषय रहे हैं और उनके द्वारा इस गलती को कभी सार्वजनिक रूप से स्वीकारा नहीं जाएगा। -अभिनय आकाश