Maldives के आंतरिक मामलों में Chinese Diplomat का हस्तक्षेप बढ़ा! क्या Rubber Stamp President बन कर रह जाएंगे Muizzu?

By नीरज कुमार दुबे | Jan 13, 2024

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन की यात्रा से लौट कर आये तो उनके चेहरे की खुशी साफ झलक रही थी। ऐसा लग रहा था कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुइज्जू को दिल खोल कर दान दिया है। लेकिन अब जिस तरह धीरे-धीरे सारी चीजें सामने आ रही हैं वह दर्शा रही हैं कि ड्रैगन के जाल में मालदीव बुरी तरह फंस चुका है। दरअसल मालदीव में अब ऐसा लग रहा है कि राष्ट्रपति भले मोहम्मद मुइज्जू हैं लेकिन वहां की सरकार का नियंत्रण चीन करेगा। हम आपको बता दें कि माले में शीर्ष चीनी राजनयिक वांग लिक्सिन जिस प्रकार तमाम तरह के मुद्दों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं वह सीधे-सीधे मालदीव के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के समान है। खास बात यह है कि मुइज्जू की यात्रा के दौरान चीन ने बिना किसी देश का नाम लिये कहा था कि वह मालदीव के आंतरिक मामलों में "बाहरी हस्तक्षेप का दृढ़ता से विरोध करता है" और अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता को बनाए रखने में द्वीप राष्ट्र का समर्थन करता है। लेकिन अब चीन जो कुछ कर रहा है वह मालदीव के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप है।


माले में शीर्ष चीनी राजनयिक वांग लिक्सिन ने यह भी कहा है कि अगर मालदीव चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ इसी तरह जुड़ा रहता है तो उसे और अधिक विकास परियोजनाओं के लिए समर्थन मिलेगा। हम आपको बता दें कि मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू चीन की पहली राजकीय यात्रा पर गए थे तब वांग लिक्सिन भी उनके साथ गयी थीं। अब वांग ने सीजीटीएन रेडियो को दिए एक साक्षात्कार में कहा है कि माले को बहुत मदद दी गयी है और आगे भी मदद दी जाती रहेगी। अपने साक्षात्कार में, वांग ने कहा कि उनका मानना है कि मालदीव और चीन के बीच मजबूत संबंधों के तीन प्रमुख कारक हैं। उन्होंने कहा कि पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारक आपसी राजनीतिक विश्वास है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान, दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने हमारे द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक सहकारी साझेदारी तक बढ़ाने की घोषणा की है। यह दोनों देशों के बीच भविष्य के सहयोग के लिए एक मजबूत राजनीतिक गारंटी प्रदान करेगा।

इसे भी पढ़ें: Vishwakhabram: भारतीयों ने Maldives Tourism को दिन में दिखा दिये तारे पर इस सबसे Muizzu बन गये Xi Jinping की आंखों के तारे

वांग ने कहा कि दूसरा कारक राष्ट्रपति शी की पहल और राष्ट्रपति मुइज्जू का उन पहलों के साथ जुड़ना है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हम ऐसे ही आगे बढ़ते रहे तो मालदीव के लोगों को लाभ पहुंचाने वाली और अधिक परियोजनाओं पर निर्णय ले सकते हैं। वांग ने कहा कि तीसरा कारक व्यापक परामर्श और साझा लाभ के सिद्धांत का पालन करना है। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि इन तीन प्रमुख कारकों के साथ, भविष्य में हमारा बहुत उपयोगी और टिकाऊ सहयोग होगा।" यहां हम आपको यह भी बताना चाहेंगे कि चीन जिस भी देश को अपने कर्ज के जाल में फंसाता है उस देश में चीनी राजनयिकों की ऐसी ही दादागिरी देखने को मिलती है। नेपाल और श्रीलंका में चीनी राजनयिकों की ओर से ऐसी ही बयानबाजी कई बार सामने आई थी।


जहां तक चीन और मालदीव के संबंधों में आई प्रगाढ़ता की बात है तो आपको बता दें कि राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन के साथ जिन प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं उनमें पर्यटन और बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़े करार भी शामिल हैं। हालाँकि, चीन की ओर से किसी भी देश से किये गये बुनियादी ढांचे के वादों को पूरा करने का काफी उतार-चढ़ाव वाला इतिहास है, इसलिए देखना होगा कि असल में मालदीव को मिलता क्या है। फिलहाल तो मालदीव को चीन की बेल्ट एंड रोड पहल में एक मोहरे के रूप में काम करना होगा। इसके अलावा मालदीव ने चीन से बड़ी संख्या में पर्यटक भेजने का आश्वासन तो ले लिया है लेकिन इसका पूरा हो पाना मुश्किल है क्योंकि लगातार अपने द्वारा ही बनाये गये कोरोना वायरस के चलते चीन में लंबे समय तक जो लॉकडाउन रहा उससे वहां की अर्थव्यवस्था अब तक नहीं उबरी है। चीन में बेरोजगारी अपने सर्वोच्च स्तर पर है और औद्योगिक उत्पादन गिरा हुआ है क्योंकि बाजार में मांग नहीं है। अधिकांश चीनियों के पास बीजिंग से शंघाई तक जाने का पैसा नहीं है तो वह घूमने के लिए माले कैसे जाएंगे?


चीन की गोद में बैठ कर मुइज्जू जो गलती कर आये हैं उसका परिणाम मालदीव को भुगतना ही होगा। यह द्वीप राष्ट्र पहले ही कट्टरपंथी इस्लामिक आतंक का केंद्र बना हुआ है, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक लड़ाके भेज रहा है। ऐसी रिपोर्टें सामने आई थीं कि मालदीव से इस्लामिक स्टेट के लिए काम करने गये लोगों को सीरिया के शिविरों में रखा जाता है और प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा मालदीव अब पाकिस्तान से संचालित ड्रग सिंडिकेट में भी फंस चुका है। ये ड्रग सिंडिकेट युवाओं को नशे की आदत लगाते हैं और उन्हें कट्टरता के रास्ते पर धकेलते हुए इस्लामी आतंक को बढ़ावा देते हैं। ऐसी खुफिया रिपोर्टें भी सामने आईं जिसके मुताबिक ये ड्रग सिंडिकेट नशे और कट्टरता के साथ ही भारत विरोधी संदेशों का भी प्रसार करते हैं जिससे चीन और खुश होता है।


बहरहाल, कुल मिलाकर इस सबसे मालदीव के चीन समर्थक राजनीतिज्ञों की जेबें भर जाती हैं लेकिन इससे उनके देश को नुकसान उठाना पड़ रहा है। मुइज्जू की चालों पर भारत की नजर की बात करें तो नई दिल्ली तब से ही काफी सतर्क है जबसे मुइज्जू ने राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। भारत जानता है कि उसके पड़ोसियों को फुसला कर चीन उसे चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रहा है इसलिए नई दिल्ली ने पहले ही अपना सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया है जिसे भेद पाना ड्रैगन के लिए मुश्किल है।


-नीरज कुमार दुबे

प्रमुख खबरें

दोस्त इजरायल के लिए भारत ने कर दिया बड़ा काम, देखते रह गए 193 देश

Nawada Fire: CM Nitish के निर्देश के बाद पुसिल का एक्शन, 16 लोगों को किया गिरफ्तार, पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग

Ukraine पहुंचे भारत के हथियार, रूस हो गया इससे नाराज, विदेश मंत्रालय ने मीडिया रिपोर्ट को बताया भ्रामक

Waqf Board case: आप विधायक अमानतुल्लाह खान की याचिका, दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी से रिपोर्ट मांगी