भारत-चीन तनाव के बीच इस बात की आशंका जताई जा रही है कि मौसम में परिवर्तन की तकनीक का चीन कोई गलत इस्तेमाल न करने लगे। इसके साथ ही इसके काफी दूर तक प्रभाव होने की वजह से चीन के अपने इलाके में बदलाव की कोशिशों का असर भारत में भी पड़ सकता है और मौसम ज्यादा विपरित हो जाए। उदाहरण के तौर पर चीन अपने यहां बारिश रोकने के लिए मौसम में छेड़छाड़ कर उसे कम करने की कोशिश करे और इसका असर भारत के उन इलाकों तक चला जाए जहां पहले से ही कम बारिश होती है। तो यहां सूखा पड़ने की संभावना है। नेशनल ताइवान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने तो यहां तक अनुमान लगा लिया कि कहीं चीन के इस विवादित प्रोजेक्ट से पड़ोसी देशों से बारिश की चोरी करने लगे और दूसरे देशों को सूखाग्रस्त बनाने लगे। इस तकनीक का असर गर्मियों में भारत में आने वाले मॉनसून पर भी पड़ेगा। यह मॉनसून इस पूरे इलाके के लिए बेहद अहम होता है।
पानी की कमी अब दुनिया भर के 3 बिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। लगभग 1.5 बिलियन लोग गंभीर जल संकट से जूझ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि, 2030 तक, पानी की कमी से 700 मिलियन लोग प्रभावित हो गए होंगे। और अगर वे सभी आंकड़े आपको चिंतित नहीं करते हैं, तो यह तथ्य कि निवेशकों ने पानी की कमी को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। सितंबर 2020 में यूएस की वॉल स्ट्रीट द्वारा राज्य में पानी की सप्लाई को लेकर वायदा कारोबार शुरू किया गया। ज़ाहिर है, दुनिया के सामने आने वाले कई जलवायु-संबंधी मुद्दों का सिर्फ एक हिस्सा है।
इस तकनीक को लेकर उठने वाले सवालों से बेपरवाह चीन ने इस पर भारी निवेश किया है। इसके चलते बढ़ते भूराजनैतिक विवादों के बीच चीन के पड़ोसी देशों में चिंताएं भी पैदा हो रही है।- अभिनय आकाश