By सुरेश एस डुग्गर | Jul 27, 2021
लगभग छह महीने पहले पीछे हटने के समझौते के बावजूद चीनी सेना ने पैंगांग झील के किनारे एक नया फारवर्ड बेस स्थापित कर वहां बड़े व भारी हथियारों का जमावड़ा किया है। हालांकि इस बेस के प्रति अलग अलग दावे हैं। यही नहीं ऐसे में जबकि देश करगिल विजय दिवस की 22वीं सालगिरह मना रहा है, लद्दाख के मोर्चे से बुरी खबर यह है कि कथित चीनी नागरिकों ने दमचोक इलाके में कई स्थानों पर टैंट गाड़ दिए हैं। भारत द्वारा उन्हें हटने की चेतावनी दिए जाने के बावजूद वे अभी भी वहीं टिके हुए हैं।
सैन्य सूत्र कहते हैं कि यह फॉरवर्ड बेस पैंगांग झील के किनारे एलएसी को पार कर भारतीय दावे वाले इलाके में बनाया गया है जबकि कुछ समाचार कहते थे कि यह एलएसी से मात्र दो किमी पीछे अक्साई चीन के इलाके में बनाया गया है। जानकारी के लिए बता दें कि चीन ने 1962 के युद्ध में लद्दाख सेक्टर में जिस भारतीय इलाके पर कब्जा कर लिया था उसे अक्साई चीन कहा जाता है। इस फॉरवर्ड बेस के प्रति मिलने वाली जानकारियों के बकौल, वहां गोला-बारूद के अतिरिक्त बड़े हथियारों का भंडारण चीनी सेना द्वारा किया गया है। जबकि एक सूचना यह भी कहती है कि पीएलए वहां एक हवाई पट्टी का निर्माण भी कर रही है।
हालांकि भारतीय पक्ष इस फॉरवर्ड बेस को बड़ा खतरा नहीं मानता था जिसका कहना था कि यह भारतीय ठिकानों से काफी दूरी पर है जिस कारण यह खतरा साबित नहीं हो सकता। पर सैन्य सूत्र कहते थे कि इसे भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने के इरादों से बेस के बतौर इस्तेमाल किया जा सकता है। जबकि इस बेस के प्रति एक कड़वी सच्चाई यह थी कि यह उस इलाके के बहुत ही करीब है जहां दोनों मुल्कों के बीच गश्त न करने का समझौता हुआ है। ऐसे में इसे खतरे के तौर पर न लेने की कवायद क्या रंग लाएगी यह तो समय ही बता पाएगा।
लद्दाख के मोर्चे पर दोनों सेनाओं की वापसी की खातिर होने वाली 12वें दौर की वार्ता 26 जुलाई को होनी थी पर करगिल विजय दिवस समारोह के कारण भारतीय सेना के आग्रह पर अब इसे आगे खिसका दिया गया है। तब तक यही आशंका है कि दमचोक में टेंट गाड़ने वाले कथित चीनी नागरिक वहीं टिके रहेंगे। सेना सूत्रों के मुताबिक, कुछ दिन पहले ही बड़ी संख्या में चीनी नागरिकों ने दमचोक में ‘घुसपैठ’ की है। हालांकि चीनी सेना उनकी घुसपैठ को घुसपैठ नहीं मानती क्योंकि एलएसी पर दोनों मुल्कों के बीच जो 10 विवादाग्रस्त इलाके हैं दमचोक भी उनमें से एक है। ‘अतः इन टेंटों को उखाड़ने की जब्री कार्रवाई नहीं की जा सकती, ऐसा एक सूत्र का कहना था। इतना जरूर था कि अधिकारी दावा करते थे कि टेंट गाड़ने वालों में चीनी खानाबदोशों के अतिरिक्त पीएलए के सैनिक नागरिकों के भेष में हैं।
मिलने वाली जानकारी कहती है कि इस संबंध में हॉटलाइन पर दोनों मुल्कों के सेनाधिकारियों के बीच बात तो हुई है पर भारतीय सेना फिलहाल इस इलाके में इसलिए नहीं जा पा रही है क्योंकि विवादित क्षेत्रों में पिछले एक साल से भारतीय सेना की गश्त पर लगा ‘प्रतिबंध’ अभी भी जारी है। अनुमानतः दस के करीब ऐसे विवादित क्षेत्र पहले से ही थे और पिछले साल चीनी सेना द्वारा लद्दाख के मोर्चे पर कई किमी तक भारतीय इलाके में घुसपैठ कर लिए जाने के बाद ऐसे आधा दर्जन के करीब और इलाके विवादाग्रस्त घोषित कर दिए गए।
-सुरेश एस डुग्गर