बैंकॉक| दक्षिण पूर्व एशिया में दबदबा बढ़ाने के चीन के प्रयासों के बीच क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दर्शाने के बाइडन प्रशासन के प्रयासों के तहत अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन थाईलैंड के दौरे पर हैं। ब्लिंकन रविवार को बैंकॉक में थाईलैंड के शीर्ष अधिकारियों और पड़ोसी म्यांमा के लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे।
उन्होंने थाई विदेश मंत्री डोन प्रमुदविनई के साथ अमेरिका-थाईलैंड के बीच ‘रणनीतिक सहयोग एवं साझेदारी’ का विस्तार करने के लिए एक समझौते पर दस्तखत भी किए।
ब्लिंकन इंडोनेशिया के बाली में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद थाईलैंड पहुंचे हैं, जहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत में बीजिंग की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और हठ को लेकर चिंता जताई थी।
अपने पूर्ववर्तियों की तरह बाइडन प्रशासन ने भी चीन के तीव्र विकास पर करीबी नजर रखी है और बीजिंग पर अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करने का दबाव बनाया है, जिसमें उसे ज्यादा सफलता नहीं मिली है।
ब्लिंकन ने शनिवार को कहा था कि यूक्रेन में युद्ध को लेकर रूस के लिए चीन का समर्थन नियम-आधारित व्यवस्था के लिए खतरा है तथा यह वाशिंगटन व बीजिंग के पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और अधिक जटिल बनाता है।
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, थाईलैंड यात्रा में दक्षिण-पूर्व एशियाई पड़ोसियों के खिलाफ चीन की बढ़ती आक्रामकता और क्षेत्र में अमेरिका की महत्वपूर्ण मौजूदगी बनाए रखने का मुद्दा ब्लिंकन के एजेंडे में शीर्ष पर है।
उन्होंने यह भी कहा कि ब्लिंकन म्यांमा के असंतुष्टों को समर्थन और प्रोत्साहन की पेशकश करेंगे, जिन्हें एक फरवरी 2021 को सेना द्वारा निर्वाचित सरकार से सत्ता हथियाए जाने के बाद देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
अमेरिका और समान विचारधारा वाले लोकतंत्र पिछले कुछ वर्षों से विकासशील दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को चीन के साथ तब तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा और विकास परियोजनाओं को लेकर समझौता करने से हतोत्साहित करने की कोशिश करते रहे हैं, जब तक कि वे आर्थिक रूप से व्यवहार्य, संरचनात्मक रूप से मजबूत और पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित साबित नहीं हो जाते।
ब्लिंकन ने बाली में कहा था, ‘‘हम देशों से चुनने के लिए नहीं कह रहे हैं, बल्कि निवेश, बुनियादी ढांचा और विकास सहायता आदि मामलों में उन्हें एक विकल्प दे रहे हैं। हर किसी के लिए ऐसा करने के वास्ते बहुत संभावनाएं हैं, क्योंकि आवश्यकताएं काफी अधिक हैं।’’
अमेरिका छोटे देशों को अनुचित या भ्रामक समझौतों का लालच देकर उनका शोषण करने का आरोप लगाते हुए चीन की आलोचना करता रहा है।