भारत-चीन संबंध खुद ठीक करने की क्षमता संबंधी जयशंकर का बयान आजादी का प्रतीक : वांग यी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 24, 2022

बीजिंग|  चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अपने भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर की उन टिप्पणियों की प्रशंसा की है, जिसमें उन्होंनेयूरोप के वर्चस्ववाद को अस्वीकार करते हुए कहा था कि चीन-भारत अपने संबंधों को दुरुस्त करने में ‘पूरी तरह से सक्षम’ हैं। वांग यी का कहना है कि जयशंकर की टिप्पणी भारत की ‘आजादी की परम्परा’ को दर्शाती है।

चीन में भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत के साथबुधवार को अपनी पहली बैठक में वांग ने कहा कि दोनों देशों को अपने रिश्तों की गर्मजोशी बरकरार रखने, उन्हें पटरी पर लाने तथा पहले जैसी स्थिति में पहुंचाने के लिए एक ही दिशा में प्रयास करना चाहिए।

विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट की गई टिप्पणियों में उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और चीन, भारत और विभिन्न विकासशील देशों के साझा हितों की रक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

वांग ने रावत से कहा, हाल ही में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्वजनिक रूप से यूरोपीय वर्चस्ववाद को नकारने और चीन-भारत संबंधों में बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप पर आपत्ति व्यक्त की।

यह भारत की स्वतंत्रता की परंपरा को दिखाता है। गत तीन जून को स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा में एक सम्मेलन में एक संवाद सत्र में, जयशंकर ने कहा था कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि उसकी समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं।

जयशंकर ने यूरोप की इस अवधारणा को खारिज कर दिया था कि यूक्रेन हमले को लेकर भारत के रुख की वजह से चीन के साथ किसी समस्या की स्थिति में उसे (भारत को) मिलने वाले वैश्विक सहयोग पर असर पड़ सकता है। जयशंकर ने कहा था कि भारत का चीन के साथ एक कठिन रिश्ता है, लेकिन यह इसे दुरुस्त करने में यह पूरी तरह से सक्षम है।

वांग ने रावत से कहा कि चीन और भारत दो महान प्राचीन पूर्वी सभ्यताएं हैं, दो प्रमुख उभरते विकासशील देश और दो प्रमुख पड़ोसी देश हैं।

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