इन तीन गंभीर संकटों से जूझ रहा चीन, अर्थव्यवस्था डूबने का बढ़ा खतरा

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By निधि अविनाश | Oct 05, 2021

इन तीन गंभीर संकटों से जूझ रहा चीन, अर्थव्यवस्था डूबने का बढ़ा खतरा

चीन देश इस समय तीन गंभीर मुसीबतों से जूझ रहा है। हिंदी ऑनलाइन मीडिया चैनल जागरण के हवाले से लिखी एक खबर के मुताबिक, चीन इस वक्त तीन सबसे बड़े संकंटों से जूझ रहा है जिसमें पहला है, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, दूसरा रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड पर वित्तीय संकट और तीसरा बिजली के उत्पादन में कमी। पहले संकंत के अतंगर्त बीआरआइ को लेकर दुनिया के कई देशों में ढांचागत परियोजनाएं निरस्त की जा रही है वहीं, चीन के रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड पर वित्तिय संकट छाया हुआ और और तीसरा बिजली के कम उत्पादन के कारण चीन के शहरों में पालर कट होने का खतरा बढ़ रहा है। बता दें कि इन तीनों में चीन के लिए सबसे बड़ा संकट बीआरआइ है। 

क्या है चीन का  बीआरआइ संकट

आपको बता दें कि, चीन ने  बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को सरप्लस पूंजी के निवेश के लिए बनाया गया था और पिछले 20 सालों में चीन का निर्यात काफी ऊंचा रहा और इसी के लिए चीन ने यह योजना बनाई थी। इस योजना के लिए चीन ने दुनिया के कई देशों से कर्ज उठाया ताकि अपने देश में बुनियादी संरचना को खड़ा किया जा सके लेकिन चीन की मुसीबत साल 2019 को बढ़ी जब विश्व बैंक ने चीन की बीआरआइ योजना का अध्ययन करना शुरू किया जिसमें पाया गया कि इस परियोजनाओं से स्थानीय देशों को काफी लाभ होगा। हालांकि, चीन की इस योजना में भारी भ्रष्टाचार शामिल है जिसको देखते हुए कई देश इस परियोजना से अपने आपको दुर करने में जुट गए है। बता दें कि मालदीव देश चीन के इस योजना का पूरा समर्थन करता आ रहा था लेकिन पिछले दिनों मालदीव में चुनाव हुए जिसके तहत प्रोग्रेसिव पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी ने जीत हासिल की और मालदीव की डेमोक्रेटिक पार्टी चीन के बीआरआइ योजना का हमेशा से विरोध करते नजर आई थी। वहीं मलेशिया के पीएम ने चीन की बीआरआइ योजना को उपनिवेशवाद का नया रूप बताया था। इसके अलावा  म्यांमार नइस परिचोजना से हट चुकी है और श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान ने भी परियोजनाओं को नया स्वरूप देने का आग्रह कर रहा है। चीन की बीआरआइ योजना से लाभ तो होगा लेकिन इसमें अभी भी कई खामियां है वहीं तअगर चीन की यह योजना सफल नहीं हो पाई तो इसका डूबना निश्चित है। वहीं भारत को अपनी भूमिका निभाते हुए इस पर बड़ा कदम उठाने की जरूरत है नहीं तो भारत का माल विश्व बजार में चीन की तुलना ज्यादा मंहगा हो जाएगा।

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चीन का दूसरा संकट एवरग्रैंड कंपनी 

चीन में कोरोना महामारी को देखते हुए कई फ्लैटों की बिक्री में कमी आई है जिससे एवरग्रैंड संकट बढ़ता जा रहा है। देश की इकॉमनी बचाने के लिए चीनी सरकार ने सरकारी इकाइयों को आदेश दिया है कि,एवरग्रैंड की परियोजनाओं को खरीद लिया जाए। इससे कंपनी को डूबने से बचाया जा सकता है।

चीन का तीसरा संकट बिजली

चीन के पीएम शी ने देश में प्रदूषण को कम करने के लिए थर्मल बिजली संयंत्रों का आदेश सुनाया। इन नियमों का पालन करने के चक्कर में देश के कई बिजली संयंत्रों को बंद करने का ऐलान किया गया, इससे बिजली का उत्पादन कम हो गया। कई बिजली कपंनियों ने बिजली देनी बंद कर दी, कई शहरों में पावर कट लागू किए गए। चीन का संकट उसकी खुद की गलती है। चीन स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने में लगा हुआ है जिसके तहत चीन ने यह सख्त कदम उठाया। 

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