U Kiss My A**! XI को Zelenskyy समझ लिया, जिस खेल को ट्रंप अभी खेल रहे, उसके लिए चीन ने सालों पहले शुरू कर ली थी तैयारी

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By अभिनय आकाश | Apr 10, 2025

U Kiss My A**!  XI को Zelenskyy समझ लिया, जिस खेल को ट्रंप अभी खेल रहे, उसके लिए चीन ने सालों पहले शुरू कर ली थी तैयारी

"दुनियाभर से नेता मुझे फोन लगा रहे हैं। दे आर किसिंग माय एस। डील करने के लिए मर रहे हैं। कह रहे हैं प्लीज, प्लीज डील कर लीजिए। हम आपके लिए कुछ भी करेंगे। हम कुछ भी करने को तैयार हैं।"

पिछले कुछ दिनों में दुनियाभर के स्टॉक मार्केट में भारी उथल पुथल चल रही है। डाओ जोंस, सेंसेक्स सब एक इंसान की वजह से हैरान-परेशान हैं। यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप और उनके फैसलों की वजह से सिर्फ और सिर्फ सोमवार यानी 7 अप्रैल के दिन पूरी दुनिया ने साढ़े नौ ट्रिलियन डॉलर का नुकसान झेला। साढ़े नौ ट्रिलियन डॉलर का मतलब भारत जैसी तीन इकोनॉमी के बराबर की जीडीपी का पैसा एक दिन में गायब हो जाता है। लेकिन अब आधी रात को ही ट्रंप ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 90 दिनों के लिए 75 देश पर रोक लगा दी है। वहीं प्रेसिडेंट शी जिनपिंग को अपने सामने न झुकता देख चीन पर लगा टैरिफ 125 प्रतिशत कर दिया गया, 100 साल में सबसे ज्यादा। ट्रंप के इस फैसले से सबसे बड़ा प्रभाव उस के शेयर मार्केट में देखने को मिला है। जिस तरह से हमारे यहां सेंसेक्स-निफ़्टी चलते हैं उसी तरह से डाओजोन्स अमेरिका के शेयर मार्केट को देखता है और उसी तरह एसएनपी 500 भी होता है। बताया जा रहा है कि जैसे ही ट्रम्प ने रेसिप्रोकल ट्ररीफ पर 90 दिनों के होल्ड का अनाउंस किया एसएनपी 500 एकदम से उछाल मार गया और 6% हाई चला गया। 

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टैरिफ के सहारे अमेरिका का वर्चस्व स्थापित करना चाहते ट्रंप

ट्रंप ने सोचा था कि टैरिफ लगाते ही वो अमेरिका का वर्चस्व वापिस स्थापित कर देंगे। अब लग रहा है कि जाने अनजाने में उन्होंने चीन को टैरिफ का एक अनमोल तोहफा दे दिया है। पिछले हफ्ते प्रेसिडेंट ट्रंप ने पूरी दुनिया में एक ग्लोबल ट्रेड वॉर की शुरुआत कर दी। अमेरिका ने दुनिया के हर देश पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया। ये टैरिफ तीन किस्म के थे। पहला बेस लाइन टैरिफ जो कि सीधा सीधा 10 प्रतिशत इंपोर्ट पर लगता है। इन नए टैरिफ का दूसरा भाग डिस्काउंटेड रेसिप्रोकल टैरिफ यूरोप, भारत, चीन, जापान जैसे देशों पर ये लगाया गया। वो देश जो ट्रंप के हिसाब से अमेरिकी सामानों पर हाई टैरिफ लगाते हैं। अमेरिका इन देशों से सामान भारी भरकम डॉलर देकर खरीदता तो है, लेकिन इन्हें बेचता कुछ ज्यादा नहीं है। ये रेसिप्रोकल टैरिफ 1 % से 40 % का था। इसी के तहत चीन पर पहले 34 % रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया गया था। 

सुलह चाहने वाले देशों पर क्या भद्दा बयान दिया

उद्देश्य ये था कि सारे देश ट्रंप के पास आए और अपने घुटनों पर आकर कहें कि हुजूर दया करें हम पर। ट्रंप ये कह रहे हैं कि दुनियाभर से लीडर्स उन्हें फोन लगा रहे हैं। चाटुकारिता कर रहे हैं। डील करने के लिए मरे जा रहे हैं। यहां पर व्यापार से जुड़ी डील करने की बात हो रही है, जिससे टैरिफ का असर खत्म हो जाए। व्यापार की बात को थोड़ा परे रख अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भाषा की बात करें तो ट्रंप ने एक फ्रेज किस माई एस इस्तेमाल किया। देश-दुनिया पर आय-बाय-साय टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप ने ऐसा कहा तो लोगों को कुछ कहानियां याद आई। याद आए अमेरिका के महान टेनिस खिलाड़ी जॉन मैकेनरो जिन्होंने एक दर्शन से भी यही कहा था। अमेरिका के बास्केटबॉल कोच बॉब नाईट भी याद आए जिन्होंने ने भी ऐसा ही कुछ कहा था। उन्होंने कहा था कि मैं चाहता हूं कि जब मैं मरूं तो मुझे उल्टा दफनाया जाए। ताकी मेरे आलोचक यानी माई क्रिटिक कैन किश माई एस। साथ ही याद आया एक ट्रिविया बॉब नाइट ट्रंप के फेवरेट हैं। 14 मार्च को एक भाषण में 10 मिनट तक उन्होंने बॉब की प्रशंसा भी की थी। 27 अक्टूबर 2024 की तारीख को ट्रंप ने चीन के लिए भी इसी भाषा का इस्तेमाल किया था। तब वो चुनाव के लिए कैंपेनिंग कर रहे थे। 

ट्रंप को लगा चीन डर जाएगा

अब ये फ्रेज ट्रंप ने किस देश के लिए इस्तेमाल किया ये तो साफ नहीं किया। हां लेकिन चीन इनमें तो नहीं ही है क्योंकि उसने तो उल्टा अमेरिका को भी मानो कह दिया हो यू किस माई एस। चीन ने पहले अमेरिका के ऊपर 34 % का रिटैलेट्री टैरिफ मार दिया। चीन की इस हिमाकत को देखकर तिलमिलाते हुए ट्रंप ने चीन पर 50% का एक्ट्रा टैरिफ मार दिया। लेकिन चीन कहां पीछे रहने वाला था। उसने पलटवार करते हुए अमेरिका के खिलाफ 50% टैरिफ बढ़ा दिया। पहले चीन की तरफ से 34% का टाइप हुआ करता था उसमें उसने 50% का और इजाफा कर दिया। अब आधी रात को चीन पर टैरिफ बढ़ा दिया। चीन पर कुल टैरिफ 125 प्रतिशत का हो गया है। 

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जिनपिंग जेलेंस्की नहीं पुष्पा निकले- झुकेगा नहीं

ये खेल रुकने वाला नहीं है। लेकिन ट्रंप की माने तो ये एक निगोशिएन टैक्टिस है। चीन बातचीत के मेज पर आएंगे और अमेरिका से खासकर ट्रंप से बात करेंगे तो सारी चीजें खत्म हो जाएंगी। लेकिन शी  कोई जेलेंस्की तो हैं नहीं कि आपने उनको व्हाइट हाउस में बुलाया और कोर्ट पैंट नहीं पहनने और थैक्यू नहीं बोलने पर ट्रंप सेंड जेलेंस्की होम विद नो मील एंड नो डील वाली हेडलाइन छपवाकर बाहर भेज दो। क्या हो अगर चीन अमेरिका के सामने झुकने से इनकार कर देता है और उल्टा ही अमेरिका के सामने एक मोर्चा खोल दे। चीन न सिर्फ अमेरिका के खिलाफ ये ट्रेड वॉर लड़ने के लिए तैयार है बल्कि सालों से इसी मौके का तलाश करता आया है। 

चीन की ट्रेड वॉर को लेकर तैयारी

नवंबर में ही यूएस प्रेसिडेंशियल इलेक्शन जीतने के बाद से ही बीजिंग ने समझ लिया था कि समस्या तो आने वाली है। उसने इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी थी। पहले तो उसने दिसंबर 2024 में अमेरिका के क्रिटिकल मिनिरल्स सप्लाई पर रोक लगा दी थी। चीन ने गैलियम, जर्मेनियम, और एंटीमनी जैसे कुछ महत्वपूर्ण खनिजों के अमेरिका को निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। सेमीकंडक्टर से लेकर ईवी बैट्री और फाइबर औप्टिक, सोलर सेल्स, बुलेट और दूसरे हथियार बनाने के लिए भी ये महत्वपूर्ण खनिजों की जरूरत होती है। ट्रंप के इनोग्रेश डे पर शपथ के बाद ही चीन पर टैरिफ लगाना शुरू करते हैं तो चीन भी अमेरिकी निर्यात पर गैस, एग्रीकल्चर प्रोडक्ट, ऑयल पर टैरिफ बढ़ाना शुरू कर दिया। इसके साथ ही कुछ अमेरिकी डिफेंस कंपनी को अनरिलाइबल लिस्ट में डालना शुरू किया। ट्रंप पर प्रेशर बनाना शुरू कर दिया। गूगल जैसी कंपनी एंटी ट्रस्ट इंवेस्टिगेशन लॉन्च करने की मांग कर दी। दुनिया आज ट्रंप की टैरिफ को दंग होकर देख रही है। चीन को ध्वस्त करने के मास्टरस्ट्रोक के रूप में इसे देखा जा रहा है। चीन ने ट्रंप के पहले टर्म में ही टैरिफ का खेल देख लिया था और तब से ही उन्होंने अपनी स्ट्रैर्जी बदलनी शुरू कर दी थी। चीन डोमेस्टिक कैपसिटी बिल्डिंग को और मजबूत बनाने में जुटा है। ताकी ट्रंप के मनमाने फैसलों का असर चीन पर सबसे कम पड़े। 


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