भारतीय चुनाव आयोग की तरफ से लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया। प्रचार-प्रसार की सरगर्मियां भी तेज हो गई। लेकिन तनाव में चीन आ गया है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव रूपी महापर्व की तैयारी चल रही है। लेकिन चीन भारत के चुनावी फिजाओं को देख कर चक्कर में पड़ गया है। दरअसल, चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स भारत के चुनाव पर जहर उगलता लिख रहा है कि भारत में सात चरण का आम चुनाव 19 अप्रैल को शुरू होने वाला है और नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे। नरेंद्र मोदी लगातार तीसरा कार्यकाल चाह रहे हैं। चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग अच्छे से जानते हैं कि भारत में ही नहीं पीएम मोदी की गारंटी पूरे विश्व में गूंज रही है। दुनिया अब भारत को सुनती ही नहीं मानती भी है। ऐसे में मोदी 400 पार के नारे के साथ जीत की हैट्रिक लगाते हैं तो सबसे ज्यादा मुश्किल चीन जैसे देशों को होगी।
ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि चीन-भारत आर्थिक और व्यापार संबंधों में निरंतर सुधार चीनी मीडिया के लिए ध्यान का केंद्र रहा है। 2023 में, चीन-भारत द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा $136.22 बिलियन थी, जो साल-दर-साल 1.5 प्रतिशत की वृद्धि थी, जिसमें से भारत में चीन का निर्यात $117.68 बिलियन तक पहुंच गया, जो साल-दर-साल 0.8 प्रतिशत अधिक था, जबकि भारत से चीन का आयात था। $18.54 बिलियन, साल-दर-साल 6 प्रतिशत अधिक। भारत चीन के साथ व्यापार घाटे में निरंतर वृद्धि को लेकर बहुत चिंतित है, लेकिन यह चीन और भारत के बीच व्यापार की पूरकता को दर्शाता है, और विदेशी व्यापार में भारत की निरंतर वृद्धि को चीनी विनिर्माण द्वारा समर्थित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही चीन के सरकारी भोंपू ने भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का जिक्र भी किया है। ग्लोबल टाइम्स ने अरुणाचल प्रदेश को ज़ंगनान क्षेत्र बताते हुए कहा कि 9 मार्च को चीन के का दौरा करने का मोदी का इरादा इसका उदाहरण है। जांगनान का इलाका चीनी क्षेत्र है। चीनी सरकार ने भारत द्वारा अवैध रूप से स्थापित तथाकथित "अरुणाचल प्रदेश" को कभी मान्यता नहीं दी है और इसका दृढ़ता से विरोध करती है।
चीन का डर बता रहा है कि वो भारत के चुनाव से कितना भयभीत है। भारत में 97 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे और अपनी नई सरकार चुनेंगे। इस बात पर भी ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत में होने वाले इस चुनाव पर चीनी मीडिया काफी ध्यान दे रही है। भारत चीन का पड़ोसी देश है और दोनों देशों के बीच अक्सर सीमा विवाद होते रहते हैं। असल में चीन का दुखड़ा ये भी है कि भारत ने कई चालबाज चीनी कंपनियों पर स्ट्राइक की है। चीनी सरकार का मुखपत्र लिखता है कि पिछले कुछ समय से भारत सरकार ने चीनी कंपनियों से निपटने में कुछ अनुचित कदम उठाए हैं। जिससे चीनी कंपनियों और चीनी लोगों में तीव्र असंतोष पैदा हुआ है।