By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 08, 2021
चीन और श्रीलंका के बीच पनप रहे दोस्ताना रिश्तों में गहरी दरार पड़ गयी है। दोनों देशों के बीच गतिरोध का कारण चीनी एम्बेसी के द्वारा श्रीलंका के सबसे बड़े बैंक ‘पीपुल्स बैंक’ को ब्लैकलिस्ट किया जाना है। चीन के दूतावास ने एक पेमेंट को लेकर ये एक्शन लिया है। दरअसल, श्रीलंका की एक सरकारी कंपनी को चीन की एक कंपनी को पेमेंट करना था। यह पेमेंट पीपुल्स बैंक के जरिए होना था। 49 लाख डॉलर का यह पेमेंट बैंक कर नहीं पाई। इसके बाद चीन ने इस बैंक को ही ब्लैकलिस्ट कर दिया।
पेमेंट को ले कर शुरू हुआ विवाद
दोनों देशों के बीच यह नया विवाद पेमेंट्स को लेकर शुरू हुआ है। कई मामलों में पचले भी इस तरह के विवाद हो चुके हैं। इस बार मामला फर्टिलाइजर के एक शिपमेंट के पेमेंट को लेकर हुआ है। श्रीलंका की सरकारी कंपनी सीलोन फर्टिलाइजर कंपनी को चीन की सीविन बायोटेक को पेमेंट करना था। श्रीलंकाई कंपनी ने जब इस प्रोडक्ट की जांच की तो इसमें काफी मिलावट पाई गई। श्रीलंकाई कंपनी ने कोर्ट का रुख किया और बाद में कोर्ट के आदेश पर बैंक ने पेमेंट रोक दिया। बैंक के मुताबिक- दोनों पार्टियों की सहमति से ही पेमेंट किया जा सकता है। इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। लिहाजा पेमेंट रोक दिया गया।
क्या है चीन का पक्ष
चीनी एम्बेसी ने इस मामले को लेकर श्रीलंका में मौजूद तमाम चीनी कंपनियों को एक पत्र लिखा। कहा- पीपुल्स बैंक की तरफ से कोई भी लेटर ऑफ क्रेडिट स्वीकार न करें। वहीं श्रीलंका के राष्ट्रपति ऑफिस ने भी साफ कर दिया कि चीन से आए शिपमेंट में घातक बैक्टीरिया पाए गए थे, लिहाजा उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता था।
श्रीलंका की मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर ने भी साफ कर दिया कि इस तरह के किसी भी फर्टिलाइजर को देश में उतारने की मंजूरी नहीं दी जाएगी।
चीन फर्टिलाइजर की टेस्टिंग का कहना है कि फर्टिलाइजर की नए सिरे से चीन के लैब में जांच कराई जाए। इस प्रस्ताव को श्रीलंका के एग्रीकल्चर मिनिस्टर ने साफ तौर पर खारिज कर दिया है।