By अनन्या मिश्रा | Aug 24, 2023
बदलते मौसम में बच्चे बहुत जल्दी बीमार हो जाते हैं। उन्हें सर्दी-जुकाम, बुखार व निमोनिया आदि बीमारियां हो जाती है। बता दें कि यह एक संक्रामक रोग है। इसका इलाज घरेलू उपायों से नहीं किया जा सकता है। लेकिन संक्रमण से बच्चे को बचाने के लिए आप घरेलू उपायों को अपना सकती हैं। इन उपायों को करने से बच्चा निमोनिया व अन्य बीमारियों से बचा रहेगा। सर्दी के मौसम में वायरस और बैक्टीरिया के कारण बच्चों को निमोनिया हो जाती है। आइए जानते हैं कि आप किस तरह से अपने बच्चों का संक्रमण से बचाव कर सकते हैं।
क्यों होता है निमोनिया
बता दें कि निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण होता है। यह वायुमार्ग को बाधित करता है, जिससे फेफड़ों में मौजूद वायु थैलियों में तरल भर जाता है और सूजन आ जाती है। इस बीमारी में व्यक्ति को बलगम, कफ, खांसी और बुखार आदि की समस्या होती है। अधिकतर यह समस्या कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को होती है।
बच्चों में निमोनिया के लक्षण
खांसी आना
बलगम होना,
बुखार होना (कंपकंपी आना)
सांस लेने में परेशानी होना,
खांसते समय सीने व गले में दर्द होना।
बच्चों को निमोनिया से बचाने के उपाय
आमतौर पर मौसम के बदलते ही बच्चों को निमोनिया आदि की समस्या हो जाती है। सर्दियों के मौसम में लापरवाही बरतने के कारण बच्चे निमोनिया व अन्य संक्रामक रोगों की चपेट में आ जाते हैं। लेकिन कुछ घरेलू उपायों को करने से बच्चे को इन रोगों से सुरक्षित रखा जा सकता है।
हल्दी का सेवन करें
हल्दी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण बच्चों को सर्दियों में वायरस से सुरक्षित रखती है। अगर बच्चा बड़ा है तो आप उसे हल्दी वाला दूध भी दे सकती हैं। वहीं अगर बच्चा छोटा है तो आप हल्दी को पानी में गर्म करके बच्चे के सीने पर मालिश करते हुए लगाएं। इससे बच्चे का संक्रामक रोगों से बचाव होगा।
लौंग का पानी
अगर आपके बच्चे की उम्र 10 साल से अधिक है, तो आप उसें लौंग का पानी दे सकती हैं। सबसे पहले पानी में 2-3 लौंग और काली मिर्च डालकर अच्छे से उबाल लें। फिर आधा कप हल्का गुनगुना पानी बच्चे को पीने के लिए दें। इसके अलावा आप बच्चे की छाती पर लौंग के तेल से मालिश भी कर सकती हैं। इससे बच्चा निमोनिया से सुरक्षित रहेगा।
तुलसी का काढ़ा
तुलसी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। निमोनिया के खतरे से बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए तुलसी के पत्तों के रस के साथ काली मिर्च मिला दें। इस रस को बच्चे को पीने के लिए दें। तुलसी में मौजूद एंटीइंफ्लेमेट्री गुण बच्चे को वायरल रोगों से बचाते हैं।
लहसुन भी होता है लाभकारी
कफ की समस्या को दूर करने के लिए लहसुन का उपयोग किया जाता है। इसके लिए लहसुन की कुछ कलियों का पेस्ट बना लें। फिर रात में सोने से पहले इस पेस्ट को बच्चे के सीने पर लगाएं। इस पेस्ट को लगाने से बच्चे को गर्माहट मिलती है और कफ बाहर आने लगता है।