By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 26, 2020
नयी दिल्ली। भाजपा नेता और छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सबसे पहले प्रभासाक्षी को 19 सफल वर्ष पूरे करने के लिए शुभकामनाएं दी। इस दौरान उन्होंने संस्कृत की भी बात कही और कहा कि जहां पर पूजा-पाठ की बात आती है वहां पर संस्कृत में ही उच्चारण होता है। रामायण, गीता जैसे ग्रंथों का मूल लेखन संस्कृत भाषा में ही हुआ है।
धरमलाल कौशिक ने छत्तीसगढ़ी भाषा पर बातचीत करने से पहले स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया और कहा कि उन्होंने ही छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद, यहां पर जोगी जी पहले मुख्यमंत्री बने और फिर रमन सिंह मुख्यमंत्री बने।
धरमलाल कौशिक ने बताया कि 2005 में छत्तीसगढ़ी को यहां की भाषा के तौर पर अपनाया गया और फिर डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग का भी गठन हो गया था। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी को लगातार बढ़ावा देने का कार्य चल रहा है और यहां की मूल भाषा छत्तीसगढ़ी ही है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी राज भाषा बन गई लेकिन अभी तक वह कामकाज की भाषा नहीं बन पाई और हम इसको लेकर प्रयास जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि आज छत्तीसगढ़ में न सिर्फ छत्तीसगढ़ के लोग हैं बल्कि मिनी हिन्दुस्तान है। यहां पर बिहार, बंगाल से लेकर पूरे हिन्दुस्तान के लोग हैं। अगर इन लोगों को किसी ने छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान दिया तो वह दूध वाले लोग हैं और मैं प्रभासाक्षी के माध्यम से इन लोगों को धन्यवाद देता हूं।
विधानसभा में छत्तीसगढ़ी भाषा के इस्तेमाल का जिक्र करते हुए कहा कि लोकसभा की सूची में भी छत्तीसगढ़ी भाषा को जोड़ी जाए और इसके लिए हमारे सांसद आवाज उठा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जैसे हमारी छत्तीसगढ़ी की पहचान बनी है वैसी ही हमारी बोली की भी पहचान बनी है। उन्होंने आगे कहा कि हिन्दी भाषा कभी भी छत्तीसगढ़ी भाषा से नहीं टकराएगी और दोनों साथ-साथ चलेंगी। जैसे हिन्दी हमारी माता है तो छत्तीसगढ़ी मौसी की तरह है।
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26 Oct, 20
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