By दिव्यांशी भदौरिया | Nov 05, 2024
छठ पर्व कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से प्रारंभ होता है और कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके अगले दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन होता है। छठ पूजा 4 दिवसीय पर्व है। महिलाएं छठ पूजा के दौरान 36 घंटे का निर्जला व्रत करती है। नहाय-खाय से छठ पूजा का आरंभ आज से हो चुका है। अगर आप छठ पूजा का व्रत रख रहे हैं तो इन नियम और बातों को ध्यान जरुर रखें। छठ पूजा का व्रत परिवार में सुख-समृद्धि और संतान की सुरक्षा के साथ अच्छी सेहत के लिए किया जाता है। चलिए आपको बताते हैं छठ पूजा के नियम और जरुरी बातें।
घर में सात्विक भोजन ही बनाएं
छठ पूजा का व्रत करने वाले इस बात ध्यान रखें कि घर केवल सात्विक भोजन ही बनाएं। घर में बिना लहसुन और प्याज के भोजन बनाएं। छठ पूजा के दौरान सात्विक भोजन खाएं, सभी परिवार के सदस्य लुहसन और प्याज न खाएं। ऐसा करने से मन में श्रद्धा भाव बना रहता है और सुविचार आते हैं।
व्रत करने वाली महिलाओं के लिए नियम
छठा पूजा में जो महिलाएं व्रत रखती है वो लोग इस नियम का पालन जरुर करें। छठ पूजा व्रत में 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है, इस दौरान भूलकर भी पानी नहीं पिया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस नियम के पालन करना बेहद जरुरी होता है। अगर व्रत के दौरान पानी पी लिया, तो व्रत को खंडित माना जाता है और आपको पूजा का लाभ नहीं मिलता है। ध्यान रखें कि इस व्रत में पानी न पिएं। जो लोग छठ पूजा का व्रत का नियम का पालन कर सकें वो ही लोग व्रत रखें।
पूजा में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें
छठ पूजा में विशेष तौर पर साफ-सफाई ख्याल रखा जाता है। खासकर महिलाएं नए वस्त्र पहनें। जब आप छठ का प्रसाद बनाएं, तो इससे पहले उस जगह को अच्छे साफ कर लें। जिस जगह पर आपको पूजा करनी है उस स्थान को गंगाजल से पवित्र कर लें।
इन बातों का भी रखें ध्यान
- छठ पर्व के दौरान रोजाना जल्दी उठकर स्नान करें और फिर पूजा अनुष्ठान शुरु करें।
- छठ पूजा में भोग और प्रसाद बनाते समय साधारण नमक का प्रयोग न करें, सेंधा नमक ही डालें।
- भूलकर भी इस दौरान घर में शराब और मांसाहार नहीं लाना चाहिए।
- इस दौरान नहाने के बाद घर की महिलाएं रोजाना नारंगी रंग का सिंदूर ही लगाएं।
- पूजा करते समय भगवान सूर्य और छठी मैया को दूध अर्पित करें।
- पूजा में फटी और पुराने टोकरी का प्रयोग न करें। हमेशा साफ और नई टोकरी लेकर पूजा करें।