By रितिका कमठान | Nov 20, 2024
पूरे 38 साल पहले सोवियत संघ के चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में भयानक हादसा हुआ था, जो कि 26 अप्रैल 1986 को हुआ था। ये घटना ऐसी घटना थी जिसे कोई नहीं भूल सकता है। इस घटना को मूल रूप से चेर्नोबिल परमाणु हादसे के तौर पर जाना जाता है। इस घटना का जिक्र यहां इसलिए हुआ है क्योंकि जिस तरह से हादसे के दौरान चेरनोबिल का आसमान नीले से अलग रंग का हो गया था वैसा ही अब भी हुआ है। नोएडा का आसमान नीले नहीं बल्कि पीले रंग का दिखाई दिया है।
इस पीले आसमान का फोटो दिल्ली-एनसीआर के एक निवासी की बालकनी से लिया गया है। पीले आसमान की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, क्योंकि कई यूजर्स ने इस फोटो की तुलना 'पोस्ट-एपोकैलिप्स' हॉलीवुड फिल्मों से की है। एक्स यूजर @BromActivist द्वारा शेयर की गई पोस्ट में कहा गया कि एक फ्रेंड के घर की बालकनी से लिया गया फोटो है। इसमें राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंचने के कारण आसमान में धुंध छाई हुई दिखाई दे रही थी। पोस्ट में लिखा था, "एक दोस्त ने नोएडा में अपनी बालकनी से यह नजारा भेजा है।" इस फोटो को करीब 10 लाख बार देखा गया और इस पर यूजर्स के कमेंट्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यूजर्स दिल्ली एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता को देखकर बेहद हैरान रह गए है। यूजर्स ने दावा किया कि उन्हें आपदा फिल्मों की याद आ गई।
एक यूजर ने लिखा, "इंटरस्टेलर को इफेक्ट्स का इस्तेमाल करने के बजाय यहीं फिल्माया जाना चाहिए था। एक अन्य यूजर ने लिखा कि मुझे लगने लगा है कि हॉलीवुड भारत में फिल्म बनाते समय फिल्टर का इस्तेमाल नहीं करता, यह बस ऐसा ही दिखता है।" कई हैरान यूजर्स ने इस डरावने दृश्य की तुलना ड्यून, मैड मैक्स, कल्कि 2898 ई. और यहां तक कि चेरनोबिल परमाणु आपदा स्थल जैसी फिल्मों के स्टिल्स से भी की।
उनमें से कुछ ने आरोप लगाया कि हवा को और अधिक जहरीला दिखाने के लिए फ़िल्टर का उपयोग करके पोस्ट को संपादित किया गया है। पोस्ट को शेयर करने वाले एक्स यूजर ने स्पष्ट किया कि नोएडा के दूसरे वीडियो में भी इसी तरह के दृश्य देखे गए थे। "चूंकि आप में से कई लोग पूछ रहे हैं कि क्या इस तस्वीर को कैप्चर करते समय किसी फ़िल्टर का उपयोग किया गया है? इसका उत्तर है - नहीं।"