Kamada Ekadashi 2023: भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए एकादशी को करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

By अनन्या मिश्रा | Apr 01, 2023

आज यानि की 1 अप्रैल 2023 को कामदा एकादशी मनाई जा रही है। चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। ज्योतिषियों के अनुसार, 1 अप्रैल की रात 12:28 मिनट पर कामदा एकादशी शुरू होकर अगले दिन 2 अप्रैल को रात 02:49 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। एकादशी के दिन उपवास भी रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। 


धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से दुख और संकट समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। ऐसे में अगर आप भी एकादशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु की विशेष कृपा पाना चाहते हैं। तो एकादशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप जरूर करें। 

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1.


शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं


विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।


लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्


वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥


2.


रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।


या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥


या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।


सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥


3.


ॐ नमो भगवते वासुदेवाय


श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।


ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।


ॐ हूं विष्णवे नम:


4.


देवानाम च ऋषिणाम च गुरुं कांचन सन्निभम।


बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।


5.


रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,


विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।


पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,


विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।।


6.


दन्ताभये चक्र दरो दधानं,


कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।


धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया


लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।


7.


ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।


ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।


8.


ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।


यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।


9.


श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।


हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।


10.


ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

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