By अनन्या मिश्रा | Apr 29, 2025
बच्चे का गुस्सैल होना
अगर बच्चे में एंग्जायटी की समस्या की समय रहते पहचान न की जाए, तो इसका सीधा असर बच्चे के लिए बिहेवियर पर देखने को मिलता है। बच्चा गुस्सैल हो जाता है किसी भी काम को करने से पहले झुंझलाते या फिर घबराते हैं।
तैयारी के बाद भी एग्जाम में जाने से डरना
एंग्जायटी की समस्या से गुजरने वाले बच्चों के अंदर एग्जाम को लेकर डर बैठ जाता है। अच्छी तैयारी होने के बाद भी उनको लगता है कि वह अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाएंगे। कई बार वह परीक्षा न देने के लिए बहाने ढूंढते हैं या फिर उससे बचने का प्रयास करते हैं। अच्छी तैयारी होने के बाद भी वह खुद पर भरोसा नहीं कर पाते हैं।
घर से बाहर जाने में घबराहट
अगर बच्चा घर से बाहर जाने में कतराता है या किसी पार्टी व रिश्तेदार के यहां जाने से बचता है या फिर कई बार शॉपिंग पर जाने से मना करना। बच्चे का स्कूल जाने की इच्छा नहीं होना और न अपने दोस्तों से मिलना।
भूख और नींद कम होना
बता दें कि एंग्जायटी का असर बच्चे की नींद और भूख पर भी देखने को मिलता है। पहले जिन खेलों या एक्टिविटी में हिस्सा लेने के लिए बच्चा आगे रहता था, अब उसमें वह हिस्सा लेने से पीछे हट जाता है। या फिर डांसिंग, सिंगिंग या ड्राइंग जैसी मनपसंद एक्टिविटी में मन नहीं लगना।
एंग्जायटी के लक्षण
पेट दर्द या सिरदर्द की शिकायत
जी घबराना या उल्टी होना
सांस लेने में तकलीफ
ज्यादा पसीना आना
ऐसे पहचानें पेरेंट्स
पहले जिन कामों को करने में बच्चा दिलचस्पी दिखाता था, अब उन्हीं कामों को वह बोझ समझने लगा है।
बच्चा अगर किसी काम को करने से पहले ही यह कह दे कि वह मुझसे नहीं होगा।
बच्चे का बार-बार बीमार पड़ना और रात में नींद कम आना।
बच्चे का बाहर जाने से मना करना।
किसी से मिलने-जुलने में कंफर्टेबल फील नहीं करना।
काम को न करने के लिए बच्चे द्वारा नए-नए बहाने बनाना।
जानिए क्या करें पेरेंट्स
बच्चे के व्यवहार में बदलाव देखने के बाद पेरेंट्स उनसे ज्यादा से ज्यादा बात करने का प्रयास करें। साथ ही यह भी प्रयास करें कि आखिर बच्चा किस बात को लेकर परेशान हो रहा है। इसलिए बच्चे की बात को बेफिजूल मानकर नहीं टालना चाहिए। बच्चे को ऐसे फील कराएं कि आप उनका साथ हर स्थिति में देंगे। बच्चे के आसपास रहें और उनको कंफर्टेबल फील कराने का प्रयास करें। उनकी डाइट का ध्यान रखें। बच्चे की सेहत पर यदि एंग्जायटी का ज्यादा असर नजर आने लगा है तो किसी अच्छे साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर से बात करने में बिल्कुल भी देर नहीं करें।