Chai Par Sameeksha: Maharashtra, Jharkhand में विकास की बजाय Hindu-Muslim Politics क्यों हो रही है?

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By अंकित सिंह | Nov 11, 2024

Chai Par Sameeksha: Maharashtra, Jharkhand में विकास की बजाय Hindu-Muslim Politics क्यों हो रही है?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, झारखंड विधानसभा चुनाव और जम्मू-कश्मीर विधानसभा सत्र के दौरान हुए हंगामे पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक नीरज दुबे ने कहा कि विधानसभा चुनावों में विकास की जगह हिंदू-मुस्लिम राजनीति का होना दर्शाता है कि राजनीतिक दल समाज को एकजुट करने की बजाय विभाजित करने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। 

 

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रज दुबे ने कहा कि विपक्ष जिन मुद्दों को पिछले दो सालों से उठता रहा है, वही मुद्दे पर महाराष्ट्र और झारखंड में भी उठा रहा है। हालांकि भाजपा ने समय और राज्यों के हिसाब से अपने मुद्दों को बदला है। विपक्ष आज भी जातिगत जनगणना और भाजपा आरएसएस का मुद्दा उठा रही है। लेकिन भाजपा स्थानीय मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ती हुई दिखाई दे रही है। यही कारण है कि भाजपा को हरियाणा में फायदा हुआ। नीरज दुबे ने कहा कि हरियाणा चुनाव ने विपक्ष के एक मुद्दे को कम कर दिया और वह मुद्दा था अग्निवीर। अग्निवीर मुद्दे को विपक्ष ने हरियाणा में जोर-जोर से उठाया था। लेकिन उसे वहां मुंह की खानी पड़ी थी।


महाराष्ट्र चुनाव को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि कहीं ना कहीं यह चुनाव अपने आप में कई सवालों का जवाब देगा। महाराष्ट्र एक महत्वपूर्ण राज्य है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई भी यही है। यही कारण है कि भाजपा हो या विपक्षी दल, लगातार वहां अपनी पूरी मेहनत कर रहे हैं। महाराष्ट्र की उपयोगिता इस बात से ही आप समझ सकते हैं कि कैसे वहां चुनावी जीत के लिए हर ओर से पूरी ताकत लगाई जा रही है। नीरज दुबे ने कहा कि महाराष्ट्र हो या झारखंड हम देख रहे हैं कि दोनों राज्यों में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से मुफ्त के वादे किए जा रहे हैं जो कि देश के लिए कहीं ना कहीं ठीक नहीं है।



नीरज दुबे ने कहा कि राजनीतिक दल को वैसे ही वादे करने चाहिए जिसे पूरा किया जा सकता है। कांग्रेस के लिए यह मुसीबत बनती जा रही है। कांग्रेस ने तेलंगना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में जो वादे किए थे, उसे पूरा नहीं किया है। यह कांग्रेस के लिए सिर दर्द साबित हो रहा है। बावजूद इसके कांग्रेस सतर्क होती दिखाई नहीं दे रही है। नीरज दुबे ने कहा कि महाराष्ट्र, झारखंड चुनाव हिंदू वोटो को लामबंद करने की भी कोशिश है। यही कारण है कि भाजपा की ओर से एक है तो सेफ है और बटेंगे तो कटेंगे के नारे दिए जा रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तमाम सभा में इन तारों को उठा रहे हैं। लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि आखिर इन तारों को जनता कितना पसंद कर रही है। लेकिन यह बात भी सच है कि हरियाणा में यह नारा बीजेपी का चल गया था।

 

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महाराष्ट्र में भाजपा के लिए राहत की बात यह भी है कि आरएसएस अब उसके प्रचार में उतर आया है। आरएसएस के 65 से ज्यादा संगठन भाजपा और उसके सहयोगी दलों के लिए राज्य में प्रचार कर रहे हैं। राज्य में बटेंगे तो कटेंगे जैसे नारे भी उनकी ओर से लगाए जा रहे हैं ताकि हिंदू वोटो को पूरी तरीके से एकजुट रखा जा सके और जो गलतियां लोकसभा चुनाव के दौरान हुई थी उसे कम किया जा सके। महाराष्ट्र शुरू से हिंदू वोटो को एकजुट रखने का प्रयोगशाला रहा है। हमने देखा कि यही बाला साहब ठाकरे की हिंदुत्व की राजनीति चली है लेकिन आज वही बाला साहब ठाकरे की पार्टी दो दलों में बंट गई है और कहीं ना कहीं असली बालासाहेब ठाकरे का उत्तराधिकारी कौन है, इस बात का भी पता इस महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे के बाद ही सामने आएगा।


झारखंड को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि यहां भाजपा लगातार बांग्लादेशी घुसपाठिए का मुद्दा उठा रही है। भाजपा को पता है कि यहां डेमोग्राफी अचानक बदल रही है। यह आने वाले दिनों के लिए बेहद खतरनाक संकेत है। यही कारण है कि आदिवासी वोटो को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा लगातार यह कह रही है कि हम बांग्लादेशी घुसपाठिए को यहां से भगाएंगे।


जम्मू कश्मीर विधानसभा में 370 को लेकर हो रहे बवाल पर नीरज दुबे ने कहा कि भले ही प्रस्ताव पास हो गया है। लेकिन यह महज सांकेतिक है। इसकी कोई वैल्यू नहीं रहने वाली है क्योंकि अभी भी जम्मू कश्मीर के विधानसभा के पास सीमित पावर है। नीरज दुबे ने कहा कि केंद्र सरकार को यह पहले से पता था कि अगर यह लोग सत्ता में आते हैं तो इनकी सोच क्या है। इसी वजह से अब तक के जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया गया है। नीरज दुबे ने उमर अब्दुल्ला सरकार के भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह लोग जब चुनाव नहीं हुए थे तब कहते थे कि जनता के काम नहीं हो रहे हैं। जब जनता ने इन्हें सरकार में बैठा दिया तो यह फालतू की चीजों पर फोकस कर रहे हैं। जनता के कामों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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