प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हेलीकॉप्टर दुर्घटना में ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की मौत पर शोक व्यक्त किया है। एक्स पर जाते हुए उन्होंने लिखा कि वह रायसी के दुखद निधन से गहरा दुखी और स्तब्ध हैं और उल्लेख किया है कि दुख की इस घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है। एक्स पर उनकी पोस्ट में उन्होंने लिखा कि भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके परिवार और ईरान के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी रायसी के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया। इब्राहीम रायसी अपने विदेश मंत्री होसैन अमीराबडोलहियन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अजरबैजान के साथ ईरान की सीमा की अपनी यात्रा से वापस जाते समय एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में थे। दरअसल, ईरान पिछले कुछ वक्त से हमास, हिज्बुल्ला और हूती की वजह से सबसे चर्चित देशों में से बना हुआ है। अमेरिका, यूरोपीय देश और सऊदी अरब की भी परेशानी बढ़ रही थी। ईरान पूरी ताकत से अपने परमाणु अभियान पर भी लगा हुआ था। सभी को इस बात का भी डर था कि अगर ये सफल हो जाता है तो इस इलाके में प्रतिनिधित्व पर दावा मजबूत हो जाएगा।
भारत के साथ ईरान के रिश्ते
भारत और ईरान के संबंध काफी अच्छे थे। हाल ही के दिनों में चाबहार डील हुई थी। ऐसे में इब्राहिम रायसी की मौत का भारत और ईरान के संबंधों पर क्या असर डाल सकता है, ये देखने वाली बात होगी। चाबहार परियोजना के लिहाज से ईब्राहिम रायसी का चार साल का कार्यकाल बहुत अहम था। चाबहार परियोजना कई मुश्किलों के बावजूद तेजी से आगे बढ़ी। आगे के प्रोजेक्शन को लेकर देखना होगा कि आने वाले नए राष्ट्रपति इसे कैसे ले जाते हैं। नॉर्थ साउथ कॉरिडोर रूस के बॉर्डर से लेकर ईरान के चाबहार तक जाता है। ये डील मोदी सरकार के 2014 में आने के एक साल बाद हुई। ये पोर्ट तो तैयार हो चुका था लेकिन कौन इसको ऑपरेट करेगा? इसके ऊपर संशय बनी हुई थी। ईरान के ऊपर ट्रंप सरकार की तरफ से कई प्रतिबंध भी लगाए गए। लेकिन अब कौन इसे ऑपरेट करेगा वो पिछले हफ्ते साफ हो गया था।
क्या है 10 साल वाली डील
भारत ने ईरान के चाबहार में स्थित शाहिद बेहश्ती बंदरगाह टर्मिनल के परिचालन के लिए सोमवार को 10-वर्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इससे भारत को मध्य एशिया के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं। बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन ने इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
क्या है चाबहार पोर्ट
चाबहार पोर्ट को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के एक अहम सेंटर की पेश किया गया है। यह प्रॉजेक्ट भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, सेंट्रल एशिया और यूरोप के बीच माल-ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबा प्रोजेक्ट है। सरकार ने साल 2024- 2025 के लिए चाबहार के लिए 100 करोड़ आवंटित भी किए थे। बंदरगाह को इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के साथ जोड़े जाने के बाद भारत की कनेक्टिविटी ईरान के जरिए सीधे रूस तक होगी। इससे पाकिस्तान को बायपास कर अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक पहुंच बन जाएगी।