By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 24, 2017
लखनऊ। जेवर (नोएडा) में बनने वाले अंतरराष्ट्रीय हवाई अडडे को केंद्र सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस हवाई अड्डे के लिये करीब 3000 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होगी। पहले चरण में एक हजार हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी। यहां देश का पहला एयर कार्गो हब भी बनाया जायेगा। इस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बन जाने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों का आर्थिक विकास होने, पर्यटन को बल मिलने और रोजगार व व्यवसाय के अवसर बढ़ने की उम्मीद है। इस हवाई अड्डे के निर्माण में 15 से 20 हजार करोड़ रूपये खर्च होने का अनुमान है।
यमुना एक्सप्रेसवे डेवलपमेंट अथारिटी (येडा) ने इसके लिये तीन हजार एकड़ जमीन चिन्हित कर ली है। उत्तर प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी और स्वास्थ्य मंत्री सिधार्थ नाथ सिंह ने आज यहां एक संयुक्त पत्रकार वार्ता में बताया कि दिल्ली के हवाई अड्डे पर यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुये नोएडा के जेवर में 2003 में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की योजना बनायी गयी थी। प्रदेश की गत सरकारों ने इस पर कोई विशेष ध्यान नही दिया। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इस दिशा में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से बात की और जेवर हवाई अड्डे के काम को आगे बढ़ाया गया।
नोएडा में बनने वाले इस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से पश्चिम उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा, वृन्दावन, मुजफ्फरनगर, मेरठ, अलीगढ़, बुलंदशहर तथा मुरादाबाद सहित एनसीआर क्षेत्र में आर्थिक विकास होने, साथ ही पर्यटन, रोजगार और व्यवसाय के अवसर बढ़ने की उम्मीद है। नंदी ने बताया कि पहले चरण में करीब 1000 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण यमुना एक्सप्रेस वे डेवलपमेंट अथारिटी द्वारा किया जाएगा जिस पर करीब 2000 करोड़ रूपये खर्च होंगे। इसके अलावा येडा एनसीआर क्षेत्र से पश्चिमी जिलों को सड़क, रेल और मेट्रो से जोड़ने का काम करेंगी।
स्वास्थ्य मंत्री सिंह ने बताया कि अभी दिल्ली के हवाई अड्डे पर प्रतिवर्ष करीब छह करोड़ यात्री आते जाते हैं और यह संख्या हर साल बढ़ती ही जा रही है। इन हालात में दिल्ली के नजदीक एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का महत्व बढ़ जाता है। इसीलिये केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार इस जेवर हवाई अड्डे को जल्द से जल्द बनाना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि नोएडा में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बन जाने से इस क्षेत्र में औदयोगिक निवेश बढ़ेगा। जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनी सैमसंग यहां निवेश कर रही है उसे अपना व्यवसाय बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। इसी तरह प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग फार्मास्युटिक्ल पार्क बनाने की योजना इस क्षेत्र में कर रहा है उसे भी इस हवाई अड्डे से काफी मदद मिलेंगी।
एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि कुशीनगर हवाई अड्डे को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अन्तर्गत लेने पर भी बातचीत चल रही है। इसके अलावा बुद्ध सर्किट को और अधिक सुविधायें देने के लिये वाराणसी से सारनाथ तक हेलीकाप्टर सेवा शुरू करने पर विचार चल रहा है। इसके अलावा प्रदेश में हवाई संपर्क बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।