सरकार ने उच्चतम न्यायालय में प्रत्येक बूथ के हिसाब से मतों की गणना की मौजूदा व्यवस्था का समर्थन किया है। सरकार ने कहा कि यह उम्मीदवारों और राजनैतिक दलों को अपना प्रदर्शन सुधारने में मदद करता है। सरकार ने अदालत से कहा कि मतों की गणना के लिए टोटलाइजर मशीन के इस्तेमाल संबंधी चुनाव आयोग के प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रियों की एक टीम को इसकी व्यवहार्यता और उपयोगिता का परीक्षण करने के लिए भेजा गया था।
केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया उस याचिका पर आई जिसमें दावा किया गया है कि प्रत्येक बूथ के हिसाब से परिणाम की घोषणा मतदान के साथ जुड़े निजता के अधिकार की जड़ पर प्रहार करते हैं। अपने हलफनामे में सरकार ने कहा कि मंत्रियों के दल ने पिछले साल सात सितंबर को अपनी अंतिम बैठक की और मुद्दे पर फैसला किया जबकि चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि टोटलाइजर मशीन का इस्तेमाल कुछ स्थानों पर प्रायोगिक आधार पर नहीं किया जा सकता क्योंकि उस उद्देश्य के लिए उसकी तैनाती के लिए प्रासंगिक नियमों में संशोधन की आवश्यकता होगी।
केंद्र ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की पीठ के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा, ‘‘मंत्रियों का दल इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि किसी उम्मीदवार को प्रत्येक बूथ पर कितने मत मिले इसका खुलासा करना अधिक फायदेमंद और उपयोगी होगा क्योंकि यह उम्मीदवारों और पार्टियों को उन क्षेत्रों का पता लगाने में मदद करेगा कि कहां उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया है और कहां उन्होंने बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है ताकि भविष्य में होने वाले चुनावों में उन क्षेत्रों में अधिक विकासात्मक गतिविधियां करके अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकें।’’
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘मंत्रियों का दल इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि मतों की गणना के लिए टोटलाइजर मशीन का इस्तेमाल करने से किसी व्यापक जनहित की पूर्ति नहीं होगी और इस मोड़ पर उसका इस्तेमाल शुरू करने का पर्याप्त औचित्य नहीं है।’’