मोदी सरकार पार्ट-2 के गठन और अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद से ही जम्मू कश्मीर में धारा 370 को हटाए जाने और 35ए को खत्म करने की बात अक्सर उठती रहती है। लेकिन केंद्र सरकार के एक फैसले से इस कवायद को बल मिल रहा है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार ने 10 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की है। खबरों के अनुसार इन 100 कंपनियों में सीआरपीएफ की 50, बीएसएप-10, एसएसबी-30 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां हैं। बता दें कि हर एक कंपनी में 90 से 100 जवान मौजूद रहते हैं यानी कि प्रदेश में करीब 10 हजार अतिरिक्त जवान की तैनाती होगी। सरकार का फैसला ऐसे समय में आया है जब कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जम्मू-कश्मीर के दो दिन के दौरे से लौटे हैं। सूत्रों के अनुसार अपने दौरे के दौरान अजीत डोभाल ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कानून व्यवस्था को लेकर बैठक की थी। केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आनी तेज हो गई हैं।
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कभी भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री रहीं महबूबा मुफ्ती ने केंद्र के सुरक्षाबलों की अतिरिक्त तैनाती को लेकर मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। महबूबा ने ट्वीट कर कहा है कि घाटी में 10 हजार सैनिकों को तैनात करने के केंद्र के फैसले ने लोगों में भय पैदा कर दिया है। कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है। जम्मू-कश्मीर एक राजनीतिक समस्या है जो सैन्य साधनों से हल नहीं होगी। केंद्र सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और सुधार करने की आवश्यकता है। वहीं दूसरी तरफ नौकरशाही छोड़कर राजनीति में उतरे और जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) का गठन करने वाले शाह फैसल ने भी सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया दी है। फैसल ने ट्विटर पर लिखा कि घाटी में अचानक सुरक्षा बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती के गृह मंत्रालय के फैसले से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। कोई नहीं जानता कि यह तैनाती क्यों की जा रही है। ऐसी अफवाहें हैं कि घाटी में कुछ भयानक घटित हो सकता है। क्या अनुच्छेद 35ए को लेकर। हालांकि जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती एक रूटीन प्रक्रिया है। कश्मीर में ट्रेनिंग करने वाली कंपनियों को राहत देने के लिए ऐसा किया गया है। पंचायत चुनाव के बाद से ही यह चल रहा है।
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