By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 04, 2020
मोगा (पंजाब)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तीन कृषि कानूनों को लेकर रविवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि अगर ये अधिनियम किसानों के लिए हैं तो वे लोग विरोध क्यों कर रहे हैं? पंजाब के मोगा जिले के बढनी कलां में एक जनसभा को संबोधित करते हुए गांधी ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो इन विवादित कानूनों को निरस्त कर दिया जाएगा। उन्होंने पूछा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान इन कानूनों को लागू करने की ऐसी क्या जल्दी और जरूरत थी। गांधी ने कहा, प्रधानमंत्री कहते हैं कि किसानों के लिए कानून बनाए जा रहे हैं।
अगर कानून किसानों के लिए बनाए जा रहे हैं तो फिर आपने लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा क्यों नहीं की? कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, अगर किसान इन कानूनों से खुश हैं तो फिर वे पूरे देश में आंदोलन क्यों कर रहे हैं? पंजाब का हर किसान आंदोलन क्यों कर रहा है? किसानों को आशंका है कि केंद्र द्वारा किए जा रहे कृषि सुधारों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को समाप्त करने का रास्ता साफ होगा और वे बड़ी कंपनियों की ‘दया’ पर आश्रित रह जाएंगे। गौरतलब है कि संसद ने हाल में तीन विधेयकों- कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक-2020’, किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक 2020 और ‘आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक-2020’ को पारित किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन विधेयकों को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे पहले राहुल गांधी रविवार से मंगलवार तक चलने वाली तीन दिवसीय ट्रैक्टर रैलियों का नेतृत्व करने के लिए दोपहर में मोगा पहुंचे। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़, पार्टी के पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत और अन्य नेता मौजूद रहे। ‘खेती बचाओ यात्रा’ के नाम से निकाली जा रही ट्रैक्टर रैलियां 50 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करेगी और विभिन्न जिलों तथा निर्वाचन क्षेत्रों से गुजरेंगी। पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू भी इस जनसभा में दिखे। वह कांग्रेस की सभी गतिविधियों से दूर रहते आए हैं। तीन दिन पहले रावत ने अमृतसर में सिद्धू से मुलाकात की थी जिसके बाद पूर्व क्रिकेटर रैली में हिस्सा लेने पहुंचे।
जन सभा को संबोधित करते हुए सिद्धू ने कृषि कानूनों को लेकर भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना की और उन्हें संघीय ढांचे पर हमला बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार को पूंजीवादी चला रहे हैं। उन्होंने कहा, वे हमारे अधिकार छीन रहे हैं। केंद्र ने एक ऐसी प्रणाली थोपी है जो यूरोप और अमेरिका में विफल हो चुकी है। सिद्धू ने कहा कि नए अधिनियमों से पांच लाख श्रमिक और 30,000 आढ़ती प्रभावित होंगे। सिद्धू ने कहा कि पंजाब सरकार को दालों और तिलहन पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देना चाहिए तथा फसल के भंडारण के लिए बुनियादी ढांचा बनाना चाहिए।