पृथ्वी दिवस की महत्ता पर लेख तो आयोजन के एक दो दिन बाद भी लिखा जा सकता है। मुझे लगता है पृथ्वी दिवस हर साल जल्दी आ जाता है। अभी तो पृथ्वी संवारने और बचाने के लिए पिछले साल रोपित योजनाएं पूरी तरह से अंकुरित भी नहीं हो पाती और अगला पृथ्वी दिवस आ जाता है। शर्म के मारे पुरानी योजनाओं की ही लीपापोती करके नया कहना पड़ता है।
प्रसिद्ध क्षेत्र में, कई महीनों से बड़े पैमाने पर पेड़ काटने वालों ने वृक्षों की जड़ें तक खोद दी थी। वन माफिया रातों रात लकड़ी को उचित जगह पहुंचा रहा था। करोड़ों का व्यापार हो रहा था लेकिन इस कटान पर सबकी बोलती बंद थी। ख़बरों के अनुसार माननीय न्यायालय ने मामले का स्वत संज्ञान लिया। हमारे यहां छोटा मोटा तो क्या, बड़ा बंदा भी संज्ञान नहीं लेना चाहता। अगर लेता है तो वातावरण बिगड़ने की आशंका रहती है। वातावरण को ही माहौल कहते हैं जिसे सभी शांत रखते हैं। देखने की बात अब यह हो सकती है कि संदर्भित मामले में गठित जांच कमेटी कितना चुप रहती है या कितना बोलती है। वैसे कहीं किसी जगह पर्यावरण पर सुनना हो तो स्वादिष्ट भाषण हज़म करने पड़ते हैं।
पृथ्वी दिवस पर छपा एक डिज़ाइनर विज्ञापन, पृथ्वी के प्रति मेरा ध्यान, अविलम्ब आकर्षित करने में कामयाब रहा। कमबख्त ये डिज़ाइनर चीजें बहुत प्रभावशाली होती हैं। इस विज्ञापन में बेहद प्रेरक बातें छपी हैं। थीम दिया गया है, ‘अवर पावर अवर प्लेनेट’। अंग्रेज़ी में पढ़ते हुए बोलना, सीखना कितना आसान है रे। पृथ्वी दिवस पर प्रकृति को पोषित करने की प्रतिबद्धता दोहराई ताकि सभी देशों का यानी पृथ्वी का भविष्य बेहतर हो सके। विज्ञापन में आह्वान रहा, इस धरती को संपन्न बनाएं, आओ मिलकर वृक्ष लगाएं, वृक्ष इस धरा का आभूषण, दूर करे प्रदूषण, जन जन मिलकर आए, विश्व पृथ्वी दिवस मनाएं । आपको भी अच्छा लगा होगा यह पढ़कर। यह दिलकश, रंगीन, महंगा विज्ञापन निश्चित ही किसी प्रसिद्ध अनुभवी विज्ञापन एजेंसी ने बनाया है।
बड़े पृथ्वी दिवस पर छोटी सी खबर भी पढ़ी। रामकुंड क्षेत्र के सामुदायिक मैदान में खुले में फेंका जा रहा कूड़ा, जिसके कारण मोहल्ले में गंदगी का आलम है। विज्ञापन बड़ा होता है, खबर छोटी। मोहल्ला छोटा होता है और पृथ्वी बड़ी। एक और गीली खबर पढ़ी, रोजाना हो रहे पीने के पानी के रिसाव को नहीं रोक पाया जल शक्ति विभाग। भाषण, निबंध, नारा लेखन, चित्रकला, पोस्टर मेकिंग, स्टोन पेंटिंग प्रतियोगिताएं आयोजित हुई। नदियों की सफाई, जल संरक्षण, वनों की सुरक्षा, जैव विविधता जागरुकता, प्लास्टिक उपयोग कम करने की शपथ, हाथ उठाकर, ज़ोर से बोलकर ली गई। परम्परानुसार मां पृथ्वी के बारे ज़ोरदार, शोरदार, रोबदार बातें हुई।
पृथ्वी बचाओ, जीवन बचाओ के नारे भी तो लगाए। इस तरह हर साल की तरह, इस साल भी पृथ्वी दिवस धूमधाम से मनाया गया।
- संतोष उत्सुक