By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 19, 2019
नयी दिल्ली। सीबीआई के अधिकारियों ने सारदा चिटफंड घोटाले के संबंध में पश्चिम बंगाल के शीर्ष पुलिस अधिकारी राजीव कुमार की तलाश में शहर के विभिन्न स्थानों पर बृहस्पतिवार को छापे मारे और उनसे शुक्रवार को सुबह 11 बजे तक उसके समक्ष पेश होने के लिए कहा। सीआईडी के अतिरिक्त महानिदेशक कुमार पर घोटाले में सीबीआई के अंतिम आरोप पत्र को तैयार करने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण सबूतों को दबाने का आरोप है। वह जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने के उसके सम्मन से बच रहे हैं और अभी यह पता नहीं चल सका है कि वह कहां हैं। सीबीआई के अधिकारियों ने कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त कुमार की तलाश में अलीपुर में आईपीएस अधिकारियों के मेस और ईएम बाईपास पर एक पांच सितारा होटल में तलाशी ली।
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सीबीआई ने इस घोटाले में कुमार के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को शहर की एक अदालत का भी रुख किया। उसने कुमार का पता लगाने में मदद के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस के महानिदेशक, मुख्य सचिव और गृह सचिव को भी पत्र भेजे थे। पुलिस महानिदेशक ने बताया था कि कुमार 9 से 25 सितंबर तक छुट्टी पर गए हैं। सीबीआई द्वारा भेजे गए नोटिसों के बावजूद वह पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए जिसके बाद कोलकाता उच्च न्यायालय ने गत सप्ताह शुक्रवार को उन्हें गिरफ्तारी से मिली छूट हटा ली थी। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि सीबीआई ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की संपर्क ब्योरा मुहैया कराने को कहा है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में पश्चिम बंगाल के डीजीपी को पत्र भेजा गया है। उनसे कुमार का फोन नंबर मांगा गया है, जिसके जरिए पूर्व पुलिस आयुक्त से बात की जा सके।
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सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल के डीजीपी ने सोमवार को एक पत्र में सीबीआई को बताया था कि उसके नोटिस कुमार के आधिकारिक आवास पर भेजे गए थे और उनके जवाब का इंतजार किया जा रहा है। पत्र में डीजीपी ने कहा था कि कुमार ने अपने वकील के जरिए बताया था कि वह 25 सितंबर तक अवकाश पर हैं और वह उन्हें उपलब्ध कानूनी उपायों को तलाश रहे हैं। सारदा समूह की कंपनियों ने लाखों लोगों से उनके निवेश को उच्च दरों पर लौटाने का वादा करके उनसे 2500 करोड़ रुपये ठगे। कुमार इस घोटाले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित किए गए विशेष जांच दल (एसआईटी) का हिस्सा थे। इसके बाद 2014 में उच्चतम न्यायालय ने यह मामला सीबीआई को सौंप दिया था।