By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 27, 2021
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति आधारित जनगणना की मांग का मुद्दा फिर उठाया हैं। इससे पहले उन्होंने केंद्र सरकार से इस पर विचार करने का आग्रह किया था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति के अलावा अन्य जातीय जनगणना नहीं कराने की बात स्पष्ट कर दी। इसके बावजूद भी नीतीश कुमार अपने फैसले पर कायम रहे। मुख्यमंत्री ने ग्राम परिवहन योजना के लाभार्थियों को 350 एम्बुलेंस प्रदान करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में प्रेस कॉफ्रेंस में बात करते हुए कहा, “जाति के आधार पर जनगणना एक बार तो की ही जानी चाहिए।
इससे सरकार को दलितों के अलावा अन्य गरीबों की पहचान करने और उनके कल्याण के लिए योजनाएं बनाने में सुविधा होगी।” इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि जाति आधारित जनगणना से दलितों के अलावा अन्य गरीबों के लिए भी कल्याणकारी योजनाएं बनाने से बिहार सरकार को मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री नीतीश के बयान से पहले ही केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि केंद्र सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा कोई जातीय जनगणना नहीं कराएगी।
इसी के साथ सूत्रों के मुताबिक़ खबर ये भी सामने आयी है कि बिहार विधानसभा का मानसून सत्र जेडीयू और आरजेडी को भविष्य में एक साथ ला सकता है। इन दोनों बड़ी पार्टी के साथ में आने का सवाल बिहार के सियासी गलियारे में चारो तरफ उठने लगे है। सवाल उठने की बड़ी ठोस वजह भी है क्योंकि भले ही बिहार में एनडीए की सियासत चल रही है, लेकिन कुछ विषय ऐसे है जिसे लेकर जेडीयू और भाजपा आमने सामने दिख रही है।
फिलहाल जेडीयू और आरजेडी के विचार इस मुद्दे एक जैसे दिख रहे हैं बिहार में जिस तरह का माहौल बन रहा है उससे यह साफ़ लग रहा है कि आगे चल कर बिहार की सियासत में कुछ बड़ा बदलाव देखा जा सकता है| इस बारे में कोई कुछ नहीं कह सकता है राजनीति है, कब क्या हो जाएं कोई नहीं जानता।| राजनीति में ना कोई स्थायी दोस्त होता है और ना ही स्थायी दुश्मन और बिहार की सियासत में पिछले पंद्रह साल में ऐसी तस्वीर काफी देखी गयी है।