By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 12, 2019
पुणे। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा कि टीम की अगुआई की जिम्मेदारी ही उन्हें चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सीमाओं से आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करती है जिससे अंत में बड़े टेस्ट शतक जड़ने में मदद मिलती है। किसी भी भारतीय बल्लेबाज के टेस्ट में कोहली से ज्यादा दोहरे शतक नहीं हैं, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन कैरियर की सर्वश्रेष्ठ 254 रन की नाबाद पारी से कई रिकार्ड अपने नाम किये। उन्होंने रिकार्ड सातवें दोहरे शतक से सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग को पीछे छोड़ दिया। इस 30 साल के खिलाड़ी के नाम अब 26 टेस्ट अैर 43 वनडे शतक हैं। साथ ही उन्होंने टेस्ट में सर डान ब्रैडमैन के 6996 रन को भी पीछे छोड़ दिया। कोहली ने बीसीसीआई डाट टीवी से कहा, ‘‘अच्छा लगता है, अपने कैरियर में इस तरह की छोटी छोटी उपलब्धियां हासिल करना अच्छा है, सबसे ज्यादा दोहरे शतक बनाना। ’’
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उन्होंने कहा, ‘‘मुझे शुरू में बड़ा स्कोर बनाने में परेशानी होती थी लेकिन जैसे ही मैं कप्तान बना तो आप हमेशा हर वक्त टीम के बारे में ही सोचते हो। आप सिर्फ अपने खेल के बारे में नहीं सोच सकते। इसी प्रक्रिया में आप अपनी सोच से ज्याद बल्लेबाजी कर लेते हो, अब लंबे समय से मानसिकता यही रही है। ’’ अपनी नाबाद पारी के बारे में उन्होंने कहा कि टीम के बारे में सोचने से उन्हें इस गर्मी और उमस भरे हालात में मैराथन पारी खेलने में मदद मिली। उन्होंने कहा, ‘‘यह मुश्किल है, लेकिन अगर अप टीम के बारे में सोचते रहते तो आप खुद को उस सीमा से आगे ले जाते हो जो आमतौर पर आम नहीं कर सकते।
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गर्मी और उमस में यही चीज अहम रही, परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण हो तो आप टीम के बारे में सोचते हो और आप तीन-चार घंटे और बल्लेबाजी कर लेते हो। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘यही सबसे चुनौतीपूर्ण चीज थी और फिर रविंद्र जडेजा बल्लेबाजी के लिये आया और जड्डू के साथ आपको तेज दौड़ना पड़ता है। यह शारीरिक और मानिसक रूप से चुनौतीपूर्ण था लेकिन बतौर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी आपको तैयार करता है। ’’ अपने दोहरे शतक के बारे में बात करते हुए कोहली ने कहा, ‘‘शीर्ष दो दोहरे शतक एंटीगा और मुंबई वाले होंगे, जिसमें से एक इंग्लैंड के खिलाफ था। वैसे सारे दोहरे शतक विशेष होते हैं लेकिन ये दोनों ज्यादा विशेष हैं क्योंकि एक विदेशी सरजमीं पर था और एक इंग्लैंड के खिलाफ चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में, जब बहुत गर्मी और उमस थी। ’’