By अभिनय आकाश | Jan 14, 2025
20 जनवरी को रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्ंप अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले हैं। लेकिन शपथग्रहण से पहले ही ट्रंप की तरफ से लगातार ऐसे बयान सामने आते रहे हैं जो राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ाते रहे हैं। ट्रंप कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाना चाहते हैं। वो ग्रीनलैंड को अमेरिका में शामिल करना चाहते हैं। इसके साथ ही वो पनामा नहर पर कब्जा करना चाहते हैं। वहीं कनाडा में जस्टिन ट्रूडो ने इस्तीफे का ऐलान बीते सप्ताह कर दिया है। उन्होंने कहा है कि जैसे ही पार्टी उनके विकल्प की तलाश कर लेगी, वैसे ही वह पद छोड़ देंगे। ट्रूडो के कार्यकाल को विदेशी वर्कर्स और स्टूडेंट्स उनकी खराब इमिग्रेशन नीतियों के लिए याद रखेंगे। फिलहाल कनाडा में जस्टिन ट्रूडो के विकल्प की चर्चा चल रही है। अब कहा जा रहा है कि कनाडा को भी ट्रंप जैसा बड़बोला नेता मिल सकता है। क्योंकि नए पीएम की रेस में सबसे आगे कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलिवरे चल रहे हैं।
ट्रंप के जैसे नेता को मिलेगी कनाडा की कमान
विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी के नेता पीयर पोइलीवर आगामी चुनाव में प्रधानमंत्री चुने जा सकते हैं। पोइलीवर की तुलना डोनाल्ड ट्रम्प से की जाती है। ट्रम्प और पोइलीवर में कई समानताएं हैं। 45 वर्षीय पोइलीवर एक कट्टरपंथी राजनीतिज्ञ हैं, जो वही कहते हैं जो वे मानते हैं। वे आजीवन कंजरवेटिव रहे हैं। ट्रम्प की तरह ही वे अपराध पर सख्त कानूनों के पक्षधर हैं। सरकार के खर्चों तथा टैक्स को कम करने की बात करते हैं। 2004 से सांसद रहे हैं, लेकिन उन्होंने कट्टरपंथी की छवि बनाई है। वे पत्रकारों पर हमला करते हैं। तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करते हैं। चरमपंथियों के साथ सहानुभूति रखते हैं। वे सांस्कृतिक और सामाजिक टकराव के मुद्दों पर भी बयानबाजी करते हैं। उनके पीएम बनने से कनाडा में सांस्कृतिक और सामाजिक टकराव का जोखिम बढ़ सकता है।
इमिग्रेशन को कम कर सकते हैं
अगर पोइलीवर संसद में बहुमत हासिल करते हैं, तो वे कनाडा के प्रधानमंत्री के रूप में अत्यधिक शक्तिशाली हो सकते हैं। हालांकि, उन्हें कुछ हद तक पार्टी, अदालतों, हाउस ऑफ कॉमन्स में विपक्ष, सीनेट, अलग-अलग हित समूहों और कनाडा की जनता के दबाव का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन वे चुनावों के बीच काफी कुछ कर सकते हैं। अगर पियरे पोइलिवरे को चुना जाता है, तो वह कनाडा में होने वाले इमिग्रेशन को कम कर सकते हैं। इससे विदेशी छात्रों को मिलने वाले स्टडी परमिट में कमी देखने को मिलेगी। जिस वजह से कनाडा में पढ़ने के लिए एडमिशन और परमिट लेना छात्रों के लिए मुश्किल हो जाएगा।