Rajasthan Chunav: राजस्थान की इस सीट पर कैबिनेट मंत्री को बेटे से मिली चुनौती, जानिए कांग्रेस के मापदंड पर कौन उतरेगा खरा

By अनन्या मिश्रा | Oct 10, 2023

राजस्थान में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है। वैसे ही कांग्रेस पार्टी में टिकट को लेकर सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। बता दें कि 400 से अधिक नेताओं ने जयपुर जिले की विधानसभा सीटों के लिए अपनी दावेदारी पेश की है। वहीं इन दावेदारों से प्रदेश इलेक्शन कमेटी के सदस्य भवन जितेंद्र सिंह और मंत्री शाले मोहम्मद ने बातचीत की है। बड़ी चौपड़ पर शहर कांग्रेस कार्यालय पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश करने पहुंचे नेताओं में कैबिनेट मंत्री महेश जोशी और उनके बेटे रोहित जोशी का नाम भी शामिल है। 


बता दें कि दोनों नेताओं ने एक ही सीट हवामहल पर अपनी दावेदारी पेश की है। एक ही विधानसभा सीट से पिता और पुत्र के टिकट मांगने को लेकर सियासी गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। PEC मेंबर भंवर जितेंद्र सिंह और शाले मोहम्मद की ओर से जयपुर की 19 विधानसभा सीटों के वन टू वन संवाद किया जा रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने टिकट के दावेदारों के नाम ब्लॉक स्तर से लिए हैं। अब इन नामों पर स्क्रूटनी की जा रही है। 

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जानिए किसे मिलेगा टिकट

जितेंद्र सिंह ने आठ विधानसभा सीटों के दावेदारों से संवाद करने के बाद कहा जो नेता या दावेदार जनता के पीछे रहने वाले हैं, उनको टिकट की वरीयता दी जाएगी। वहीं नेताओं के पीछे रहने वालों को टिकट नहीं दिया जाएगा। इस तरह से योग्य उम्मीदवार को टिकट मिलेगा। वहीं इस बार मंत्री महेश जोशी और उनके पुत्र रोहित जोशी ने जयपुर शहर की हवामहल सीट से चुनाव लड़ने को लेकर दावेदारी जताई है। जिसके बाद से यह बात सियासत में चर्चा का विषय बनी हुई है। 


जितेंद्र सिंह के बाहर निकलने पर महेश जोशी के बेटे रोहित ने भी उनके सामने टिकट की दावेदारी पेश की। जब इस मामले पर महेश जोशी से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि उनके बेटे रोहित ने चुनाव लड़ने को लेकर उनसे सलाह नहीं ली है। ऐसे में पिता-पुत्र एक ही विधानसभा सीट के लिए टिकट मांग रहे हैं। 


कांग्रेस ने बनाए मापदंड

कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के चलते टिकट वितरण के लिए कई मापदंड तय किए हैं।  PEC मेंबर भंवर जितेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि टिकट दिए जाने को लेकर कई पूरी करनी होगी। जिसमें से एआईसीसी ऑब्जर्वर विधानसभा क्षेत्र में जाकर उम्मीदवारों के बारे में फीडबैक लेंगे। इसके बाद यह तय किया जाएगा कि जनता के बीच किस उम्मीदवार की पकड़ ज्यादा अच्छी है। इसके अलावा कांग्रेस इस बार सिर्फ जिताओ उम्मीदवार को प्राथमिकता दे रही है।

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