बहुमत से दूर नजर आ रहे मोदी, सरकार बनाने में अन्य दलों की होगी अहम भूमिका: सर्वे

By अनुराग गुप्ता | Mar 11, 2019

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने 17वीं लोकसभा के लिए चुनावों का ऐलान कर दिया है। इसी बीच एबीपी न्यूज और सी-वोटर्स ने मिलकर एक सर्वे किया है, जिसमें उन्होंने देश की मौजूदा राजनीतिक गतिविधियों का जिक्र किया और बताया कि आखिर देश किस गठबंधन को तवज्जो दे रहा है। बता दें कि 543 लोकसभा सीटों के लिए 11 अप्रैल से लेकर 19 मई तक वोटिंग होगी और 23 मई को नतीजे समाने आएंगे।

23 मई के दिन देश को नया प्रतिनिधि मिल जाएगा। हालांकि, चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी जीत के दावे किए हैं। इन्हीं दावों को लेकर आपके सामने पेश है- चुनावी सर्वे। सर्वेक्षण के मुताबिक साल 2014 में पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली बीजेपी नीत राजग (NDA) को इस बार थोड़ा नुकसान होता हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल, एनडीए के खाते में 264 सीट तो वहीं पिछली बार की तुलना में अपना प्रदर्शन बेहतर करने वाली संप्रग (UPA) के पाले में 141 सीटें मिलने के अनुमान सामने आ रहे हैं। जबकि अन्य दलों के खाते में 138 सीटें दिखाई दे रही हैं।

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सर्वे की मानें तो राजग और संप्रग को बहुमत मिलते हुए दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे में साफ हो गया है कि अगर सरकार बनानी है तो अन्य दलों का समर्थन प्राप्त करना जरूरी होगा। 

एक नजर राजनीतिक दलों के वोट प्रतिशत पर

सी-वोटर्स ने जारी किए गए सर्वे में साफ कर दिया कि संप्रग की तुलना में राजग का वोट प्रतिशत महज दस फीसदी ही ज्यादा है। ऐसे में राजग के खाते में 41 फीसदी, संप्रग के पाले में 31 तो अन्य के खाते में 28 फीसदी वोट जाते हुए दिखाई दे रहा है। 

उत्तर प्रदेश से होकर जाता है दिल्ली की गद्दी का रास्ता

80 लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश ही एकलौता ऐसा राज्य है जहां पर ज्यादा सीटें जीतने वाली राजनीतिक पार्टी की केंद्र में सरकार बनाने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। मौजूदा हालातों को लेकर सी-वोटर्स ने सर्वे किया तो सामने आया कि अगर अभी चुनाव होते हैं तो संप्रग महज 4 सीटों पर सिमट कर रह जाएगा। जबकि 74 सीटें जीतने का दावा करने वाली राजग को भारी नुकसान होगा और वह महज 29 सीटें ही जीत पाएगा। ऐसे में सबसे ज्यादा सफल सपा और बसपा को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। बता दें कि चुनावों को लेकर सपा-बसपा और आरएलडी के बीच हुए गठबंधन के बाद प्रदेश में वोट प्रतिशत बढ़ा है, जिसकी वजह से ये दल 47 सीटें जीतते हुए दिखाई दे रहे हैं।

UP के बाद बिहार पर रहती है सबकी नजर

उत्तर प्रदेश में भले ही राजग को बड़ा झटका लगता हुआ दिखाई दे रहा है लेकिन उसकी भरपाई वह पड़ोसी राज्य बिहार में करते हुए दिखाई दे रहा है। बिहार की 40 लोकसभा सीटों के लिए अगर अभी चुनाव होते हैं तो राजग के खाते में 36 सीटें आएंगी तो आरजेडी को महज 4 सीटें ही मिलेंगी। दरअसल, बिहार को लेकर राजग में बीजेपी के साथ जदयू और लोजपा शामिल है।

पश्चिम बंगाल में सीटों की तलाश में नजर आ रही बीजेपी

48 सीटों वाले राज्य पश्चिम बंगाल में 7 चरणों में चुनाव होंगे। ऐसे में सामने आए सर्वे में पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी अभी भी यहां पर सीटें तलाश करने में लगी हुई है। 2014 के आम चुनावों में जहां बीजेपी के खाते में महज 2 सीटें आईं थी ऐसे में सर्वे से पता चला कि बीजेपी प्रदेश की 8 सीटों पर अपना दबदबा बनाए हुए है। वहीं, मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश की पहली पसंद रहीं ममता को हरा पाना मुश्किल लग रहा है। यही वजह है कि तृणमूल कांग्रेस 34 सीटें हासिल करती दिख रही है जबकि वामपंथियों का तो सूपड़ा ही साफ होता नजर आ रहा है। 

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बाकी के राज्यों पर एक नजर:

प्रदेश मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान महाराष्ट्र गुजरात झारखंड दक्षिणी राज्य
सीट 29 11 25 48 26 14 129
राजग 24 06 20 35 24 03 21
संप्रग 05 05 05 13 02 10 63
अन्य - - - - - 01 45

दक्षिणी राज्यों में पार्टियों का प्रदर्शन 

दक्षिण भारत की कुल 129 लोकसभा सीटों पर संप्रग का प्रदर्शन बेहतर नजर आ रहा है। दरअसल, दक्षिण राज्यों में शामिल तमिलनाडु, केरल, आंध्र, तेलंगाना और कर्नाटक में किए गए सर्वे में सामने आया कि राजग को महज 21 सीटें, संप्रग को 63 जबकि अन्य दलों के खातों में 45 सीटें जाती हुई दिखाई दे रही हैं।

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प्रदेश पूर्वोत्तर राज्य ओडिशा गोवा उत्तर भारत
सीट 25 21 02 45
राजग 13 12 02 26
संप्रग 10 09 - 19
अन्य 02 - - -

पूर्वोत्तर राज्य: असम, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा

उत्तर भारत: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड

दिल्ली पर सबकी निगाहें

दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर राजग का कब्जा एक बार फिर से होता हुआ दिखाई दे रहा है। बता दें कि दिल्ली की सबसे बड़ी पार्टी मानी जाने वाली आम आदमी पार्टी का पूरी तरह से सूपड़ा साफ होता हुआ दिखाई दे रहा है। वहीं, कांग्रेस भी कहीं नजर नहीं आ रही है।

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