Varalaxmi Vratham 2023: वरलक्ष्मी व्रत करने से धन-धान्य में नहीं होगी कमी, इस खास मुहूर्त में करें पूजा

By अनन्या मिश्रा | Aug 25, 2023

सावन के आखिरी शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत आज यानी की 25 अगस्त 2023 को किया जा रहा है। वैसे तो हर शुक्रवार मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। लेकिन सावन के शुक्रवार का अपना विशेष महत्व होता है। सावन के आखिरी शुक्रवार को वरलक्ष्मी का व्रत किया जाता है। बता दें कि सावन के आखिरी शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए। वहीं इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्तियों पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है। उनके जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। आइए जानते हैं वरलक्ष्मी व्रत का महत्व, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में...


वरलक्ष्मी व्रत का महत्व

वरलक्ष्‍मी व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, वरलक्ष्मी मां भगवान श्रीहरि विष्णु की पत्नी हैं। वरलक्ष्मी को महालक्ष्मी का अवतार माना जाता है। ऐसे में सावन के आखिरी शुक्रवार को मां वरलक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है। यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और परिवार के सदस्यों में आपसी प्रेम बना रहता है। इस व्रत को करने से संतान का सुख भी प्राप्त होता है।

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पूजा का शुभ मुहूर्त

आज 25 अगस्‍त यानी कि सावन के आखिरी शुक्रवार को वरलक्ष्मी का व्रत किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और उड़ीसा के लोग भी इस व्रत को करते हैं। बता दें कि आज सिंह लग्‍न की पूजा सुबह 05:55 मिनट से सुबह 07:42 मिनट तक होगी। वहीं दोपहर 12:17 मिनट से 02:36 मिनट तक वृश्चिक लग्‍न की पूजा होगी। कुंभ लग्‍न की पूजा शाम को 06:22 मिनट से लेकर रात को 07:50 मिनट तक होगी। साथ ही रात को 10:50 मिनट से 12:45 मिनट तक वृषभ लग्‍न की पूजा की जाती है।


वरलक्ष्मी व्रत का पूजा मंत्र

वरलक्ष्मीर्महादेवि सर्वकाम-प्रदायिनी


यन्मया च कृतं देवि परिपूर्णं कुरुष्व तत्


वरलक्ष्‍मी व्रत की पूजा विधि

इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करे। घर की साफ-सफाई कर पूरे घर में गंगाजल छिड़कें। इसके बाद घर के बाहर आप रंगोली बनाएं। वहीं घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान श्रीहरि विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। फिर उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं और फिर नए वस्त्र पहनाएं। इसके बाद उनका श्रृंगार करें। बता दें कि वरलक्ष्मी व्रत के दौरान मां लक्ष्मी की ठीक वैसे ही पूजा की जाती है, जैसे कि दीपावली में की जाती है। विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। भोग अर्पित कर आरती करें।

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