By दिनेश शुक्ल | Jul 06, 2019
केन्द्र में सत्ता हासिल करने के बाद राज्यों में संगठन को मजूबत करने की कवायद भारतीय जनता पार्टी में शुरू हो गई है। यही कारण है कि जहाँ काँग्रेस में इस्तीफों का दौर चल पड़ा है, तो वहीं भाजपा में संगठन को मजबूती देने के लिए सदस्यता अभियान की शुरूआत मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में शुरू हो चुका है। हालंकि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता जाने के बाद यहाँ बीजेपी संगठन मंथन के दौर में है। इन राज्यों में वर्तमान संगठन को ही यथावत रखना है या फिर बदलाव होगा इस पर चर्चा जारी है।
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मध्य प्रदेश में 15 साल की सत्ता सुख भोगने के बाद सत्ता की सीढ़ियों से महज कुछ ही कदम पीछे रह गई बीजेपी में युवा नेतृत्व ने उछाल मारना शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ नेता पुत्रों ने विधानसभा पहुँचने के लिए संगठन से टिकिट के लिए गुहार लगाई थी वहीं कुछ इसी तरह का हाल लोकसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिला जब पार्टी संगटन ने इन नेता पुत्रों को टिकिट न देकर परिवारवाद से बचने की हिदायत तक नेताओं को दे डाली।
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मध्य प्रदेश में भाजपा का वर्तमान नेतृत्व जहाँ विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने में कामयाब न हो सका तो वहीं लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम देकर अपनी स्थिति मजबूत की है। लेकिन इन सबके बीच पार्टी में नए नेतृत्व की माँग ने भी जोर पकड़ लिया है। संभवतः सदस्यता अभियान खत्म होते ही पार्टी में संगठन में परिवर्तन अभियान की शुरूआत हो जाए। वर्तमान अध्यक्ष राकेश सिंह एक बार फिर लोकसभा की सीढ़ियां चुढ़ चुके हैं तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को केन्द्रीय नेतृत्व ने सदस्यता अभियान की बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है। लोकसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान ने जी तोड़ मेहनत की और देश में सबसे अधिक सभाएं भी उन्होंने ही लीं।
दूसरी ओर भाजपा के युवा मोर्चा ने दोनों ही चुनाव में जी तोड़ मेहनत की। यही कारण है कि अब भाजपा युवा मोर्चा के नेता संगठन चुनाव में अपने आप को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में देख रहे हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा युवा मोर्चा की बात की जाए तो यहाँ वर्तमान में ब्राह्मण चेहरा अभिलाष पाण्डे के रूप में नेतृत्व कर रहा है। जिन्हें केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और प्रदेश महामंत्री खजुराहो से सांसद वीडी शर्मा का समर्थन प्राप्त है। अभिलाष के अलावा युवा मोर्चा में ब्राह्मण चेहरों की भरमार है जो प्रदेश अध्यक्ष के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। इनमें कई तो नेता पुत्र ही हैं।
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युवा मोर्चा में ब्राह्मण चेहरों की बात की जाए तो सबसे पहला नाम अंशुल तिवारी का आता है जो वर्तमान में प्रदेश उपध्यक्ष की जिम्मेदारी सम्हाल रहे हैं। अंशुल तिवारी युवा मोर्चा में जिला अध्यक्ष भोपाल भी रहे हैं इसके अलावा अंशुल तिवारी संगठन के कई प्रमुख पदो में जिम्मेदारी सम्हाल चुके हैं। संघ पृष्ठभूमि से जुड़े अंशुल तिवारी इस बार कोई चूक नहीं करना चाहते। पिछली बार अंशुल तिवारी ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए जमकर लॉबिंग की थी। तो इंदौर से आने वाले मराठी ब्राह्मण गौरव रणदिवे भी युवा मोर्चा में प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। इन्हें इंदौर के भाई यानि कैलाश विजयवर्गीय का समर्थक माना जाता है। जबकि उज्जैन से विशाल राजौरिया जो प्रदेश संयोजक खेल प्रकोष्ठ भाजपा का कार्य देख रहे हैं यह भी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं। इन्हें पूर्व मंत्री पारस जैन का समर्थक माना जाता है।
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भोपाल से युवा चेहरों में सुमित पचौरी का नाम भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल है। यह पिछली बार पूरी ताकत से युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष के लिए दावेदारी जता चुके हैं और वर्तमान में जिला उपाध्यक्ष भाजपा और संस्कृति प्रकोष्ठ में प्रदेश संयोजक हैं। सुमित पचौरी राकेश सिंह और वीडी शर्मा के समर्थक माने जाते हैं। यहाँ यह बात भी गौर करने लायक होगी कि भोपाल से आने वाले अंशुल तिवारी और सुमित पचौरी दोनों एक दूसरे के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखे जाते हैं। जहाँ अंशुल तिवारी को युवा मोर्चा में दायित्व दिया गया तो वहीं सुमित को प्रदेश बीजेपी में पदाधिकारी बनाया गया। एक दूसरे को शह और मात देने वाले यह दोनों ब्राह्मण चेहरे इस बार अध्यक्ष पद के लिए पूरी ताकत झोके पड़े हैं।
इनके अलावा ब्राह्मण नेता पुत्रों की बात करें तो सबसे पहले प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक भार्गव का नाम है जिन्हें लोकसभा चुनाव में टिकिट न मिलने से पुत्रमोह में गोपाल भार्गव ने पार्टी संगठन से ही दो दो हाथ करने की तैयारी कर ली थी। लेकिन संगठन के आगे इनकी एक न चली। इस बार युवा मोर्चा अध्यक्ष के लिए अभिषेक भार्गव भी दावेदारी में शामिल हैं। वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकर्ण मिश्रा और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के पुत्र तुष्मुल झा भी इस दौड़ में शामिल हैं। जहाँ नरोत्तम मिश्रा प्रदेश के ब्राह्मण नेताओं में अपनी एक अलग साख रखते हैं तो वहीं प्रभात झा प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और इन दिनों केन्द्र की राजनीति कर रहे हैं। अगर परिवारवाद का शिगूफा युवा मोर्चा चुनाव में नहीं चला तो इन तीनों नेता पुत्रों में से एक को अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
लेकिन अगर पार्टी कार्यकर्ता और जमीनी स्तर पर काम करने वाले युवाओं को तवज्जो देती है तो एक बार फिर युवा मोर्चा अध्यक्ष ब्राह्मण चेहरा ही होगा यह निश्चित माना जा रहा है। इसके पीछे की वजह यह है कि बीजेपी की सेकेंड लाइन इन्हीं ब्राह्मण युवा नेताओं से भरी पड़ी है। दूसरी ओर अगर राकेश सिंह के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किसी ब्राह्मण नेता को बनाया जाता है तो फिर युवा मोर्चा में इन युवा ब्राह्मण चेहरों के अलावा पिछड़ा वर्ग से किसी युवा चेहरे को युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नवाजा जा सकता है।
-दिनेश शुक्ल