बैंक और फाइनेंस कंपनियों के वसूली एजेंट्स पर आरबीआई और कोर्ट दोनों ने कसा शिकंजा, अब नहीं चलेगी कोई मनमानी

By कमलेश पांडे | Jul 01, 2023

भारतीय सभ्यता-संस्कृति में कर्ज और फर्ज को समय पर अदा करने की परंपरा रही है। यदि किसी कारण वश इसमें विलम्ब हो जाए तो यह नीरा अफसोसजनक बात समझी जाती है। भारतीय चार्वाक दर्शन में तो यहां तक कहा गया है कि ऋण लेकर भी शुद्ध घी पीना चाहिए और जबतक जीना है, सुख पूर्वक जीना चाहिए। हालांकि, आधुनिक भारतीय व्यवस्था में आम आदमी जब किसी भी कारण वश लोन लेता है तो यह कर्ज उसी आदमी के लिए मानसिक तनाव यानी टेंशन का कारण बन जाता है। वहीं, अमीर लोगों के द्वारा लिया गया कर्ज यानी लोन बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं के लिए परेशानी का सबब बनता है। 


ऐसे में यदि आम आदमी किसी वजह से लोन समय पर न चुका पाए तो वित्तीय संस्थाओं के द्वारा उसे निरन्तर डराया-धमकाया भी जाता रहा है। कुछ यही कारण है कि भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने किसी भी वित्तीय संस्थानों के द्वारा लोन रिकवरी के तौर तरीकों के संबंध में कुछ सख्त कानून बनाए हैं, जो कानून आम आदमी के हितों की समुचित रक्षा करते हैं,जबकि बैंकों समेत अन्य सभी वित्तीय संस्थानों को अपने कड़े नियमों-परिनियमों में बांधते हैं, ताकि वे किसी भी प्रकार की मनमानी आम कर्जदार के साथ न कर पाएं।


अनुभव बताता है कि यदि आपने किसी बैंक से लोन लिया है और अपरिहार्य कारणों वश उसका किस्त चुकाने से चूक गए हैं तो बैंक अपने रिकवरी एजेंट्स के माध्यम से आपको परेशान करना शुरू कर देता है। देशभर में रिकवरी एजेंट्स की मनमानी के तरह तरह के मामले सामने आते रहते हैं, इसलिए आरबीआई ने इस मसले पर सख्ती बरती है और इतने कड़े प्रावधान तय कर दिए हैं कि अब चाहकर भी कोई रिकवरी एजेंट्स वसूली के नाम पर अपनी मनमानी नहीं कर सकता है। इसलिए बेहद जरूरी है कि आप भी भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई के इन नियमों-विनियमों के बारे में अच्छी तरह से जान लें, ताकि अगर कोई रिकवरी एजेंट आपको लोन के पैसों के लिए कभी डराये-धमकाये तो आपको पता रहे कि उसके नाजायज हरकतों के खिलाफ आपके पास क्या कानूनी अधिकार हैं।

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वहीं, अब मई महीने के दूसरे पखवाड़े में पटना हाई कोर्ट ने भी बैंक और फाइनेंस कंपनियों के वसूली एजेंट्स को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि कोई लोन नहीं चुका पाता है तो वसूली एजेंट उसकी गाड़ी को जब्त नहीं कर सकते हैं। हाई कोर्ट ने अपना एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि यदि कोई व्यक्ति गाड़ी खरीदने के लिए फाइनेंस कंपनी से लोन लेता है और लोन की किस्त समय पर चुकाने में असमर्थ होता है तो फाइनेंस कंपनी का वसूली एजेंट्स के जरिए गाड़ी को जब्त करना गैरकानूनी है। क्योंकि ढेर सारे मामलों में यह देखा गया है कि यदि कोई व्यक्ति फाइनेंस कंपनी से लोन पर गाड़ी लेता है और किसी परिस्थिति वश वह यदि उसकी किस्त समय पर नहीं चुका पाता है तो फाइनेंस कंपनी के दबंग जबरन उस व्यक्ति से उसकी गाड़ी को जब्त कर लेते हैं, जो कि सरासर गलत है। इसीलिए कोर्ट ने अब फाइनेंस कंपनी और बैंकों पर जुर्माना लगाया है।


वहीं, कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि यदि किसी बैंक या फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंट लोन की ईएमआई नहीं चुकाने की स्थिति में जबर्दस्ती किसी व्यक्ति से गाड़ी जब्त करते हैं तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और कार्रवाई होनी चाहिए। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की सिंगल बेंच ने इसी मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि बैंक और फाइनेंस कंपनियों के द्वारा लोन नहीं चुका पाने की स्थिति में उनके रिकवरी एजेंट अब जबरन गाड़ी को जब्त नहीं कर पाएंगे। अन्यथा ऐसे रिकवरी एजेंट्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद जिला में पुलिस अधीक्षक यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे दबंग वसूली एजेंट्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।


इसलिए अब यदि बैंक के लोन रिकवरी एजेंट आपको डराते-धमकाते हैं तो आप सीधे पुलिस शिकायत कर सकते हैं, क्योंकि लोन की किस्त नहीं चुका पाना सिविल विवाद के दायरे में आता है। इसलिए बैंक अधिकारी या फिर उनके रिकवरी एजेंट डिफॉल्टर के साथ किसी भी तरह की कोई भी मनमानी नहीं की जा सकती है। क्योंकि लोन रिकवरी के लिए एजेंट के कॉल करने और घर आने तक का समय तय होता है। बता दें कि बैंक लोन लेने के बाद जब भी कोई ग्राहक किस्त समय पर नहीं चुका पाता है तो बैंक उसे नोटिस भेजकर पैसा जमा करने को कहती है और कुछ मामलों में बैंक के रिकवरी एजेंट ग्राहक से संपर्क करते हैं। लेकिन वसूली के तौर-तरीकों को लेकर इन एजेंटों की शिकायतें आती रही हैं। इसलिए इसी साल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्राइवेट सेक्टर के आरबीएल बैंक पर 2.27 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका है। यह जुर्माना इसलिए लगाया गया है कि  बैंक ने लोन रिकवरी एजेंट भर्ती करने के लिए कुछ जरूरी नियमों का पूरे तरीके से पालन नहीं किया था।


# समझिए, लोन रिकवरी का नियम क्या है?

आप जब भी किसी बैंक से लोन लेते हैं और अगर 2 ईएमआई नहीं चुकाते है तो बैंक सबसे पहले आपको एक रिमाइंडर भेजता है। लेकिन तीसरी किस्त का भुगतान नहीं करने पर बैंक आपको एक कानूनी नोटिस भेजगा और चेतावनी देगा कि अगर आप पेमेंट नहीं करते हैं तो बैंक की तरफ से आपको डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाएगा। वहीं, नोटिस के बाद बैंक रिकवरी एजेंट के माध्यम से ग्राहक से लोन की रिकवरी शुरू करता है।


# जानिए, यदि कोई रिकवरी एजेंट धमकी दे तो आप क्या करें

बैंक के लोन रिकवरी एजेंट यदि आपको डराते-धमकाते हैं तो आप सीधे पुलिस में शिकायत कर सकते हैं। चूंकि लोन की किस्त नहीं चुका पाना सिविल विवाद के दायरे में आता है, इसलिए डिफॉल्टर के साथ कोई मनमानी नहीं की जा सकती है। लोन रिकवरी के लिए बैंक अधिकारी या रिकवरी एजेंट डिफॉल्टर ग्राहक को सुबह 7 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच में ही कॉल कर सकता है। वहीं, लोन की रकम की वसूली के लिए घर पर आने का समय भी यही होगा। यदि बैंक अधिकारी या रिकवरी एजेंट इन नियमों को तोड़ते हैं तो ग्राहक इसकी शिकायत पुलिस या आरबीआई से कर सकते हैं।


# बैंक फ्रॉड को लेकर आरबीआई का नियम और दिशा-निर्देश के बारे में जानिए

लोन की रकम की वसूली के लिए सबसे पहले बैंक ग्राहकों को रिकवरी एजेंट या एजेंसी के बारे में सूचित करें। रिकवरी एजेंट को ग्राहक से संपर्क करते समय बैंक के नोटिस की कॉपी साथ रखनी होगी। यदि कोई ग्राहक रिकवरी एजेंट की शिकायत करता है तो बैंक संबंधित मामले में उस रिकवरी एजेंट्स को भेजने की अनुमति नहीं होगी।


इससे यह स्पष्ट हो चुका है कि लोन वसूली के नाम पर रिकवरी एजेंट्स की दादागिरी अब नहीं चलेगी। इसलिए अब कोई बैंक रिकवरी एजेंट यदि आपको डराये-धमकाए, तो उसे सम्बन्धित नियम पढ़ाएं, उसके बाद वह दबे पैर लौट जाएगा और आप चैन की नींद ले पाएंगे। क्योंकि आरबीआई ने लोन रिकवरी से जुड़े कुछ नियम-परिनियम तय किए हैं, जिसके मुताबिक यदि कोई बैंक या उसके एजेंट्स इन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो ग्राहक सीधे इसकी शिकायत पुलिस या आरबीआई से कर सकता है। इसलिए इन नियमों को जान लेना सबके लिए बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में आपको कभी इससे संबंधित कोई परेशानी न हो।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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