यूरोप में दबदबे के लिए गरमाई सरहदें, रूस ने भेजे परमाणु बमवर्षक, ब्रिटेन ने उतारे सैनिक, जानिए क्या है बेलारूस-पोलैंड प्रवासी संकट?

By अभिनय आकाश | Nov 15, 2021

पोलैंड और बेलारूस की सीमा पर हजारों की संख्या में प्रवासियों की उपस्थिति अपने आप में इन दिनों एक बड़े विवाद की वजह बना हुआ है। कड़ाके की सर्दी में ये लोग खुले में रहने को मजबूर हैं। बेहतर जीवन की चाह में आए शरणार्थियों के साथ छोटे-छोटे बच्चें भी हैं। लेकिन पोलैंड और बेलारूस में तनाव लगातार बढ़ रहा है। बेलारूस और पोलैंड की सीमा पर हजारों शरणार्थी व प्रवासी और हथियारबंद सैनिक इस समय आमने-सामने हैं। बेलारूस से यह प्रवासी पोलैंड के जरिए यूरोपीय संघ में घुसना चाहते हैं। रूस ने परमाणु हमले में सक्षम युद्ध विमान भेजे हैं और सीमा के पास पैराट्र्रूपर्स उतारकर बेलारूसी सेना के साथ युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ पोलैंड की मदद के लिए यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने भी सैनिक भेजे हैं। 

सबसे पहले आपको 10 लाइनों में कहानी के बैकग्राउंड के बारे में बता देते हैं जिससे आपको पूरे विवाद को समझने में आसानी होगी-

1.) अगस्त 2020 में अलेक्जेंडर लुकाशेंको छठी बार राष्ट्रपति के रूप में चुने गए।

2.) विपक्ष और पश्चिमी देशों ने चुनाव को फर्जी करार दिया, बड़े पैमाने पर विरोध हुए। 

3.) हिंसा के दौरान 35,000 से अधिक गिरफ्तार किए गए, ईयू और यूएस ने बेलारूस पर प्रतिबंध लगाए।

4.) बेलारूस द्वारा ग्रीस जाने वाले विमान को मिन्स्क की ओर मोड़कर लुकाशेंको विरोधी पत्रकार रेमन प्रतावेसिच को गिरफ्तार किया।

5.) यूरोपीय संघ ने बेलारूसी हवाई वाहकों को देश में पेट्रोलियम और पोटाश जैसी आवश्यक वस्तुओं के आयात में कटौती करने से रोक दिया।

6.) लुकाशेंको ने प्रवासियों के अवैध आंदोलन को रोकने के लिए एक समझौते का पालन करने से इनकार कर दिया।

7.) लोकाशेंको ने तुर्की से ईराक, सीरिया व अन्य अशांत देशों के हजारों प्रवासियों को लाकर पोलैंड, लिथुआनिया और लातविया से लगती सीमा पर पहुंचाया।

8.) ईयू का आरोप है कि लुकाशेंको ने प्रवासियों को हथियार की तरह उपयोग कर हाईब्रिड युद्ध शुरू कर दिया।

9.) प्रतिबंधों का बदला लेने के लिए बेलारूस प्रवासी घुसा रहा है।

10.) रूस की तरफ से लुकाशेंको को भरपूर सहयोग दिया जा रहा है।  

पोलैंड-बेलारूस सीमा संकट गहराया

भारी तादाद में लोगों द्वारा सीमा पार करने की बेताबी के बाद बेलारूस के साथ पोलैंड की सीमा पर महीनों से चल रहा प्रवासी संकट तेजी से गहराता जा रहा है। वायरल वीडियो फुटेज में पोलैंड के साथ लगी कंटीले तारों वाली सीमा पर बेलारूस की ओर लोगों की भीड़ दिखाई दे रही है। कुछ लोग बोल्ट कटर और धक्का-मुक्की करके ज़बरन पोलैंड में दाखिल होने की कोशिश करते दिख रहे हैं, जबकि पोलिश गार्ड आँसू गैस का इस्तेमाल कर उन्हें रोकते नज़र आ रहे हैं। प्रवासियों में से ज़्यादातर युवक हैं, लेकिन इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, ज़्यादातर लोग मध्य पूर्व और एशिया से हैं और वे बेलारूस के सीमावर्ती इलाक़े में तंबू में डेरा डाले हुए हैं। इनमें से कई लोग अब कड़कड़ाती ठंड में अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं।

  • 2020 में यूरोप में 125,100 अवैध रूप से सीमा पार किया
  • 2021 में अब तक 85 हजार अवैध रूप से सीमा पार किया

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शरणार्थी कहां से आ रहे हैं 

सीरिया

मोरक्को

अलजीरिया

ट्यूनेशिया

बांग्लादेश

पाकिस्तान

सोमालिया

इराक

सुडान

अफगानिस्तान 

क्यों सभी यूरोप में पनाह लेना चाह रहे

यूरोप में वे रिफ्यूजी स्टेटस के लिए आवेदन कर सकते हैं और अनुमति मिलने के बाद वे कानूनी रूप से एक साल या उससे ज्यादा रहने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगे। कई को यूरोपीय समाज में शामिल होने में भी मदद मिलेगी। सभी एक अच्छे जीवन की चाह में हैं। ईपीसी व्यवस्था यूरोपीय मूल्य का अभिन्न अंग है। शरणार्थियों को जिसकी वजह से एक नए शुरुआत का अवसर मिलता है। 2020 के अंत तक विश्व के 10 प्रतिशत रिफ्यूजी यूरोप में रह रहे हैं। लेकिन अब और भी शरणार्थी कतार में हैं। लेकिन क्या यूरोप उन्हें अपने यहां लेना चाहेगा। या फिर ये शरणार्थियों को पनाह देने के खुलेपन की सजा मिल रही है। 

रिफ्यूजी ने एंट्री कैसी की? 

2020 तक बालकन और मैट्रेरिन के रास्ते खतरों में नाव का लंबा सफर तय कर पहुंचते थे। लेकिन 2021 में माइग्रेशन का एक नया रास्ता भी खुला। बेलारूस के सोशल मीडिया में कुछ इश्तेहार नजर आए जिसमें कहा गया कि राजधानी मिंग्स आइए और हम आपको टैक्सी से जर्मनी तक पहुंचा देंगे। बेलारूस के वीजा प्रोसेस भी अचानक से बहुत सरल कर दिए गए। क्या ये लोकाशेनको की शरणार्थियों को देखते हुए दरियादिली थी। लुकाशेंको के विरुद्ध प्राथमिक तौर पर आरोप लगाया जा रहा कि वह बेलारूस में बड़ी संख्या में मौजूद रिफ्यूजियों का सामान और उनके फोन छीनकर उन्हें अवैध तरीके से पोलैंड भेजने के लिए मजबूर कर रहे हैं और उन्हें पोलैंड के बॉर्डर तक जबरन पहुंचाया जा रहा है. अपनी इस हरकत से वह जानबूझ कर बॉर्डर क्राइसिस को बढ़ावा दे रहा है। शुरुआत में शरणार्थियों की संख्या कम थी तो पॉलिस बॉर्डर गार्ड उन्हें डिटेन कर डिटेनशन सेंटर पहुंचा देते। लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता ये संख्या हजारों में पहुंच गई। लोग बॉर्डर पर एकट्ठा होने लगे। अगस्त से लेकर अभी तक 30 हजार से ज्यादा लोग पोलैंड बॉर्डर पार करने की कोशिश करते दिखे। जब ये संख्या बढ़ी तो शरणार्थियों को बॉर्डर से वापस लौटने को कहा गया। लेकिन बेलारूस के अधिकारियों ने इस पर पाबंदी लगा दी। अब ये शरणार्थी न बेलारूस जा पा रहे हैं और न ही पोलैंड। 

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शरणार्थियों को हथियार 

ईयू के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको उनके शासन पर ईयू द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से नाराज हैं। ईयू ने यह प्रतिबंध वर्ष 2020 के विवादित चुनाव के बाद विरोधियों के कथित दमन के मद्देनजर लगाया है। इसके साथ ही बेलारूस हजारों प्रवासियों को लालच दे रहा है कि वह उन्हें पश्चिमी यूरोप पहुंचने में मदद करेगा। यूरोपीय संघ का हिस्सा पोलैंड ने आरोप लगाया है कि बेलारूस उनकी सीमा में आ रहे शरणार्थियों को हथियार दे रहा है ताकि वे ताकत के बल पर घुस जाएं। बताया जा रहा है कि पोलैंड के सैनिक आज इन हथियारबंद शरणार्थियों के खिलाफ ऐक्‍शन ले सकते हैं। पोलैंड से आ रही खबरों में यह भी दावा किया जा रहा है कि बेलारूस की ओर से शरणार्थियों को निर्देश दिया गया है कि वे कुजनिका सीमा पर हमला करें। यह उन दो प्रमुख स्‍थानों में से है जहां से बेलारूस के रास्‍ते पोलैंड में प्रवेश किया जा सकता है। 

प्रवासी संकट में रूस की भूमिका 

बेलारूस के लिए रूस एक मजबूत सहयोगी बना हुआ है। रूस की तरफ से लुकाशेंको को कर्ज के साथ ही राजनीतिक समर्थन दे रहा है। कई अवसरों पर क्रेमलिन की तरफ से दावा किया गया है कि ये संकट इराक और अफगानिस्तान में अमेरिका के नेतृत्व वाले युद्धों का परिणाम है। इसके साथ ही खबर ये भी है कि रूस ने बेलारूस के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए वहां पैराट्रूपर भेजे। संयुक्त युद्धाभ्यास के तौर पर रूसी पैराट्रूपर भारी मालवाहक।।-76 विमान से बेलारूस के गोडनो क्षेत्र में उतरे। बेलारूस की सेना ने कहा कि रूसी पैराट्रूपर की संलिप्तता वाले इस अभ्यास का मकसद ‘बेलारूस सीमा के समीप सैन्य गतिविधि बढ़ जाने के कारण सहयोगियों की त्वरित जवाबी कार्रवाई की तैयारी की परखना है। परमाणु क्षमता वाले दो रणनीतिक बमवर्षक विमान प्रशिक्षण मिशन पर बेलारूस भेजे। इसे पोलैंड से लगी सीमा पर प्रवासी संकट को लेकर जारी विवाद में उसके सहयोगी बेलारूस के समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है। 

पुतिन ने कहा- हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है

रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि पोलैंड-बेलारूस सीमा पर प्रवासी संकट से उसका कोई लेना-देना नहीं है। रूस की तरफ से कहा गया कि हर कोई हमें हर अवसर पर किसी न किसी चीज के लिए जिम्मेदार बनाने की कोशिश करने में लगा है। रूसी राष्ट्रपति ने यूरोपीय संघ और बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको के बीच "सीधी बातचीत" की उम्मीद जताते हुए कहा कि जैसा कि मैंने समझा चांसलर मर्केल और लुकाशेंको बात करने को तैयार हैं। पुतिन ने कहा कि लुकाशेंको ने यूरोप को गैस की आपूर्ति में कटौती की संभावना पर उनसे बात नहीं की थी। रूसी राष्ट्रपति की टिप्पणी बेलारूस और रूसी सैनिकों द्वारा पोलैंड के पास सैन्य अभ्यास करने के बाद आई है।

युद्ध, गरीबी और भुखमरी से बचकर भागते लोग ले रहे यूरोप की शरण

लंबे समय से यूरोप शरणार्थियों की समस्या से जूझ रहा है। कर्मफल का सिद्धांत एक लंबा चक्र पूरा कर उसके दरवाजे पर पहुंच गया। सीरिया, अफगानिस्तान जैसे कई जगहों पर दखल का परिणाम अब समस्या के रूप में सामने आ रहा है। युद्ध, गरीबी और भुखमरी से बचकर भागते हुए लोग यूरोप के देशों में जाना चाहते हैं। जाना तो अमेरिका भी चाहते थे लेकिन वहां ट्रंप बीच में दीवार बनकर ठहर गए और  बीच में समुंद्र भी थे। हालांकि ये रणनीति भी काम नहीं आ रही। लेकिन अमेरिका पहुंचने के मुकाबले यूरोप पहुंचना ज्यादा आसान नजर आ रहा है।

-अभिनय आकाश 

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