मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी से करने वाली किताब ढोंग, चमचागिरी की हद है: शिवसेना

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 14, 2020

मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी से करने वाली किताब को शिवसेना ने ‘पाखंड और चाटुकारिता’ की हद बताया और जोर देकर कहा कि मोदी ‘भारत के राजा’ नहीं हैं। मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने भाजपा नेताओं को छत्रपति शिवाजी पर कुछ किताबें पढ़ने की सलाह दी और कहा कि यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी 17वीं सदी के मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी से तुलना पसंद नहीं आई होगी। इसमें कहा गया कि महाराष्ट्र में गुस्से की लहर है लेकिन यह प्रधानमंत्री के खिलाफ नहीं बल्कि ‘‘आज का शिवाजी: नरेंद्र मोदी’’ किताब के खिलाफ है। किताब भाजपा के नेता जय भगवान गोयल ने लिखी है। इससे महाराष्ट्र में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने किताब की आलोचना की और मोदी की तुलना शिवाजी महाराज से किए जाने को ‘अपमान’ बताया।

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शिवसेना ने संपादकीय में लिखा, ‘‘गुस्से की लहर मोदीजी के खिलाफ नहीं बल्कि किताब के खिलाफ है, यह अपने आप में ढोंग और चमचागिरी की हद है।’’ इसमें लिखा गया, ‘‘ मोदी एक कर्तबगार और लोकप्रिय नेता हैं, देश के प्रधानमंत्री के रूप में उनका कोई तोड़ नहीं। फिर भी वे देश के छत्रपति शिवाजी हैं क्या? उन्हें छत्रपति शिवराय का स्थान देना सही है क्या? इसका उत्तर एक स्वर में यही है, ‘नहीं… नहीं…!’ उनकी तुलना जो लोग शिवाजी महाराज से कर रहे हैं उन्होंने छत्रपति शिवाजी राजे को समझा ही नहीं। प्रधानमंत्री मोदी को भी ये तुलना पसंद नहीं आई होगी। लेकिन अति उत्साही भक्त नेताओं के लिए अक्सर परेशानी खड़ी कर देते हैं। ये मामला भी कुछ ऐसा ही है।’’

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संपादकीय में लिखा गया, ‘‘अभी जो लोग श्री मोदी को ‘आज के शिवाजी’ के रूप में संबोधित कर रहे हैं इन्हीं लोगों ने लोकसभा चुनाव के पहले मोदी को विष्णु का तेरहवां अवतार माना था। कल विष्णु के अवतार, आज ‘शिवाजी’। इसमें देश, देव और धर्म का अपमान है ही लेकिन मोदी भी घेरे में हैं। ‘आज के शिवाजी नरेंद्र मोदी’ नामक पुस्तक ढोंग और चमचागिरी का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं को इस ढोंग का खुलकर विरोध करना चाहिए।’’ शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र की 11 करोड़ जनता को यह तुलना बिलकुल पसंद नहीं आई। छत्रपति शिवाजी के वंशज एवं भाजपा विधायक शिवेंद्रराजे भोंसले ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया था।

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