By अंकित सिंह | Nov 23, 2022
बिहार में महागठबंधन की सरकार और भाजपा के बीच जबरदस्त तरीके से वार-पलटवार का दौर चल रहा है। बिहार में हाल के दिनों में नीतीश कुमार और उनकी सरकार की ओर से नियुक्ति पत्र बांटे जा रहे हैं। नीतीश सरकार का दावा है कि वह बिहार में युवाओं को लगातार रोजगार देने के लिए प्रतिबंध है। दूसरी ओर भाजपा जबरदस्त तरीके से नीतीश सरकार पर रोजगार को लेकर हमलावर है। भाजपा का दावा है कि पुराने लोगों को ही बुला कर नौकरी पत्र दिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में भाजपा के बिहार अध्यक्ष संजय जायसवाल ने साफ तौर पर कहा है कि अगर 10 लाख रोजगार देने के वादे पर सरकार कुछ नहीं करती है तो हम सदन नहीं चलने देंगे। इसी को लेकर तेजस्वी यादव का भी बयान आया है। उन्होंने कहा है कि जो कुछ भी होगा सदन में देखा जाएगा जवाब दिया जाएगा।
अपने बयान में संजय जायसवाल ने कहा कि जिन्होंने 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था, उनके लिए एक अवसर है। हमने सबकुछ तैयार कर दिया था। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा 13 दिसंबर से बिहार विधानसभा सत्र से पहले तक समय देती है, इस मुद्दे का सही निदान नहीं होने पर भाजपा सदन नहीं चलने देगी। CTET-BTET की बहालियों को यथाशीघ्र पूरा किया जाए। भाजपा नेता ने आगे कहा कि हमारे निर्णय के बाद तय किया गया था कि 1.15 लाख शिक्षकों की नियुक्ति करनी है। इसका आश्वासन सदन में तत्कालीन बिहार के शिक्षा मंत्री ने दिया था। लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि प्रश्नकर्ता उस समय वह व्यक्ति थें, जो आज बिहार के शिक्षा मंत्री हैं।
दूसरी ओर जायसवाल के बयान पर जदयू की भी प्रतिक्रिया आई है। जदयू संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बयान में कहा कि जब विपक्ष द्वारा संसद की कार्यवाही बाधित की जाती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिकायत करते हैं। लेकिन अब, उनके लोग बिहार में ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नीतीश कुमार नीत सरकार रोजगार सृजन की दिशा में काम कर रही है लेकिन इन चीजों में कई कदम शामिल हैं और इसमें समय लगता है। कुशवाहा ने कहा कि यह बहुत हास्यास्पद है कि उस पार्टी द्वारा 10 लाख नौकरियों का वादा पूरा नहीं करने का आरोप लगाया जा रहा है जो हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा करके सत्ता में आई थी और लगभग एक दशक बाद भी पूरा नहीं कर पाई है।