By अभिनय आकाश | Jun 08, 2021
साल 2015 का दिल्ली विधानसभा चुनाव। 49 दिन की सरकार वाली नई नवेली आम आदमी पार्टी दूसरी बार चुनावी समर में थी। आप के अगुआ अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली विधानसभा से चुनौती देने के लिए भारतीय जनता पार्टी पूर्व आईपीएस अधिकारी और क्रेन बेदी के नाम से मशहूर किरण बेदी को लेकर आई। हालांकि उन्हें चुनाव में पराजय मिली थी। इसके बावजूद बीजेपी ने उन्हें पुडुचेरी का राज्यपाल बनाया था। केरल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मेट्रो मैन के नाम से मशहूर ई श्रीधरन ने भगवा दल का दामन थामा। बीजेपी को उम्मीद थी कि श्रीधरन के आने से राज्य में पार्टी को चमक मिलेगी लेकिन बीजेपी के टिकट पर अपने गृह नगर केरल के पलक्कड़ से श्रीधरन कांग्रेस के सभी शफी परमबिल से 4000 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए। अब श्रीधरन को लेकर चर्चा है कि पार्टी आलाकमान ने अपने साथ बनाए रखना चाहती है, इसलिए उनके बेहतर समायोजन का रास्ता तलाशा जा रहा है।
बीजेपी के गलियारों में कहा जा रहा है कि ऐसे लोगों का एडजस्टमेंट जरूरी हो जाता है क्योंकि यह लोग एक विशिष्ट वर्ग में पार्टी को नई पहचान देते हैं। अगर इन्हें पार्टी में लिया गया और कामयाब ना होने पर उन्हें तवज्जो ना दी गई तो भविष्य में विशिष्ट क्षेत्र के नामचीन चेहरे को पार्टी से जोड़ पाना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा। इसलिए उनके बीच में यह विश्वास पैदा करना जरूरी होता है कि अगर वे चुनावी राजनीति में कामयाब नहीं हुए तो भी पार्टी उन्हें भुलाएगी नहीं।
चुनाव हारने पर भी किया वादा पूरा
अपने प्रचार के दौरान ई श्रीधरन ने मतदाताओं से वादा किया था कि वह क्षेत्र के सभी परिवारों को बिजली कनेक्शन सुनिश्चित करेंगे। अब श्रीधरन ने इन परिवारों के बकाया भुगतान के खिलाफ सहायक अभियंता, केएसईबी कलपथी के नाम 81,525 रुपये का चेक दिया। उन्होंने भाजपा जिलाध्यक्ष ई कृष्णदास के एक कार्यक्रम में इंजीनियर को चेक सौंपा। कुछ दिन पहले नगर पालिका के वार्ड 3 में कुछ अनुसूचित जाति (एससी) परिवारों ने शिकायत की थी, कि उनके इलाके में बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही है। इसके बाद उन्होंने ये भी सुनिश्चित किया कि, 11 अनुसूचित जाति परिवारों को भी अब नए बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे।