By अंकित सिंह | Dec 07, 2022
दिल्ली नगर निगम के चुनावी नतीजे आ गए हैं दिल्ली में भाजपा को बड़ा झटका लगा है आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नगर निगम चुनाव में 134 सीटों पर जीत हासिल करके भाजपा को शासन से हटा दिया है भाजपा 104 सीटों पर ही सिमट गई है बहुमत के लिए दिल्ली नगर निगम में 126 सीटों की आवश्यकता है लेकिन आश्चर्य की बात यह भी है कि हार के बावजूद भी भाजपा नेता कहीं ना कहीं आम आदमी पार्टी पर ही पलटवार कर रहे हैं कई जगह से तो भाजपा नेताओं के जश्न के भी खबर आई सवाल ही है कि आखिर हार कर भी भाजपा के नेता जश्ने क्यों मना रहे हैं इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि आम आदमी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के गढ़ में भाजपा ने अपने किले को मजबूत कर लिया है
भाजपा के प्रवक्ता अमित मालवीय ने ट्वीट में लिखा कि आप के जेल में बंद मंत्री सत्येंद्र जैन के निर्वाचन क्षेत्र में सभी 3 वार्डों और पटपड़गंज के मनीष सिसोदिया के क्षेत्र में चार में से 3 पर बीजेपी ने जीत हासिल की है। अरविंद केजरीवाल के करीबी दोनों भ्रष्ट मंत्रियों को अपने-अपने इलाकों में झटका लगा है। इसके विपरीत बीजेपी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 1% वोट शेयर हासिल किया है। इसके बाद उन्होंने लिखा कि बीजेपी ने नजफगढ़ में चार में से 3 सीटें जीतीं। आप के एक और भ्रष्ट मंत्री कैलाश गहलोत हैं यहां के विधायक हैं। आप हाजी यूनुस के कब्जे वाले मुस्तफाबाद विधानसभा के सभी 5 वार्डों में हार जाती है और ओखला में 5 में 4 वार्ड हार जाती है, जहां से अमानतुल्ला खान विधायक हैं।
इकसे साथ ही उन्होंने कहा कि अब दिल्ली का मेयर चुनने की बारी...यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन करीबी मुकाबले में नंबर पकड़ सकता है, मनोनीत पार्षद किस तरह से मतदान करते हैं आदि। उदाहरण के लिए, चंडीगढ़ में भाजपा का मेयर है। पार्टी के नेता विजेंद्र गुप्ता ने लिखा कि एमसीडी के नतीजे पिछले 8 वर्षों में आप की अक्षमता की एक शानदार तस्वीर पेश करते हैं। न केवल उनका वोट 12% कम हो गया है, बल्कि उनके शीर्ष मंत्रियों ने अपनी विधानसभा सीटों के तहत बहुमत खो दिया है। भ्रष्ट आप मंत्री सत्येंद्र जैन के क्षेत्र में सभी वार्ड पार्टी से हार गए हैं। उन्होंने लिखा कि डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के निर्वाचन क्षेत्र में, 4 में से केवल 1 वार्ड ने AAP को वोट दिया। दिल्ली के लोग "कट्टर भ्रष्टाचार" सरकार के प्रति जाग गए हैं और वे पीछे धकेल रहे हैं। यह आप के कुशासन के अंत की शुरुआत है।