By Anoop Prajapati | Nov 15, 2024
कसबा पेठ निर्वाचन क्षेत्र पुणे शहर का सबसे दिलचस्प निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। कसबा विधानसभा क्षेत्र को पुणे शहर का हृदय भी कहा जाता है। दिवंगत बीजेपी नेता गिरीश बापट कसबा पेठ विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते थे। कसबा पेठ विधानसभा में मराठा, ओबीसी, ब्राह्मण, दलित और मुसलमानों की मिश्रित आबादी है। कसबिया में मुस्लिम समुदाय के 14 फीसदी और दलितों के करीब 11 फीसदी वोट हैं। क़स्बा पेठ विधान सभा में शहरी मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख है। भारतीय जनता पार्टी ने यहाँ से हेमंत रसाने को टिकट दिया है। दिवंगत बीजेपी नेता गिरीश बापट ने पिछले 25 वर्षों तक शहर का प्रतिनिधित्व किया है।
बीजेपी का 25 साल तक दबदबा रहा
कसबा सीट पर 1995 से 2019 तक बीजेपी का एकछत्र दबदबा रहा। सर्वदलीय और सर्वजाति-धर्म नेता के रूप में गिरीश बापट की छवि को हमेशा मतदाताओं का समर्थन प्राप्त रहा। वहीं, कसबा सीट पर बीजेपी ने लगातार पांच बार जीत हासिल की। 2019 में बीजेपी ने गिरीश बापट को पुणे लोकसभा के लिए उम्मीदवार बनाया और वह बड़े वोटों के अंतर से संसद के लिए चुने गए थे। गिरीश बापट की जगह बीजेपी ने पुणे की पूर्व मेयर मुक्ता तिलक को उम्मीदवार बनाया और वह जीत गईं, लेकिन कैंसर के कारण उनकी असामयिक मौत हो गई। तिलक के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के रवींद्र धांगेकर ने बीजेपी के हेमंत रसाने को हराकर बीजेपी के गढ़ में कांग्रेस को जीत दिलाई।
उपचुनाव जीतकर कांग्रेस ने चौंका दिया था
कसबा पेठ में कांग्रेस की जीत पर पूरे राज्य में तीखी बहस छिड़ी थी। जिस सीट पर 25 साल तक बीजेपी का कब्जा रहा, कांग्रेस ने उसी गढ़ को ढहाकर इतिहास रच दिया। कस्बे के मतदाताओं का वोट सामान्य राज्य का वोट माना जाता है। इसका कारण यह है कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में मिश्रित आबादी होती है और इसमें विभिन्न जातियों और धर्मों के लोगों के मन की झलक मिलती है। फिलहाल कसबा का प्रतिनिधित्व वर्तमान में कांग्रेस के रवींद्र धांगेकर कर रहे हैं।