By अनुराग गुप्ता | Dec 27, 2021
देहरादून। उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में खींचतान शुरू हो चुकी है। कुछ वक्त पहले उत्तराखंड आए हुए केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने इशारों-इशारों में साफ कर दिया था कि पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाना है और सत्ता में वापसी करने पर पुष्कर सिंह धामी को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।
प्रदेश भाजपा में इन दिनों खींचतान बढ़ती जा रही है। पार्टी नेता दो धड़े में दिखाई दे रहे हैं। एक धड़ा कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वालों का है, जिन्हें भाजपा से कुछ बड़े की उम्मीद थी लेकिन चुनाव करीब आते ही उन्हें लगने लगा है कि मंत्री के ही दावेदार हैं और उससे ज्यादा उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। मुख्यमंत्री तो बहुत दूर की बात है।
उत्तराखंड की सियासत बाकी राज्यों की तुलना में काफी अलग है। यहां पर महज कांग्रेस के एनडी तिवारी ने ही अपना कार्यकाल पूरा किया है। इसके अलावा कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। इसीलिए तो भाजपा को पांच सालों में तीसरा मुख्यमंत्री बनाना पड़ा। त्रिवेंद्र सिंह रावत के तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया और फिर उन्हें हटाकर भाजपा ने काडर नेता को ही तरजीह दी। जिसकी वजह से चुनाव से पहले दूसरी पार्टी से आए नेताओं को स्पष्ट तो हो गया कि उन्हें मुख्यमंत्री पद तो नहीं मिलने वाला है। जिसके बाद कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए नेता घरवापसी का रास्ता बना रहे हैं।आपको बता दें कि यशपाल आर्य की घरवापसी हो चुकी है और हरक सिंह रावत के साथ कई दूसरे नेता कतार में खड़े हैं। इसके अलावा भाजपा के भीतर घुटबाजी एक समस्या बनकर उभरी है। त्रिवेंद्र सिंह रावत के बागी तेवर दिखाई देने लगे हैं और उन्होंने साफ कर दिया है कि वो चुनाव प्रचार के लिए नहीं निकलेंगे। इतना ही नहीं वो हरीश रावत के साथ दो बार मुलाकात भी कर चुके हैं और इस मुलाकात के कई मतलब भी निकाले जा रहे हैं।