By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 27, 2019
बेंगलुरू। निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कर्नाटक विधानसभा की 15 सीटों के लिये होने वाले उपचुनाव को वह टाल देगा। इस पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने मिश्रित प्रतिक्रिया व्यक्त की और कांग्रेस तथा जद (एस) ने चुनाव निकाय के आचरण पर सवाल उठाया वहीं भाजपा ने इसे पहली जीत करार दिया। अयोग्य ठहराए गए विधायकों ने भी इसे ‘‘राहत’’ करार दिया। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वह 17 अयोग्य विधायकों के बारे में फैसला करेगा और 22 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि विपक्ष संदेह जता रहा है। हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि न्यायालय क्या फैसला देता है।
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उन्होंने पत्रकारों से कहा कि यह उन (अयोग्य विधायकों) के लिए राहत है जो चिंतित थे... न्यायालय का आज का फैसला ऐतिहासिक है, मैं दूसरों के साथ इसका स्वागत करता हूं। दूसरी ओर जद (एस) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व करने वाले किसी वकील ने पहली बार स्वेच्छा से कहा है कि वे चुनाव को टालने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है और उसके फैसले ने देश में व्यवस्था को नीचा दिखाया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव ने ट्वीट किया कि ऐसा लग रहा है कि चुनाव आयोग किसी से निर्देश ले रहा है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि चुनाव को अधिसूचित कर दिया गया है और नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है। वे अब क्यों कह रहे हैं कि वे उपचुनाव स्थगित कर देंगे। ऐसा लग रहा है कि वे किसी और से निर्देश ले रहे हैं। हालांकि उन्होंने विधायकों द्वारा दायर की गई विभिन्न याचिकाओं पर फैसला करने के न्यायालय के कदम का स्वागत किया। राव ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि अयोग्य विधायकों की याचिका यह थी कि उन्हें चुनाव में लड़ने के लिए अवसर प्रदान किया जाना चाहिए, स्पीकर के फैसले को निरस्त किया जाना चाहिए... उच्चतम न्यायालय ने इनमें से किसी भी मुद्दे पर कुछ नहीं कहा है, इसलिए वे अब भी अयोग्य हैं और उनकी स्थिति समान है। अयोग्य ठहराए गए विधायक रमेश जारकीहोली ने उम्मीद जताई कि उन्हें 100 प्रतिशत न्याय मिलेगा।
एक अन्य अयोग्य विधायक बी सी पाटिल ने कहा कि यह एक स्वागत योग्य कदम है क्योंकि उपचुनाव के बाद अगर अयोग्य ठहराए जाने का फैसला रद्द कर दिया जाता तो ऐसी स्थिति पैदा होती जहां एक निर्वाचन क्षेत्र में दो विधायक होते और वह संविधान के खिलाफ होता। भाजपा नेता और ग्रामीण विकास तथा पंचायत राज मंत्री के एस ईश्वरप्पा ने ट्वीट किया कि इससे न्यायालय को मामले में विस्तार से गौर करने और अपना फैसला देने का समय मिलेगा। उन्होंने कहा कि अयोग्य ठहराए गए विधायकों की यह पहली जीत है, जिन्होंने उपचुनावों पर रोक लगाने की मांग की थी।