DK Suresh के बयान को लेकर भाजपा ने मांफी की मांग की, मल्लिकार्जुन खड़गे बोले- यह बर्दाश्त नहीं

By अंकित सिंह | Feb 02, 2024

खुद को 'गर्वित भारतीय' बताते हुए, कांग्रेस सांसद डीके सुरेश ने अपनी "दक्षिण भारत के लिए अलग देश" वाली टिप्पणी के लिए स्पष्टीकरण जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि उनके बयान के पीछे का इरादा भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार के "धन वितरण में अन्याय" को ध्यान में लाना था। हालांकि, पूरे मामले की गूंज आज संसद में भी सुनाई दी। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस सांसद डीके सुरेश की 'दक्षिण भारत के लिए अलग देश' वाली टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की और कहा कि वह इस मामले पर सोनिया गांधी से माफी की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि मेरा आग्रह है कि इस मामले को एथिक्स कमेटी के पास भेजा जाए।' कांग्रेस को कार्रवाई करनी चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो देश मान लेगा कि आप भी देश के 'टुकड़े-टुकड़े' में शामिल हैं।'

 

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भाजपा नेता ने कहा, ‘‘देश के विभाजन की कांग्रेस की परंपरा बरकरार है। मैं मानता हूं कि कांग्रेस को इस मामले में सफाई देनी चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस को बताना चाहिए कि अपने सांसद के बयान पर उसका क्या रुख है और क्या वह बयान के पक्ष में हैं? कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के भाई और राज्य से कांग्रेस सांसद डी के सुरेश ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में अंतरिम बजट पेश होने के बाद कहा था कि अगर विभिन्न करों से एकत्रित धनराशि के वितरण के मामले में दक्षिणी राज्यों के साथ हो रहे अन्याय को ठीक नहीं किया गया तो ‘‘दक्षिणी राज्य एक अलग राष्ट्र की मांग करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।’’ 


कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी सांसद डीके सुरेश की 'दक्षिण भारत के लिए अलग देश' वाली टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि ऐसी टिप्पणियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वे किसी भी पार्टी से हों। उन्होंने कहा कि अगर कोई देश को तोड़ने की बात करेगा तो हम उसे कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। चाहे व्यक्ति किसी भी पार्टी का हो, चाहे मेरी पार्टी हो या किसी और की, मैं मल्लिकार्जुन खड़गे खुद कहूंगा कि कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक हम एक हैं और एक रहेंगे। 

 

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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि मंत्री ने जो किया वह दो आधारों पर असंसदीय था। सबसे पहले उन्होंने एक ऐसा मुद्दा उठाया जिसका सदन से कोई लेना-देना नहीं है. यह कोई बयान नहीं था जो सदन में दिया गया हो। दूसरे, उन्होंने ऐसा उन मीडिया रिपोर्टों के आधार पर किया जिनकी पुष्टि नहीं की गई है। इनमें से कोई भी सदन में स्वीकार्य नहीं है... मंत्री को इस तरह से सदन के समय का दुरुपयोग करने की अनुमति क्यों दी गई?

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