By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 09, 2022
पार्टी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और अपने कार्यों के बल पर वह जीत दर्ज करेगी। इसके साथ ही भाजपा केंद्र के साथ मिलकर पिछले पांच सालों में किए गए कार्यों जैसे चारधाम आलवेदर सड़क परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन परियोजना, केदारनाथ पुनर्निर्माण परियोजना, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे आदि को गिना रही है। उसने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में गठित विवादास्पद चारधाम बोर्ड कानून को भी रद्द कर दिया है ,जिसको लेकर तीर्थ पुरोहित नाराज थे। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि उसकी केंद्र और राज्य की सरकार ने जनता के हित में अनेक फैसले किए हैं और उन्हें उम्मीद है कि जनता का आशीर्वाद इस बार भी पार्टी को ही मिलेगा। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनावों की तरह इस बार भी अभी तक भाजपा ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री धामी ही होंगे। जबकि, इससे पहले वर्ष 2012 में भाजपा ने खंडूरी है जरूरी का नारा लगाकर भुवन चंद्र खंडूरी के चेहरे पर चुनाव लडा था। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने भी पार्टी महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की अगुवाई में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए पूरा जोर लगा रखा है। कोरोना की चुनौती के बीच सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करते हुए कांग्रेस जनता के बीच जोरशोर से अपना चुनाव प्रचार कर रही है और भाजपा सरकार को हर मोर्चे पर विफल बता रही है।
रावत ने कहा कि चुनावों की घोषणा के साथ ही भाजपा सरकार की विदाई का समय नजदीक आ गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ भाजपा ने पांच साल में तीन मुख्यमंत्री देकर जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है। .... हमें अवसर दीजिए, हम अपनी पुरानी नीतियों को वापस लाकर राज्य की जनता को खुशहाल बनाएंगे।’’ पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने वाली उक्रांद अपने शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी के नेतृत्व में एक बार फिर अपनी चुनौती पेश करने की कोशिश कर रही है। वर्ष 2007 में उक्रांद ने भाजपा के साथ मिलकर भुवनचंद्र खंडूरी के नेतृत्व में सरकार बनायी थी, लेकिन उसके बाद 2012 और 2017 में वह अपना खाता भी नहीं खोल पायी। वहीं, उत्तराखंड में ‘आप’ एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने कर्नल अजय कोठियाल के रूप में अपना मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है। माना जा रहा है कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाना, नए जिलों के निर्माण, भ्रष्टाचार आदि मुद्दों के अलावा इस बार भी मंहगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से छाए रहेंगे।