By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 05, 2022
श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) किसी भी धार्मिक शख्सियत के अपमान की निंदा केवल अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दिखाने के लिए करती है और उसे देश में मुसलमानों की भावनाओं के आहत होने से कोई लेना-देना नहीं है। उमर अब्दुल्ला ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब भाजपा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपनी प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा की गई कथित विवादास्पद टिप्पणी के कारण उपजे विवाद को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
भाजपा का कहना है कि वह सभी धर्मों का सम्मान करती है और किसी भी धार्मिक व्यक्तित्व के अपमान की कड़ी निंदा करती है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘भाजपा की ओर से किसी भी धार्मिक शख्सियत के अपमान की अचानक निंदा करना केवल अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दिखाने के लिए है। वास्तव में भाजपा को देश में मुसलमानों की भावनाओं के आहत होने से कोई लेना-देना नहीं है।’’ भाजपा महासचिव अरुण सिंह ने एक बयान में कहा है कि पार्टी ऐसी किसी भी विचारधारा के खिलाफ है जो किसी संप्रदाय या धर्म का अपमान करने अथवा उसे नीचा दिखाने की कोशिश करती है।
भाजपा ने रविवार को अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए कथित विवादित बयान के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया। शर्मा के बयान का मुस्लिम समुदाय ने भारी विरोध किया था। पार्टी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान से उपजे विवाद के बीच भाजपा महासचिव अरुण सिंह ने एक बयान जारी कर कहा कि उनकी पार्टी को ऐसा कोई भी विचार स्वीकार्य नहीं है, जो किसी भी धर्म या संप्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाए। भाजपा की अनुशासनात्मक समिति की ओर से जारी एक पत्र में कहा गया कि शर्मा ने विभिन्न मुद्दों पर पार्टी की राय के विपरीत जाकर विचार प्रस्तुत किए हैं, जो कि इसके संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है।
पार्टी ने भाजपा की दिल्ली इकाई के मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी ने कहा कि सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणियों ने सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का काम किया। नूपुर शर्मा के निलंबन और जिंदल के भाजपा से निष्कासन पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘इस मामले में अरब देशों की प्रतिक्रिया सरकार को वास्तव में चुभ गई होगी। इसलिए यह कदम उठाया गया है।’’ जिंदल ने कहा है कि उनकी टिप्पणी का उद्देश्य किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था।