By अनन्या मिश्रा | Sep 30, 2024
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है। इसी के साथ ही सभी सियासी दल अपनी रणनीतियों और तैयारियों को अमली जामा पहनाने में जुट गए हैं। जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में पिछले चुनावों की तुलना में इस बार की परिस्थितियां काफी हद तक बदल चुकी हैं। जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है और यहां से आर्टिकल 370 भी हट चुका है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पूरे जोश के साथ मैदान में उतर चुकी है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या एक बार फिर घाटी में कमल का फूल खिलेगा।
कब होंगे चुनाव
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 3 चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसमें से पहले चरण की वोटिंग 18 सितंबर, दूसरे चरण की वोटिंग 25 सितंबर और तीसरे चरण की वोटिंग 1 अक्तूबर को होनी है। वहीं वोटों की गिनती 08 अक्तूबर को होगी। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने और राज्य का दर्जा मिलने के बाद सूबे में पहला विधानसभा चुनाव होना है। वहीं अब यहां पर विधानसभा सीटों का परिसीमन हो चुका है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में कुल 90 विधानसभा सीटें हो गई हैं। ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल को या गठबंधन को बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम 46 सीटों पर कब्जा जमाना होगा।
क्या घाटी में फिर खिलेगा कमल
जम्मू क्षेत्र के चुनावों के इतिहास को देखें तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती नजर आई है। लेकिन कश्मीर घाटी में पार्टी के लिए खाता खुलना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि घाटी के हालिया सुधारों को देखते हुए यहां पर लोग अपनी खुशी जाहिर करते नजर आते हैं। कश्मीर के जिस लाल चौक पर भारत का तिरंगा लहराना खूनी खेल बन जाता था, वहां आज के समय में लोग आराम से घूम-फिर सकते हैं। ऐसे में अगर घाटी में कमल नहीं भी खिल पाता है, तो भी लोगों का समर्थन भाजपा की तरफ बढ़ सकता है।
पुराने समीकरण
पिछले कुछ चुनावों में सूबे में देखा जाए, तो भारतीय जनता पार्टी की ताकत में इजाफा हुआ है। हालांकि साल 2002 के चुनाव में बीजेपी सिर्फ एक सीट जीती थी। पार्टी को इस दौरान 8.57 फीसदी वोट मिले थे। तो वहीं साल 2008 के चुनाव में भाजपा ने 11 सीटों पर जीत दर्ज की और 12.45 फीसदी वोटों पर कब्जा जमाया। साल 2014 के चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन कर 25 सीटों पर कब्जा जमाया था। इस दौरान पार्टी ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। यह पहला मौका था जब भाजपा सूबे में किसी सरकार का हिस्सा थी। वहीं PDP से समर्थन वापसी के साथ आर्टिकल 370 के खात्मे से पार्टी का जम्मू-कश्मीर में समर्थन बढ़ता नजर आ रहा है।