करेले का जूस (व्यंग्य)

By डॉ मुकेश 'असीमित' | Jul 02, 2024

"सुनो, ये करेले का जूस बना दिया है, पीकर जाना," घर से मॉर्निंग वॉक के लिए निकला ही था कि पीछे से श्रीमती जी की आवाज़ कानों में पड़ी। दरअसल,मेरी होशियारी काम नहीं आई। वैसे तो पति-पत्नी साथ ही मॉर्निंग वॉक पर जाते हैं, ऐसे में करेले के जूस से कैसे भी करके बच ही नहीं सकते, लेकिन आज श्रीमती जी के पैर जबाब दे गए थे तो जाने से मना कर दिया। अमूमन हर तीसरे दिन मेरे भी पैर ढीठता से जबाब दे देते हैं, और मुझे कोई जबाब देते नहीं बनता इसलिए मोर्निंग वाक पर जाना मजबूरी है, क्योंकि हमने सुगर की बीमारी पाल ली है, यु कहिये की एक सौतन लिव इन रिलेशन में हमारी श्रीमती जी के साथ रह रही है और श्रीमती जी अपने पूरे प्रयास से हमारे शरीर को अपनी ससुराल समझ बैठी इस सौतन को धक्के मारकर निकालना चाहती है, अब कोई बेलन के प्रहार या श्रीमती जी की गालियों की बौछार से बहार निकल जाए तो कोई बात बने, लेकिन वो संभव नहीं था इसलिए घर बाहर के बताये टोने टोटके, नुस्खे, अंगार भूवर जो भी बताया जाता वो सारे मुझ पर आजमाए जाते हैं, उन्ही में से एक जो अंगद के पाँव की तरह हमारी किस्मत में टिका हुआ है वो है ये ''करेले का जूस'' ! लेकिन आज मैं भी श्रीमती जी के इस निर्णय से खुश था, "चलो कम से कम आज तो करेले के जूस से निजात मिलेगी।" श्रीमती जी अपने पैरों के जबाब देने के कारन बिस्तर से उठ भी नहीं पाएंगी! में जल्दी से वाशरूम में फारिग हुआ, जल्दी जल्दी जूतों के फीते बांधे और भागने ही वाला था कि इस आवाज़ ने चौंका दिया। इसी बीच में श्रीमती जी अपनी गहरी निद्रा के मोह को त्याग कर,अपने जबाब दे रहे पैरों को पटक पटक कर हमारे लिए करेले का जूस तैयार कर रही थी ।


भगवान डायबिटीज़ किसी को नहीं दे, अगर दे तो कम से कम बीवी को पता नहीं चले और बीवी को भी पता चल जाए तो कम से कम इन कमीने दोस्तों को पता नहीं चले। कसम से, ऐसे-ऐसे नुस्खे बताते हैं, जाने कौन सा जमाने का बदला लेते हैं। ये करेले का जूस भी मेरे एक अजीज़ दोस्त ने बताया था, और श्रीमती जी के कान ऐसे भर दिए कि बस श्रीमती जी जब भी मेरा कुछ पीने का मन करता है मुझे करेले का जूस थमा देती हैं। “सुनो मौसम कितना सुहाना हो रहा है आज मेरा पीने का मन है” श्रीमती जी मेरे मन के उठे उद्गारों की आग को ठन्डे पाने से बुझाते देते हुए मुझे करेले का जूस थमा देती है, साथ में चखने स्वरुप नीम की कडवी पत्तिया। “चीअर्स !! यही नहीं करेले का अचार। करेल की शब्जी, सच पूछो तो पूरा जीवन ही करेलामय हो गया।"

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इस दोस्त ने मेरे से बदला लेने के लिए ये भी सलाह दी थी कि करेले के जूस के साथ अगर नीम की कोपलें सुबह-सुबह चबाई जाएं तो ज्यादा फायदेमंद होती हैं। मैंने झल्लाकर कहा भी था, ''भाई, करेला ऐसा मंगा लूंगा जो नीम चढ़ा हो दोनों ही काम हो जाएंगे।'' लेकिन श्रीमती जी ने ठान ली, अब तो करेले के जूस के साथ टॉपिंग में कुछ नीम की पत्तियां भी सर्व की जाती है। सब्जी मंडी में जिन दुकानदारों के यहाँ करेले रखे होते है, वो सभी श्रीमती जी को पहचान गए है 'करेले वाले भावी जी' के नाम से जानते हैं, जैसे ही सब्जी मंडी में जाते हैं,अपने मुरझाये करेलों में पानी के ताजा छींटे देते हुए उन्हें होश में लाते है और फिर 'भावी जी ताजा करेले आए हैं आज हमसे ले जाओ।' एक बार सुबह वॉक पर गया तो श्रीमती जी का मुंह लटका हुआ था। मैंने पूछा, "क्या हुआ, आज करेले का जूस नहीं पिलाओगी?" उसने कहा, "करेला मंडी में खत्म हो गए, आ ही नहीं रहे, सीज़न खत्म बता रहे हैं।" में थोडा खुश ही हुआ था की भगवान् को मेरी खुशी देखी नहीं गयी ,तुरंत श्रीमती जी की खोपड़ी में एक आईडिया घुसा दिया। सुबह-सुबह मेरे दोस्त की ही वाइफ को फोन लगा दिया, "भावी जी, करेले हैं क्या? इनको जूस पिलाना है।" भावी जी ने कहा, "देखती हूँ, फ्रीज में... एक करेला, काफी दिनों से फ्रीज में अनाथ की तरह पड़ा हुआ था और सूखकर पीला हो गया था।" उसे लेने के लिए मेरे स्टाफ को दौड़ा दिया, उसे मंगवाकर उसकी बची हुई आत्मा को निचोड़कर आधा गिलास तो बना ही दिया था।


लेकिन उस दिन श्रीमती जी का पूरा दिन चिंतन में बीता। इसका क्या तोड़ निकाला जाए? लेकिन कुछ जलनखोर दुकानदार होते हैं, जो हम दुखी आत्माओं को और जलाने के लिए अपनी दूकान में सूखे करेले रखते हैं, श्रीमती जी की चिंताहरण करते हुए तोल दिए और कहा ''उन्हें इसका चूरण दिया जा सकता है, ये करेले के जूस की सदाबहारी को बनाए रखेगा।'' कहने का मतलब है मेरी जिंदगी सच में करेले जैसे कड़वी जो गयी है ! हमारे समानांतर चलने वाले चिकित्सा शास्त्र में हर बीमारी की काट होती हैं, उसके विपरीत लक्षण वाली चीजें खिला दो, जैसे सर्दी लग गयी तो गरम तासीर वाली चीजें और गर्मी लग गयी तो ठंडी तासीर वाली चीजें, ऐसे ही मीठे की बीमारी हो तो कड़वी चीजें खिलाओ, और इसी कारण करेला और शुगर की बीमार की चोली दामन का साथ हो गया है।


इसी बीच में श्रीमती जी मुस्कुराते हुई अपने एक हाथ में करेले का जूस और दूसरे हाथ में पानी का गिलास लेकर आ गयी हैं। बचपन में कड़वी गोली खाने के बाद माँ कम से कम चीनी का फांका लेने देती थी, यहाँ तो वो भी नसीब नहीं। बस आप भी मेरी बदकिस्मती पर तनिक मुस्करा लीजिए, तब तक इस करेले के जूस को हलक में उतार लेता हूँ।


- डॉ. मुकेश 'असीमित'

गंगापुर सिटी, राजस्थान पिन कोड-323301

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