भविष्य की तकनीक के रूप में उभर रही है जैव प्रौद्योगिकी

By उमाशंकर मिश्र | Nov 28, 2019

नई दिल्ली। (इंडिया साइंस वायर): जैव प्रौद्योगिकी विज्ञान का एक ऐसा क्षेत्र है जो हमारे जीवन को निरंतर प्रभावित करती है। भारत जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। बेहद कम लागत में रोटा वायरस वैक्सीन का विकास इसका एक छोटा-सा उदाहरण हैं। भारत में जैव प्रौद्योगिकी में ऐसे कई उदाहरण हैं जो बताते हैं कि आगामी वर्षों में देश में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की तरह उछाल देखने को मिल सकता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने यह बात जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के उच्च विकास पर केंद्रित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ग्लोबल-बायो इंडिया-2019 में कही है। 

उन्होंने कहा कि “पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी मानते थे कि 20 साल पहले भारत में सूचना प्रौद्योगिकी की जो लहर देखने को मिल रही थी, वही लहर भविष्य में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी देखने को मिल सकती है। उनका दृष्टिकोण आज वास्तविकता में परिवर्तित होता नजर आ रहा है।”

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डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विज्ञान का एक ऐसा क्षेत्र है जो हमारे सबसे अधिक करीब है और जिंदगी को आसान बनाने में इसकी भूमिका बेहद अहम है। किसानों के लिए शुरू किया गया बायोटेक किसान अभियान इसका एक उदाहरण है जिसमें कृषि क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवा शोधार्थियों एवं उद्यमियों को देश की भलाई के लिए अपने नए विचारों को लेकर आगे आना चाहिए। सरकार ऐसे नवाचारी विचारों के संवर्द्धन के लिए हर संभव मदद करने के लिए तैयार है। 

 

इस तीन दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान ‘इंडियन बायोटेक्नोलॉजी लैंडस्केप-एन इंटरनेशनल पर्सपेक्टिव’ नामक रिपोर्ट भी जारी की गई है। इस रिपोर्ट में भारतीय जैव प्रौद्योगिकी उद्योग के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में जैव प्रौद्योगिकी से जुड़े अनुभवों एवं सफल प्रयोगों, बायोटेक रिसर्च में निजी क्षेत्र का निवेश और नियामक स्वीकृतियों के लिए सिंगल विंडो मंजूरी जैसे विषयों को प्रमुखता से शामिल किया गया है। इसके साथ ही, इंडियन बायो-इकोनॉमी रिपोर्ट-2019 और इंडिया : द एमर्जिंग हब फॉर बायोलॉजिक्स ऐंड बायोसिमिलर्स नामक रिपोर्ट भी जारी की गई हैं। 

 

जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ रेनू स्वरूप ने कहा कि “हम बायो साइंस से बायो-इकोनॉमी की ओर लगातार आगे बढ़ रहे हैं और हमारा लक्ष्य वर्ष 2025 तक भारत को जैव प्रौद्योगिकी आधारित 100 बिलियन डॉलर की अर्थव्यस्था के रूप में विकसित करने का है। ग्लोबल-बायो इंडिया-2019 सम्मेलन में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि, शोध संस्थान, वैज्ञानिक, शोधार्थी, उद्यमी और राज्य सरकारें शामिल हो रही हैं। टियर-2 और टियर-3 शहरों के उद्यमी भी जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हो रहे बदलावों के प्रतिभागी के रूप में इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।”

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पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि “भारत का जैविक ईंधन उद्योग 100 बिलियन डॉलर की बायो-इकोनॉमी के लक्ष्य से अधिक हासिल करने की क्षमता रखता है। कार्बन कटौती की चुनौती से निपटने और जीवाश्म ईंधन के आयात की निर्भरता को कम करने के लिए जैविक ईंधन एक बेहतर विकल्प हो सकता है जिसके बारे में शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और उद्यमियों को नए सिरे काम करने की जरूरत है।”

 

बायोकॉन की प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि “देश और दुनिया में प्रतिभाशाली लोगों की भारी मांग है। जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र ऐसी प्रतिभाओं के लिए मोटी रकम खर्च करने को तैयार है।” यह सम्मेलन जैव प्रौद्योगिकी विभाग, बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री द्वारा मिलकर आयोजित किया गया है। 

 

(इंडिया साइंस वायर)

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