क्रिकेट छोड़ राजनेता बने तेजस्वी यादव पर पिता की विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी

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By अंकित सिंह | Oct 08, 2020

क्रिकेट छोड़ राजनेता बने तेजस्वी यादव पर पिता की विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी

बिहार में चुनावी सरगर्मियां के बीच सबकी निगाहें आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर है। सबके मन में यही सवाल है कि क्या तेजस्वी यादव लालू यादव के विरासत को आगे ले जा पाएंगे या नहीं? क्या तेजस्वी लालू यादव जैसा जन नेता बन पाएंगे या नहीं? लालू यादव की अनुपस्थिति में बिहार विधानसभा चुनाव हो रहा है। तेजस्वी यादव पर अपनी पार्टी का नेतृत्व करने के अलावा महागठबंधन का भी नेतृत्व करने की जिम्मेदारी है। ऐसे में सहयोगियों को साथ लेकर आगे चलने और जनता को साधने में कितना कामयाब रह पाते हैं यह चुनावी नतीजे ही बताएंगे। लेकिन एक बात तो तय है कि लोकप्रियता के मामले में तेजस्वी यादव का ग्राफ 2015 के बाद से लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि राजनीतिक तौर पर देखें तो लालू की अनुपस्थिति में उनके फैसले पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं।

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तेजस्वी यादव का जन्म 8 नवंबर 1989 को पटना में हुआ था। उनके पिता लालू प्रसाद यादव बिहार के वरिष्ठ राजनेता हैं। इसके अलावा उनकी मां राबड़ी देवी भी बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। 2015 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक तेजस्वी 10वीं तक पढ़ाई किए हुए हैं। तेजस्वी यादव लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के सबसे छोटे पुत्र हैं। फिलहाल तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। वह राघोपुर से विधायक हैं। 2015 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा था और सबसे कम उम्र में बिहार के चौथे उप मुख्यमंत्री रहे। तेजस्वी यादव शुरुआत में क्रिकेटर बनना चाहते थे। वह घरेलू क्रिकेट में दिल्ली और फिर आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स का हिस्सा रह चुके हैं। हालांकि राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने के कारण तेजस्वी का झुकाव राजनीति में हुआ और 2014 के आसपास अपने पिता के नेतृत्व में ही उन्होंने पार्टी के कार्यभार को संभालने की शुरुआत कर दी थी।

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उप मुख्यमंत्री के तौर पर तेजस्वी यादव के फैसले में लालू यादव की झलक दिखती थी। लेकिन असली परीक्षा तेजस्वी यादव की तब शुरू हुई जब वह नेता प्रतिपक्ष बने। 2017 से लगातार वह बिहार में विपक्ष के नेता हैं। उन्होंने नीतीश कुमार पर जमकर हमले किए। लेकिन उनके कुछ फैसले सवालों के घेरे में भी रहे। इतना ही नहीं, तेजस्वी यादव पर मनी लांड्रिंग को लेकर केस भी दर्ज हैं। उन पर कई तरह के मामलों में जांच भी चल रही हैं। तेजस्वी पर यह भी आरोप लगते हैं कि वह पार्टी को मनमाने तरीके से चलाते हैं। यह आरोप खुद उनके पार्टी के कई बड़े नेता लगा चुके हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि पिता की अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव सबको साथ लेकर चलने में फिलहाल नाकामयाब है।

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चमकी बुखार, लोकसभा चुनाव के बाद और कोरोना संकट के समय जमीन पर रहने के बजाय तेजस्वी यादव बिहार से गायब थे। ऐसे में उनकी खूब आलोचना हुई। इतना ही नहीं, अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ में तेजस्वी यादव की अनबन होती रहती है। तेजस्वी यादव पर कई सवालों का बौछार कर उनके गठबंधन के पुराने साथी जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी जैसे नेता महागठबंधन से बाहर जा चुके हैं। वर्तमान परिस्थिति में बिहार में परिवर्तन देने के साथ-साथ तेजस्वी यादव पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी लालू यादव की विरासत को आगे ले जाने की है। इसमें उनका साथ उनके बड़े भाई और लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव दे रहे हैं। देखना होगा कि आने वाले दिनों में जब बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे तो तेजस्वी यादव का कितना करिश्मा दिखाई देता है। 

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