फिल्म से लेकर राजनीति तक, जो मिला उसे 'खामोश' करते गए शॉटगन

By अंकित सिंह | Dec 09, 2021

अपनी दमदार आवाज और अपनी दमदार आवाज और बुलंद हौसलों की वजह से हर किसी को खामोश करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा आज अपना अपनी दमदार आवाज और बुलंद हौसलों की वजह से हर किसी को खामोश करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। रुपहले पर्दे पर अभिनय की बात हो या फिर राजनीति में दमदार छवि बनाने की, दोनों जगह शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद को साबित किया है। 9 दिसंबर 1945 को शत्रुघ्न सिन्हा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। इनके पिता भुनेश्वर प्रसाद सिन्हा थे जबकि माता का नाम श्यामा देवी था। पिता पेशे से डॉक्टर थे। पिता की इच्छा शत्रुघ्न को डॉक्टर बनाने की थी। हालांकि छोटका बबुआ अपने लिए अलग राह बनाना चाहते थे।

 

चार भाइयों में शत्रुघ्न सिन्हा सबसे छोटे थे। ऐसे में उन्हें प्यार से सभी छोटका बबुआ बुलाते थे। शत्रुघ्न के बड़े भाइयों का नाम राम, लक्ष्मण और भरत है। शत्रुघ्न ने अपने शुरुआती पढ़ाई पटना से ही पूरी की। बाद में उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई की। शत्रुघ्न सिन्हा ने फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे से अभिनय का कोर्स भी किया है। शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी का नाम पूनम सिन्हा है। शत्रुघ्न सिन्हा के तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी है। बेटी सोनाक्षी सिन्हा फिल्मों में शानदार अभिनय के दम पर अपना करियर बना चुकी हैं। जबकि बेटे लव सिन्हा और कुश सिन्हा हैं।

 

फिल्मी करियर की शुरुआत

 काफी संघर्षों के बाद शत्रुघ्न सिन्हा को 1969 में आई फिल्म साजन में अभिनय करते हुए देखा गया। फिल्म के निर्देशक मोहन सहगल थे। शत्रुघ्न सिन्हा खुद को हीरो के रूप में स्थापित करना चाहते थे लेकिन कटे होंठ की वजह से उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा था। शत्रुघ्न ने इसके लिए प्लास्टिक सर्जरी की भी सोची लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। हालांकि शत्रुघ्न सिन्हा दमदार, बुलंद और कड़क आवाज तथा अपनी अलग चाल-ढाल की वजह से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खास जगह बनाते गए। उनके अभिनय को दर्शक पसंद करने लगे। 1970 में शत्रुघ्न को खिलौना फिल्म में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उन्होंने शानदार अभिनय किया। उसके बाद वह रातों-रात निर्माताओं की पसंद बन गए।

 

बुलंदियों पर करियर

फिल्म इंडस्ट्री में शत्रुघ्न सिन्हा का सितारा बुलंद होता जा रहा था। बिहारी बाबू के रूप में वह अपनी अलग पहचान बना चुके थे। कई निर्माता निर्देशक उनके साथ काम करना चाहते थे जिनमें राज खोसला, रमेश सिप्पी और मनमोहन देसाई जैसे बड़े निर्माता-निर्देशक भी शामिल थे। अमिताभ बच्चन के साथ में शत्रुघ्न सिन्हा की जोड़ी सुपरहिट साबित हुई। प्रेम पुजारी, गैंबलर, परवाना, पारस, रिवाज, रास्ते का पत्थर, प्यार का रिश्ता, अनोखा, विश्वनाथ, काला पत्थर, जानी-दुश्मन, नसीब, क्रांति, दोस्ताना, कालीचरण, छलिया, कैदी, मेरा दोस्त मेरा दुश्मन, लोहा, हिरासत, धर्मयुद्ध, संतोष, बिल्लू बादशाह, रणभूमि, बेताज बादशाह, आन उनकी सुपरहिट फिल्मों में शामिल हैं। एक वक्त था जब शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद को राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, विनोद खन्ना जैसे सुपरस्टार के समानांतर खड़ा कर लिया था। लोके शत्रुघ्न सिन्हा को लगातार देखना चाहते थे। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने करियर में रीना रॉय और हेमा मालिनी जैसी खूबसूरत अभिनेत्रियों के साथ भी काम किया।

 

राजनीतिक करियर

 फिल्मों के इतर शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में भी बेहद सफल साबित हुए। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में की। उस समय वह काफी सुर्खियों में आ गए थे जब नई दिल्ली सीट पर हुए उपचुनाव में राजेश खन्ना के खिलाफ खड़े हुए। इस चुनाव में राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा को हरा दिया। लेकिन दोनों की दोस्ती टूट गई। राजेश खन्ना ने अपने मौत तक शत्रुघ्न सिन्हा से कभी बात नहीं की। भले ही बाद में राजेश खन्ना ने राजनीति से दूरी बना ली। लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में लगातार आगे बढ़ते गए। शत्रुघ्न सिन्हा को भाजपा ने राज्यसभा का सदस्य बनाया। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने। उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा शिपिंग विभाग जैसे बड़े मंत्रालय सौंपे गए। 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के टिकट से पटना साहिब से जीतकर लोकसभा सांसद बने। हालांकि, बाद में भाजपा से उनकी दूरी बन गई और अब वह कांग्रेस के सदस्य हैं। मना रहे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। रुपहले पर्दे पर अभिनय की बात हो या फिर राजनीति में दमदार छवि बनाने की, दोनों जगह शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद को साबित किया है। 9 दिसंबर 1945 को शत्रुघ्न सिन्हा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। इनके पिता भुनेश्वर प्रसाद सिन्हा थे जबकि माता का नाम श्यामा देवी था। पिता पेशे से डॉक्टर थे। पिता की इच्छा शत्रुघ्न को डॉक्टर बनाने की थी। हालांकि छोटका बबुआ अपने लिए अलग राह बनाना चाहते थे। चार भाइयों में शत्रुघ्न सिन्हा सबसे छोटे थे। ऐसे में उन्हें प्यार से सभी छोटका बबुआ बुलाते थे। शत्रुघ्न के बड़े भाइयों का नाम राम, लक्ष्मण और भरत है। शत्रुघ्न ने अपने शुरुआती पढ़ाई पटना से ही पूरी की। बाद में उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई की। शत्रुघ्न सिन्हा ने फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे से अभिनय का कोर्स भी किया है। शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी का नाम पूनम सिन्हा है। शत्रुघ्न सिन्हा के तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी है। बेटी सोनाक्षी सिन्हा फिल्मों में शानदार अभिनय के दम पर अपना करियर बना चुकी हैं। जबकि बेटे लव सिन्हा और कुश सिन्हा हैं। फिल्मी करियर की शुरुआत काफी संघर्षों के बाद शत्रुघ्न सिन्हा को 1969 में आई फिल्म साजन में अभिनय करते हुए देखा गया। फिल्म के निर्देशक मोहन सहगल थे। शत्रुघ्न सिन्हा खुद को हीरो के रूप में स्थापित करना चाहते थे लेकिन कटे होंठ की वजह से उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा था। शत्रुघ्न ने इसके लिए प्लास्टिक सर्जरी की भी सोची लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। हालांकि शत्रुघ्न सिन्हा दमदार, बुलंद और कड़क आवाज तथा अपनी अलग चाल-ढाल की वजह से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खास जगह बनाते गए। उनके अभिनय को दर्शक पसंद करने लगे। 1970 में शत्रुघ्न को खिलौना फिल्म में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उन्होंने शानदार अभिनय किया। उसके बाद वह रातों-रात निर्माताओं की पसंद बन गए। बुलंदियों पर करियर फिल्म इंडस्ट्री में शत्रुघ्न सिन्हा का सितारा बुलंद होता जा रहा था। बिहारी बाबू के रूप में वह अपनी अलग पहचान बना चुके थे। कई निर्माता निर्देशक उनके साथ काम करना चाहते थे जिनमें राज खोसला, रमेश सिप्पी और मनमोहन देसाई जैसे बड़े निर्माता-निर्देशक भी शामिल थे। अमिताभ बच्चन के साथ में शत्रुघ्न सिन्हा की जोड़ी सुपरहिट साबित हुई। प्रेम पुजारी, गैंबलर, परवाना, पारस, रिवाज, रास्ते का पत्थर, प्यार का रिश्ता, अनोखा, विश्वनाथ, काला पत्थर, जानी-दुश्मन, नसीब, क्रांति, दोस्ताना, कालीचरण, छलिया, कैदी, मेरा दोस्त मेरा दुश्मन, लोहा, हिरासत, धर्मयुद्ध, संतोष, बिल्लू बादशाह, रणभूमि, बेताज बादशाह, आन उनकी सुपरहिट फिल्मों में शामिल हैं। एक वक्त था जब शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद को राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, विनोद खन्ना जैसे सुपरस्टार के समानांतर खड़ा कर लिया था। लोके शत्रुघ्न सिन्हा को लगातार देखना चाहते थे। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने करियर में रीना रॉय और हेमा मालिनी जैसी खूबसूरत अभिनेत्रियों के साथ भी काम किया। राजनीतिक करियर फिल्मों के इतर शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में भी बेहद सफल साबित हुए। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में की। उस समय वह काफी सुर्खियों में आ गए थे जब नई दिल्ली सीट पर हुए उपचुनाव में राजेश खन्ना के खिलाफ खड़े हुए। इस चुनाव में राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा को हरा दिया। लेकिन दोनों की दोस्ती टूट गई। राजेश खन्ना ने अपने मौत तक शत्रुघ्न सिन्हा से कभी बात नहीं की। भले ही बाद में राजेश खन्ना ने राजनीति से दूरी बना ली। लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में लगातार आगे बढ़ते गए। शत्रुघ्न सिन्हा को भाजपा ने राज्यसभा का सदस्य बनाया। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने। उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा शिपिंग विभाग जैसे बड़े मंत्रालय सौंपे गए। 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के टिकट से पटना साहिब से जीतकर लोकसभा सांसद बने। हालांकि, बाद में भाजपा से उनकी दूरी बन गई और अब वह कांग्रेस के सदस्य हैं। हौसलों की वजह से हर किसी को खामोश करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा आज अपना अपनी दमदार आवाज और बुलंद हौसलों की वजह से हर किसी को खामोश करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। रुपहले पर्दे पर अभिनय की बात हो या फिर राजनीति में दमदार छवि बनाने की, दोनों जगह शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद को साबित किया है। 9 दिसंबर 1945 को शत्रुघ्न सिन्हा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। इनके पिता भुनेश्वर प्रसाद सिन्हा थे जबकि माता का नाम श्यामा देवी था। पिता पेशे से डॉक्टर थे। पिता की इच्छा शत्रुघ्न को डॉक्टर बनाने की थी। हालांकि छोटका बबुआ अपने लिए अलग राह बनाना चाहते थे। चार भाइयों में शत्रुघ्न सिन्हा सबसे छोटे थे। ऐसे में उन्हें प्यार से सभी छोटका बबुआ बुलाते थे। शत्रुघ्न के बड़े भाइयों का नाम राम, लक्ष्मण और भरत है। शत्रुघ्न ने अपने शुरुआती पढ़ाई पटना से ही पूरी की। बाद में उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई की। शत्रुघ्न सिन्हा ने फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे से अभिनय का कोर्स भी किया है। शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी का नाम पूनम सिन्हा है। शत्रुघ्न सिन्हा के तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी है। बेटी सोनाक्षी सिन्हा फिल्मों में शानदार अभिनय के दम पर अपना करियर बना चुकी हैं। जबकि बेटे लव सिन्हा और कुश सिन्हा हैं। फिल्मी करियर की शुरुआत काफी संघर्षों के बाद शत्रुघ्न सिन्हा को 1969 में आई फिल्म साजन में अभिनय करते हुए देखा गया। फिल्म के निर्देशक मोहन सहगल थे। शत्रुघ्न सिन्हा खुद को हीरो के रूप में स्थापित करना चाहते थे लेकिन कटे होंठ की वजह से उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा था। शत्रुघ्न ने इसके लिए प्लास्टिक सर्जरी की भी सोची लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। हालांकि शत्रुघ्न सिन्हा दमदार, बुलंद और कड़क आवाज तथा अपनी अलग चाल-ढाल की वजह से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खास जगह बनाते गए। उनके अभिनय को दर्शक पसंद करने लगे। 1970 में शत्रुघ्न को खिलौना फिल्म में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उन्होंने शानदार अभिनय किया। उसके बाद वह रातों-रात निर्माताओं की पसंद बन गए। बुलंदियों पर करियर फिल्म इंडस्ट्री में शत्रुघ्न सिन्हा का सितारा बुलंद होता जा रहा था। बिहारी बाबू के रूप में वह अपनी अलग पहचान बना चुके थे। कई निर्माता निर्देशक उनके साथ काम करना चाहते थे जिनमें राज खोसला, रमेश सिप्पी और मनमोहन देसाई जैसे बड़े निर्माता-निर्देशक भी शामिल थे। अमिताभ बच्चन के साथ में शत्रुघ्न सिन्हा की जोड़ी सुपरहिट साबित हुई। प्रेम पुजारी, गैंबलर, परवाना, पारस, रिवाज, रास्ते का पत्थर, प्यार का रिश्ता, अनोखा, विश्वनाथ, काला पत्थर, जानी-दुश्मन, नसीब, क्रांति, दोस्ताना, कालीचरण, छलिया, कैदी, मेरा दोस्त मेरा दुश्मन, लोहा, हिरासत, धर्मयुद्ध, संतोष, बिल्लू बादशाह, रणभूमि, बेताज बादशाह, आन उनकी सुपरहिट फिल्मों में शामिल हैं। एक वक्त था जब शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद को राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, विनोद खन्ना जैसे सुपरस्टार के समानांतर खड़ा कर लिया था। लोके शत्रुघ्न सिन्हा को लगातार देखना चाहते थे। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने करियर में रीना रॉय और हेमा मालिनी जैसी खूबसूरत अभिनेत्रियों के साथ भी काम किया। राजनीतिक करियर फिल्मों के इतर शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में भी बेहद सफल साबित हुए। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में की। उस समय वह काफी सुर्खियों में आ गए थे जब नई दिल्ली सीट पर हुए उपचुनाव में राजेश खन्ना के खिलाफ खड़े हुए। इस चुनाव में राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा को हरा दिया। लेकिन दोनों की दोस्ती टूट गई। राजेश खन्ना ने अपने मौत तक शत्रुघ्न सिन्हा से कभी बात नहीं की। भले ही बाद में राजेश खन्ना ने राजनीति से दूरी बना ली। लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में लगातार आगे बढ़ते गए। शत्रुघ्न सिन्हा को भाजपा ने राज्यसभा का सदस्य बनाया। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने। उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा शिपिंग विभाग जैसे बड़े मंत्रालय सौंपे गए। 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के टिकट से पटना साहिब से जीतकर लोकसभा सांसद बने। हालांकि, बाद में भाजपा से उनकी दूरी बन गई और अब वह कांग्रेस के सदस्य हैं। मना रहे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। रुपहले पर्दे पर अभिनय की बात हो या फिर राजनीति में दमदार छवि बनाने की, दोनों जगह शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद को साबित किया है। 9 दिसंबर 1945 को शत्रुघ्न सिन्हा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। इनके पिता भुनेश्वर प्रसाद सिन्हा थे जबकि माता का नाम श्यामा देवी था। पिता पेशे से डॉक्टर थे। पिता की इच्छा शत्रुघ्न को डॉक्टर बनाने की थी। हालांकि छोटका बबुआ अपने लिए अलग राह बनाना चाहते थे।  


चार भाइयों में शत्रुघ्न सिन्हा सबसे छोटे थे। ऐसे में उन्हें प्यार से सभी छोटका बबुआ बुलाते थे। शत्रुघ्न के बड़े भाइयों का नाम राम, लक्ष्मण और भरत है। शत्रुघ्न ने अपने शुरुआती पढ़ाई पटना से ही पूरी की। बाद में उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई की। शत्रुघ्न सिन्हा ने फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे से अभिनय का कोर्स भी किया है। शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी का नाम पूनम सिन्हा है। शत्रुघ्न सिन्हा के तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी है। बेटी सोनाक्षी सिन्हा फिल्मों में शानदार अभिनय के दम पर अपना करियर बना चुकी हैं। जबकि बेटे लव सिन्हा और कुश सिन्हा हैं। 


फिल्मी करियर की शुरुआत

काफी संघर्षों के बाद शत्रुघ्न सिन्हा को 1969 में आई फिल्म साजन में अभिनय करते हुए देखा गया। फिल्म के निर्देशक मोहन सहगल थे। शत्रुघ्न सिन्हा खुद को हीरो के रूप में स्थापित करना चाहते थे लेकिन कटे होंठ की वजह से उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा था। शत्रुघ्न ने इसके लिए प्लास्टिक सर्जरी की भी सोची लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। हालांकि शत्रुघ्न सिन्हा दमदार, बुलंद और कड़क आवाज तथा अपनी अलग चाल-ढाल की वजह से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खास जगह बनाते गए। उनके अभिनय को दर्शक पसंद करने लगे। 1970 में शत्रुघ्न को खिलौना फिल्म में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में उन्होंने शानदार अभिनय किया। उसके बाद वह रातों-रात निर्माताओं की पसंद बन गए। 


बुलंदियों पर करियर

फिल्म इंडस्ट्री में शत्रुघ्न सिन्हा का सितारा बुलंद होता जा रहा था। बिहारी बाबू के रूप में वह अपनी अलग पहचान बना चुके थे। कई निर्माता निर्देशक उनके साथ काम करना चाहते थे जिनमें राज खोसला, रमेश सिप्पी और मनमोहन देसाई जैसे बड़े निर्माता-निर्देशक भी शामिल थे। अमिताभ बच्चन के साथ में शत्रुघ्न सिन्हा की जोड़ी सुपरहिट साबित हुई। प्रेम पुजारी, गैंबलर, परवाना, पारस, रिवाज, रास्ते का पत्थर, प्यार का रिश्ता, अनोखा, विश्वनाथ, काला पत्थर, जानी-दुश्मन, नसीब, क्रांति, दोस्ताना, कालीचरण, छलिया, कैदी, मेरा दोस्त मेरा दुश्मन, लोहा, हिरासत, धर्मयुद्ध, संतोष, बिल्लू बादशाह, रणभूमि, बेताज बादशाह, आन उनकी सुपरहिट फिल्मों में शामिल हैं। एक वक्त था जब शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद को राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, विनोद खन्ना जैसे सुपरस्टार के समानांतर खड़ा कर लिया था। लोके शत्रुघ्न सिन्हा को लगातार देखना चाहते थे। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने करियर में रीना रॉय और हेमा मालिनी जैसी खूबसूरत अभिनेत्रियों के साथ भी काम किया। 


राजनीतिक करियर

फिल्मों के इतर शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में भी बेहद सफल साबित हुए। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में की। उस समय वह काफी सुर्खियों में आ गए थे जब नई दिल्ली सीट पर हुए उपचुनाव में राजेश खन्ना के खिलाफ खड़े हुए। इस चुनाव में राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा को हरा दिया। लेकिन दोनों की दोस्ती टूट गई। राजेश खन्ना ने अपने मौत तक शत्रुघ्न सिन्हा से कभी बात नहीं की। भले ही बाद में राजेश खन्ना ने राजनीति से दूरी बना ली। लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में लगातार आगे बढ़ते गए। शत्रुघ्न सिन्हा को भाजपा ने राज्यसभा का सदस्य बनाया। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने। उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा शिपिंग विभाग जैसे बड़े मंत्रालय सौंपे गए। 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के टिकट से पटना साहिब से जीतकर लोकसभा सांसद बने। हालांकि, बाद में भाजपा से उनकी दूरी बन गई और अब वह कांग्रेस के सदस्य हैं।

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